रेपो दर में कटौती से कर्ज लागत होगी कम, वृद्धि को मिलेगी और गति: उद्योग
योगेश रमण
- 05 Dec 2025, 08:15 PM
- Updated: 08:15 PM
नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) उद्योग जगत ने भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती का स्वागत करते हुए कहा कि इससे कर्ज की लागत कम होगी तथा वृद्धि को और मजबूती मिलेगी।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत घटाकर 5.25 प्रतिशत कर दिया। इसके साथ आरबीआई ने बैंकिंग प्रणाली में नकदी बढ़ाने के लिए 'खुला बाजार परिचालन' (ओएमओ) के जरिये एक लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियां खरीदने और पांच अरब डॉलर की तीन-वर्षीय डॉलर/रुपया खरीद-बिक्री अदला-बदली की भी घोषणा की।
उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष अनंत गोयनका ने कहा कि यह संतुलित नीतिगत राहत ऋण लेने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देगी, उद्योग और उपभोक्ताओं के लिए ऋण की लागत को कम करेगी और वर्तमान वृद्धि गति को और सशक्त बनाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि अनुमान को 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत करना तथा मुद्रास्फीति का स्थिर व अनुकूल रहना भारतीय अर्थव्यवस्था की निरंतर मजबूती और जीएसटी सुधारों सहित लगातार नीतिगत उपायों के सकारात्मक प्रभाव को रेखांकित करता है। विदेशी मुद्रा अदला-बदली जैसी अतिरिक्त नकदी व्यवस्थाएं बाजार में विश्वास को सुदृढ़ करेंगी और निवेश प्रवाह को बल देंगी।’’
गोयनका ने कहा, "आज की मौद्रिक नीति यह स्पष्ट और आश्वस्त करने वाला संदेश देती है कि वैश्विक चुनौतियों भरे माहौल में भी भारत की वृद्धि यात्रा को सुरक्षित रखने तथा आर्थिक विस्तार को समर्थन देने के लिए सभी नीतिगत उपकरण सक्रिय रूप से इस्तेमाल किए जा रहे हैं।’’
एसोचैम के अध्यक्ष निर्मल मिंडा ने कहा, "इस साल कुल 1.25 की कटौती के बाद अब रेपो दर 5.25 प्रतिशत पर आ गई है। इससे कर्ज की लागत कम होगी जिससे उद्योगों का विस्तार होगा, नई नौकरियां पैदा होंगी, गाड़ियों और उपभोक्ता सामान की मांग बढ़ेगी तथा मकान बनाने वालों को सस्ता कर्ज मिलेगा, जिससे घर खरीदारों की किस्तें कम होंगी और बिना बिका माल घटेगा।"
भारतीय निर्यातकों के शीर्ष निकाय फियो ने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती को सही समय पर उठाया गया कदम बताया है।
फियो ने कहा कि इस कदम से निर्यातक प्रतिस्पर्धी बने रहेंगे और निर्यातक समुदाय में तरलता संबंधी कठिनाइयां कम होंगी।
फियो के अध्यक्ष एस सी रल्हन ने कहा, ‘‘कर्ज लेने की लागत में कमी भारतीय निर्यातकों के लिए महत्वपूर्ण समय पर आई है, क्योंकि वे वैश्विक मांग में अस्थिरता और कच्चे माल की लागत में उतार-चढ़ाव से जूझ रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, "रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती से निर्यातकों के लिए ऋण की लागत कम होगी, जिससे वे कार्यशील पूंजी, तकनीकी उन्नयन और अंतरराष्ट्रीय विपणन प्रयासों में अधिक स्वतंत्रता से निवेश कर पाएंगे। यह ऐसे समय में आवश्यक प्रोत्साहन है, जब वैश्विक मांग अस्थिर और कच्चे माल की लागत अनुमान से बाहर है।"
रल्हन ने कहा कि कम ब्याज दरें व्यापारिक वित्तपोषण का बोझ कम करेंगी, उत्पादन स्तर बढ़ाएंगी और निर्यात-उन्मुख क्षेत्रों में विविधीकरण को बढ़ावा देंगी।
आनंद राठी समूह के मुख्य अर्थशास्त्री एवं कार्यकारी निदेशक सुजान हाजरा ने कहा, ‘‘आरबीआई का रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती का निर्णय हमारे अनुमान के अनुरूप है...। नीतिगत दर कटौती के साथ-साथ आरबीआई ने खुला बाजार परिचालन' (ओएमओ) के जरिये एक लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियां खरीदने और पांच अरब डॉलर की तीन-वर्षीय डॉलर/रुपया खरीद-बिक्री अदला-बदली की घोषणा की है, जिससे नीति में स्पष्ट ढील का रुख दिख रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘नरम मौद्रिक रुख और नकदी प्रवाह रुपये पर दबाव डाल सकते हैं। हालांकि, बॉन्ड खरीद और तीन-वर्षीय डॉलर/रुपया खरीद-बिक्री अदला-बदली घरेलू नकदी की स्थिति को और कड़ा किए बिना डॉलर की बिक्री के माध्यम से मुद्रा बाजारों में हस्तक्षेप करने की आरबीआई की क्षमता को बढ़ाती है।’’
भाषा योगेश