झारखंड: मुठभेड़ में इनामी नक्सली मारा गया, सीआरपीएफ के जवान की भी जान गई
जोहेब सुभाष
- 16 Jul 2025, 07:01 PM
- Updated: 07:01 PM
(फोटो के साथ)
बोकारो/रांची, 16 जुलाई (भाषा) झारखंड के बोकारो जिले में बुधवार सुबह हुई मुठभेड़ में पांच लाख रुपये का इनामी नक्सली मारा गया और इस दौरान केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक जवान की भी जान चली गई। पुलिस ने यह जानकारी दी।
मुठभेड़ के दौरान एक आम नागरिक की भी जान चली गई। पुलिस ने पहले उसकी पहचान एक अन्य नक्सली के रूप में की थी।
पुलिस ने बताया कि गोमिया थाना क्षेत्र के बिरहोर डेरा जंगल में सुबह करीब साढ़े पांच बजे सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ शुरू हुई।
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनुराग गुप्ता ने बताया कि गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए सीआरपीएफ और जिला पुलिस ने जंगल में छापेमारी की।
उन्होंने कहा, ‘‘नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई मुठभेड़ में पांच लाख रुपये का इनामी नक्सली कुंवर मांझी मारा गया।’’
गुप्ता ने बताया कि मुठभेड़ में जान गंवाने वाले सीआरपीएफ के जवान की पहचान असम के कोकराझार निवासी परनेश्वर कोच के रूप में हुई है।
उन्होंने बताया कि घटनास्थल से एक एके-47 राइफल बरामद की गई है और तलाश अभियान अब भी जारी है।
गुप्ता ने कहा कि झारखंड की 95 प्रतिशत नक्सल समस्या समाप्त हो चुकी है।
उन्होंने कहा, "जनवरी से अब तक 20 से अधिक शीर्ष नक्सली या तो मारे गए हैं या गिरफ्तार किए गए हैं या फिर उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया है।"
सीआरपीएफ जवान का पार्थिव शरीर रांची लाया गया और पुष्पांजलि अर्पित की गई।
झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार और मुख्य सचिव अलका तिवारी समेत राज्य के शीर्ष अधिकारियों ने रांची में स्थित सीआरपीएफ की 133 बटालियन मुख्यालय में जवान के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित की।
राज्यपाल ने कहा, "एक बहादुर जवान ने अपने प्राणों की आहुति दी है। हम जवान के परिवार के साथ हैं।"
गंगवार ने कहा, "झारखंड में इस तरह की घटनाओं में कमी आई है और हमने इस साल तक इसे पूरी तरह से खत्म करने का फैसला किया है।"
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अब पार्थिव शरीर जवान के घर भेजा जाएगा।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सीआरपीएफ जवान की जान जाने पर शोक व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि असम के लोग उनके बलिदान को नमन करते हैं।
उन्होंने कहा, "हम हमेशा उनके (परिवार) समर्थन के लिए मौजूद रहेंगे और यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा क्योंकि हमारे जवान धरती से नक्सलवाद को खत्म करने के लिए अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर रहे हैं।"
भाषा जोहेब