क्या सनस्क्रीन वापस लिए जाने से चिंतित हैं? सुरक्षित सनस्क्रीन चुनने का ये तरीका जानें
(कन्वरसेशन) संतोष नरेश
- 05 Dec 2025, 05:28 PM
- Updated: 05:28 PM
(केटी ली, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय)
ब्रिसबेन, पांच दिसंबर (द कन्वरसेशन) हममें से अधिकतर लोग मानते हैं कि सनस्क्रीन हमारी त्वचा के उन हिस्सों की अत्यधिक पराबैंगनी किरणों से रक्षा करने का एक अहम साधन है जो कपड़ों से आसानी से नहीं ढक पाते। लेकिन सनस्क्रीन के लिए यह एक साल मुश्किल भरा रहा।
‘च्वाइस’ की ओर से जून में की गई जांच में पाया गया कि ऑस्ट्रेलिया की दुकानों में बिक रहे 16 उत्पाद अपने पैकेज पर लिखे गए एसपीएफ सुरक्षा स्तर के अनुसार सुरक्षा प्रदान नहीं करते।
‘च्वाइस’ ऑस्ट्रेलिया में एक गैर-लाभकारी और स्वतंत्र उपभोक्ता संगठन है जो उत्पादों की जांच करता है। एसपीएफ सुरक्षा स्तर से आशय सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से सुरक्षा के स्तर से है।
जुलाई में ‘थेरेप्यूटिक गुड्स एडमिनिस्ट्रेशन’ (टीजीए) ने एक समीक्षा रिपोर्ट जारी की जिसमें सनस्क्रीन में कुछ रासायनिक अवयवों की मात्रा कम करने की सिफारिश की गई है।
तब से कई अन्य सनस्क्रीन को या तो निर्माण संबंधी दोषों के कारण या खराब एसपीएफ सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के कारण वापस ले लिया गया है या उनकी समीक्षा की जा रही है।
इन सब बातों ने हममें से कई लोगों को इस बात को लेकर असमंजस में डाल दिया है कि कौन से सनस्क्रीन सुरक्षित, प्रभावी और लेबल पर लिखे दावों के अनुसार काम करते हैं।
इस गर्मी में सुरक्षित रहने के लिए आपको ये बातें जाननी जरूरी हैं।
*सनस्क्रीन का फायदा
इस बात के बहुत कम प्रमाण हैं कि सनस्क्रीन कैंसर का कारण बनते हैं, लेकिन इस बात के बहुत प्रमाण हैं कि वे त्वचा कैंसर को रोकते हैं।
यह ऑस्ट्रेलिया के लिए बेहद जरूरी है, जहां तीन में से दो लोगों को अपने जीवन में कभी न कभी त्वचा कैंसर होता ही है।
क्वींसलैंड में 1992 से 1996 के बीच साढ़े चार वर्षों तक चले एक परीक्षण में 1,621 लोगों से या तो रोजाना सनस्क्रीन लगाने या अपना सामान्य उपयोग जारी रखने (आमतौर पर हफ्ते में एक या दो दिन या बिल्कुल भी नहीं) के लिए कहा गया।
इसमें पाया गया कि प्रतिदिन सनस्क्रीन लगाने वाले लोगों में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा की संख्या अपनी आदतों में कोई बदलाव नहीं करने वाले समूह के सापेक्ष 40 प्रतिशत कम थी।
अध्ययन के दस साल बाद, रोजाना सनस्क्रीन लगाने वाले समूह में आक्रामक मेलेनोमा की संख्या में 73 प्रतिशत की कमी आई। गौरतलब है कि यह अध्ययन 90 के दशक में एसपीएफ 16 सनस्क्रीन का उपयोग करके किया गया था।
आधुनिक सनस्क्रीन से नियमित रूप से एसपीएफ 30+ या 50+ सुरक्षा मिलने की उम्मीद की जाती है। कंपनियों को वही एसपीएफ स्तर प्रदान करना चाहिए जिसका वे विज्ञापन कर रही हैं।
लेकिन इस शोध से पता चलता है कि (आधुनिक मानकों के अनुसार) घटिया सनस्क्रीन भी दैनिक रूप से उपयोग करने पर महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रदान करती हैं।
*एसपीएफ के दावों का खरा उतरना सुनिश्चित करना
ऑस्ट्रेलिया में टीजीए सनस्क्रीन में एसपीएफ से जुड़े आकलन को नियंत्रित करता है, लेकिन स्वयं परीक्षण नहीं करता। इसके बजाय कंपनियां खुद ही परीक्षण करती हैं या किसी अन्य कंपनी से ‘आउटसोर्स’ के आधार पर यह परीक्षण कराती हैं जो मानव त्वचा पर किया जाना चाहिए। इसके बाद कंपनी टीजीए को जांच के परिणाम से अवगत कराती है।
लेकिन जब ‘च्वाइस’ ने स्वतंत्र रूप से 20 ऑस्ट्रेलियाई सनस्क्रीन का परीक्षण किया, तो पाया कि 16 के लेबल पर किए गए एसपीएफ कारक संबंधी दावे को पूरा नहीं करते थे।
एबीसी की एक जांच ने समस्याओं के दो संभावित स्रोतों की पहचान की: वाइल्ड चाइल्ड लैबोरेटरीज द्वारा निर्मित एक घटिया बेस सामग्री, और ‘प्रिंसटन कंज्यूमर रिसर्च’ से प्राप्त संदिग्ध एसपीएफ परीक्षण डेटा, जिस पर कई ब्रांड भरोसा करते थे।
टीजीए ने तब से लोगों को ‘वाइल्ड चाइल्ड’ के बेस वाले 21 उत्पादों का उपयोग बंद करने की सिफारिश की है।
रासायनिक अवयवों के बारे में क्या?
