ममता बंगाल में एसआईआर में बाधा डालने की कोशिश कर रहीं, तृणमूल के गुंडे बीएलओ को धमका रहे:भाजपा
पारुल अविनाश
- 21 Nov 2025, 07:40 PM
- Updated: 07:40 PM
नयी दिल्ली, 21 नवंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी पर राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में बाधा डालने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
भाजपा ने निर्वाचन आयोग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि पश्चिम बंगाल में एसआईआर की प्रक्रिया बिहार की तरह ही “सुचारु और पारदर्शी” ढंग से पूरी हो।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान ने दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि “तृणमूल कांग्रेस के गुंडे” पश्चिम बंगाल में बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) को धमका रहे हैं और उनसे निर्वाचन आयोग के निर्देशों की अनदेखी करने को कह रहे हैं।
पासवान ने आरोप लगाया कि तृणमूल सुप्रीमो मतदाता सूची की सफाई की कवायद पर इसलिए आपत्ति जता रही हैं, क्योंकि “घुसपैठिये उनके वोट बैंक का हिस्सा हैं।”
ममता ने बृहस्पतिवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि राज्य में एसआईआर “अनियोजित और बलपूर्वक” तरीके से किया जा रहा है, जिससे नागरिकों और अधिकारियों के समक्ष खतरा पैदा हो रहा है। उन्होंने दावा किया कि यह प्रक्रिया “चिंताजनक” और “खतरनाक” स्थिति में पहुंच गई है, लिहाजा “तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई” किए जाने की जरूरत है।
ममता के दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए पासवान ने कहा, “पश्चिम बंगाल में पत्रों का खेल खेला जा रहा है और पूरी तरह से संवैधानिक प्रक्रिया पर संदेह जताया जा रहा है।”
उन्होंने कहा, “बिहार चुनाव में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ को हार का सामना करना पड़ा और हमने देखा कि वे इसे शालीनता के साथ स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि एसआईआर एक स्पष्ट, ऐतिहासिक और संवैधानिक प्रक्रिया है।”
पासवान ने इस बात को रेखांकित किया कि संविधान के अनुच्छेद 324-325 के तहत एसआईआर निर्वाचन आयोग का विशेषाधिकार है। उन्होंने कहा, “इसके बावजूद, एसआईआर के इर्द-गिर्द जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है और संविधान की भावना तथा संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ है।”
भाजपा प्रवक्ता ने कहा, “आप संविधान के नाम पर राजनीति करते हैं, लेकिन जब आपको मौका मिलता है, तो आप उसका अपमान करते हैं।”
उन्होंने आरोप लगाया कि “तृणमूल कांग्रेस के गुंडे और “अपराधी” बूथ स्तर के अधिकारियों-जो राज्य सरकार के कर्मचारी हैं-को धमका रहे हैं तथा उनसे निर्वाचन आयोग के निर्देशों की अनदेखी करने को कह रहे हैं।
पासवान ने कहा, “कल्पना कीजिए कि उन कर्मचारियों की मानसिक स्थिति क्या होगी, जिन्हें ऐसी धमकियां मिल रही हैं। राज्य प्रायोजित गुंडे और अपराधी बीएलओ को डरा-धमका रहे हैं। बिहार में एसआईआर की प्रक्रिया बिना किसी दावे या आपत्ति के शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई।”
उन्होंने सवाल किया, “जब बिहार में यह (एसआईआर) इतने शांतिपूर्ण ढंग से हुआ और अन्य राज्यों में भी शांतिपूर्वक हो रहा है, तो ममता बनर्जी कौन होती हैं इस संवैधानिक प्रक्रिया में बाधा डालने वाली? वह कौन होती हैं वास्तविक मतदाताओं को उनके मताधिकार से वंचित करने वाली?”
पासवान ने निर्वाचन आयोग से संवैधानिक गरिमा के उल्लंघन के किसी भी प्रयास को बर्दाश्त न करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, “आपको (निर्वाचन आयोग को) यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एसआईआर की प्रक्रिया में कोई बाधा न आए। जरूरत हो तो अतिरिक्त बल तैनात करें। जरूरत हो तो अपने प्रशासनिक तंत्र को और सुव्यवस्थित करें।”
भाजपा प्रवक्ता ने कहा, “सुनिश्चित करें कि लोगों के अधिकार तुष्टिकरण की राजनीति की भेंट न चढ़ाए जाएं। निर्वाचन आयोग को सुनिश्चित करना चाहिए कि यह प्रक्रिया सुचारु और पारदर्शी तरीके से हो, जैसा कि बिहार में किया गया और जैसा कि अन्य राज्यों में किया जा रहा है।”
उन्होंने दावा किया कि जैसे ही पश्चिम बंगाल में एसआईआर कराने की घोषणा हुई, “घुसपैठिये” झुंड में अपने देश लौटने लगे।
पासवान ने कहा, “इससे साबित होता है कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी को कोलकाता क्षेत्र, उत्तर परगना और दक्षिण परगना में (मतदान के दौरान) बढ़त इसलिए मिलती है, क्योंकि उन्होंने घुसपैठियों को अपना ‘वोट बैंक’ बना लिया है। यह उनकी ‘वोट बैंक’ और तुष्टिकरण की राजनीति का नतीजा है।”
उन्होंने कहा, “तुष्टिकरण की राजनीति की अनुमति नहीं दी जा सकती। केवल देश के नागरिकों को ही वोट देने का अधिकार है।”
भाषा पारुल