मुर्शिदाबाद में बाबरी शैली की मस्जिद के शिलान्यास में कोई हस्तक्षेप नहीं: अदालत
तान्या नरेश
- 05 Dec 2025, 08:39 PM
- Updated: 08:39 PM
कोलकाता, पांच दिसंबर (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में अयोध्या की बाबरी मस्जिद की तर्ज पर, तृणमूल कांग्रेस के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर द्वारा प्रस्तावित एक मस्जिद के निर्माण में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
अदालत की यह टिप्पणी छह दिसंबर को प्रस्तावित 'बाबरी मस्जिद' के लिए निर्धारित शिलान्यास समारोह से पहले आई है, जो मूल ढांचे के विध्वंस की बरसी भी है।
केंद्र ने कहा कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 19 कंपनियां इस साल अप्रैल में मुर्शिदाबाद जिले में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद क्षेत्र में तैनात की गई थीं। वह अभी भी तैनात हैं और हिंसा की स्थिति में तैयार रहेंगी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजॉय पॉल की खंडपीठ ने प्रस्तावित मस्जिद के शिलान्यास समारोह पर रोक लगाने की अपील वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद निर्देश दिया कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी पश्चिम बंगाल सरकार की होगी।
बृहस्पतिवार को दायर जनहित याचिका में इस आधार पर आयोजन पर रोक लगाने की अपील की गई थी कि इससे क्षेत्र में सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ सकता है।
याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की कि अदालत कबीर की भड़काऊ टिप्पणियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करे जिन्होंने कथित तौर पर सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ा है।
याचिका में कहा गया है, "रिट याचिका मुर्शिदाबाद के बेलडांगा ब्लॉक एक में बाबरी मस्जिद के शिलान्यास को, कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए रोकने से संबंधित है... विधायक एक समुदाय के खिलाफ अशोभनीय और अपमानजनक बातें और अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे सार्वजनिक शांति भंग होती है।"
आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए, याचिकाकर्ता के वकील सब्यसाची मुखर्जी ने कहा कि अदालत ने यह सुनिश्चित किया है कि यदि प्रस्तावित आयोजन के दौरान कानून और व्यवस्था नियंत्रण से बाहर हो जाती है तो राज्य को जिम्मेदारी निभानी होगी।
मुखर्जी ने कहा, "हमने केवल इस कार्यक्रम को लेकर क्षेत्र में शांति भंग होने की आशंका व्यक्त की है। हम कभी किसी को अपनी आस्था का पालन करने से नहीं रोकना चाहते थे। अब राज्य को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई गड़बड़ी न हो। केंद्र ने भी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती की है और उनके बल क्षेत्र में गश्त कर रहे हैं।"
वकील ने कहा कि कबीर ने अदालत में एक शपथ पत्र भी दाखिल किया है जिसमें कहा गया है कि वह ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे हिंसा भड़के।
आदेश को "संविधान की जीत" बताते हुए कबीर ने कहा कि इस मामले पर अदालत के फैसले ने साबित कर दिया है कि वह "सही रास्ते पर" हैं।
नेता ने कहा, "अदालत ने सही कहा है कि कानून और व्यवस्था बनाए रखना राज्य का कर्तव्य है। इस क्षेत्र में कई पुलिस थाने हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त संख्या में पुलिस है कि कानून और व्यवस्था का उल्लंघन न हो। समारोह के दौरान कोई अप्रिय घटना न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए हमारे पास 2000 स्वयंसेवक भी होंगे।"
हालांकि, विधायक ने कहा कि जिले में "बेहरामपुर और प्लासी के बीच 40 किलोमीटर का इलाका" शनिवार दोपहर को "कार्यक्रम में शामिल होने वाले लाखों लोगों से खचाखच भरा रहेगा"।
टीएमसी के राज्य उपाध्यक्ष जय प्रकाश मजूमदार ने कहा कि संभावित कानून-व्यवस्था की समस्या की आशंका में जनहित याचिका दायर की गई थी और जब शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्य की है तो अदालत को हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला।
उन्होंने कहा, "अगर राज्य सरकार को लगता है कि कानून-व्यवस्था की समस्या होगी तो वह उचित कदम उठाएगी। एक तरह से उच्च न्यायालय ने इस बात पर सहमति जताई है कि राज्य को कोई भी कदम उठाने का अधिकार है।"
यह इंगित करते हुए कि सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए पुलिस और प्रशासनिक पूर्वानुमति की आवश्यकता होती है, मजूमदार ने कहा कि उच्च न्यायालय ने कभी नहीं कहा कि उसने कार्यक्रम की अनुमति दी है, केवल यह कहा है कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए क्या करने की आवश्यकता है, इस पर निर्णय लेने के लिए राज्य सक्षम प्राधिकार है।
पार्टी के आंतरिक मामलों सहित अन्य मामलों पर विवादास्पद बयानों से अतीत में सुर्खियों में रहे कबीर को बृहस्पतिवार को तृणमूल कांग्रेस ने "सांप्रदायिक राजनीति" में शामिल होने के लिए निलंबित कर दिया था।
निलंबित नेता ने बाद में विधायक पद से इस्तीफा देने और इस महीने के अंत में अपनी पार्टी शुरू करने के अपने फैसले की घोषणा की।
भाषा तान्या