टीजीए नियमित रूप से वैज्ञानिक अनुसंधान की समीक्षा करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऑस्ट्रेलियाई सनस्क्रीन सुरक्षा और प्रभावशीलता के लिहाज से बेहतर बने रहें। ऑस्ट्रेलिया में बेचे जाने के लिए सनस्क्रीन में एक विशिष्ट सूची के सक्रिय अवयवों का उपयोग करना आवश्यक है, जिनकी सांद्रता अधिकतम सीमा तक सीमित हो।
जुलाई की सुरक्षा समीक्षा में इस बात के प्रमाण मिले कि दो अनुमन्य अवयव - होमोसैलेट और ऑक्सीबेन्जोन - की अधिक मात्रा के लंबे समय तक संपर्क में रहने पर कुछ जानवरों में हार्मोन संबंधी व्यवधान पैदा हो सकते हैं।
ये मात्रा कोई व्यक्ति जितना सनस्क्रीन का इस्तेमाल करता है उससे कहीं अधिक थी यहां तक कि व्यक्ति द्वारा अधिकतम उपयोग की मात्रा से भी अधिक। इसके लिए हमें टीजीए की अवयव सीमा को धन्यवाद देना चाहिए।
फिर भी, रासायनिक जोखिमों का कड़ाई से प्रबंधन किया जाता है। साल भर लगातार अधिक मात्रा में सनस्क्रीन के उपयोग के दौरान अवशोषित मात्रा, जानवरों में समस्या पैदा करने वाली ज्ञात मात्रा के एक प्रतिशत से कम होनी चाहिए।
नए परिणाम बताते हैं कि अवशोषण इस ‘सुरक्षा सीमा’ से अधिक हो सकता है। इसलिए टीजीए ने अनुमन्य मात्रा को कम करने की सिफारिश की है।
होमोसैलेट और ऑक्सीबेन्जोन पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा रहा है, और आपको इन अवयवों वाले सनस्क्रीन को फेंकने की आवश्यकता नहीं है।
लेकिन अगर इनके इस्तेमाल से जुड़ा ख्याल आपको परेशान करता है, तो आप सामग्री सूची देख सकते हैं और इनसे रहित सामग्री वाले सनस्क्रीन खरीद सकते हैं।
*मुझे सनस्क्रीन में क्या देखना चाहिए?
सनस्क्रीन खरीदते समय चार जरूरी बातों पर ध्यान देना जरूरी है। इसमें ये चीजें होनी चाहिए:
1) 30+ या 50+ एसपीएफ
2) ब्रॉड स्पेक्ट्रम पराबैंगनी प्रोटेक्शन (यूवीबी और यूवीए दोनों किरणों को फिल्टर करता है)
3) जल रोधी (ऑस्ट्रेलिया के पसीने वाले मौसम में टिके रहने के लिए)
4) पैकेजिंग पर टीजीए से प्रमाणित किए जाने का चिह्न (एयूएसटी एल और इसके बाद एक नंबर)।
सनस्क्रीन तभी काम करता है जब आप उसका इस्तेमाल करते हैं, इसलिए ऐसे सनस्क्रीन का चयन करें जो आपको काफी पसंद हो ताकि आप उसे लगा सकें।
मिल्क, जेल एवं क्रीम, बिना खुशबू वाला, मैट, टिंटेड और कई अन्य प्रकार के सनस्क्रीन उपलब्ध हैं। चेहरा अक्सर सबसे संवेदनशील होता है, इसलिए कई लोग चेहरे के लिए एक विशेष सनस्क्रीन और शरीर के बाकी हिस्सों के लिए एक सस्ता, सामान्य सनस्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं।
हालांकि, ‘स्प्रे-ऑन’ सनस्क्रीन की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि इसे पर्याप्त मात्रा में लगाना बहुत मुश्किल होता है।
*सोच से अधिक लगाना होगा
सनस्क्रीन सबसे अच्छा तब काम करता है जब आप इसे धूप में जाने से 20 मिनट पहले लगाते हैं और हर दो घंटे में दोबारा लगाते हैं और तैराकी, खेलकूद या तौलिए से पोछे जाने के बाद भी लगाते हैं।
आप इसे कैसे लगाते हैं, यह इस बात को निर्धारित करता है कि यह कितनी अच्छी तरह से काम करेगा। आपको लगभग एक-एक चम्मच सनस्क्रीन की जरूरत होगी:
1) आपके चेहरे और गर्दन पर
2) पीठ पर
3) छाती और पेट पर
4) प्रत्येक हाथ और पैर पर।
कान, हाथ, पैर और गर्दन के पिछले हिस्से पर सनस्क्रीन लगाना भी आम बात है और ऐसा करना ना भूलें। सनस्क्रीन आमतौर पर 30° डिग्री सेल्सियस से नीचे के तापमान पर रखने पर दो से तीन साल तक चलता है, इसलिए इस्तेमाल की तारीख पर नजर रखें और इस्तेमाल से पहले हिलाने से जुड़े निर्देशों का पालन करें।
अगर हिलाने के बाद भी सनस्क्रीन पतली और मोटी परतों में अलग हो जाती है, तो हो सकता है कि एसपीएफ प्रदान करने वाले तत्व पूरी तरह से मिश्रित न हों और ठीक से काम न करें।
लेकिन याद रखें कि सनस्क्रीन कोई कवच नहीं है। अगर आप एक बार में कुछ मिनटों से अधिक समय तक धूप में रहने की योजना बना रहे हैं, तो धूप से बचाव वाले कपड़े के अलावा टोपी पहन लें। जिन हिस्सों को आप आसानी से नहीं ढक पाते, उन्हें बचाने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।
(कन्वरसेशन) संतोष