संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के खिलाफ पर जवाबदेही का अभाव शांति प्रयासों को कमजोर करता है: भारत
पारुल माधव
- 16 Jul 2025, 09:49 PM
- Updated: 09:49 PM
(योषिता सिंह)
संयुक्त राष्ट्र, 16 जुलाई (भाषा) भारत ने संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के खिलाफ अपराधों को लेकर जवाबदेही सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता पर बल देते हुए कहा है कि दंड से मुक्ति अपराधियों के हौसले बढ़ाती है और वैश्विक शांति प्रयासों को कमजोर करती है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी हरीश ने मंगलवार को कहा, "संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों को खतरनाक क्षेत्रों में काम करते समय भारी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन अधिकांश मामलों में, इन अपराधों के लिए कोई सजा नहीं मिलती है।"
उन्होंने कहा कि जवाबदेही की यह कमी हमलावरों के हौसले बढ़ाकर अंतरराष्ट्रीय शांति प्रयासों को गंभीर रूप से कमजोर करती है।
हरीश शांति सैनिकों के खिलाफ अपराधों को लेकर जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए मित्र समूह (जीओएफ) की एक उच्च-स्तरीय बैठक को संबोधित कर रहे थे। शांति सैनिकों के खिलाफ अपराधों को लेकर जवाबदेही के लिए गठित जीओएफ की सह-अध्यक्षता भारत और अन्य प्रमुख देश करते हैं।
हरीश ने कहा, "जवाबदेही एक रणनीतिक आवश्यकता है... संयुक्त राष्ट्र कर्मियों के खिलाफ अपराधों के लिए जिम्मेदारी सुनिश्चित करना अंतरराष्ट्रीय शांति प्रयासों की अखंडता और प्रभावशीलता के लिए आवश्यक है।"
उन्होंने कहा कि शांति सैनिकों की सुरक्षा सीधे तौर पर न्याय से बेहतर होती है, जिससे उन्हें अपने महत्वपूर्ण मिशनों को पूरा करने में मदद मिलती है और "इस दायित्व को पूरा करना हमारा साझा कर्तव्य है।"
बैठक में संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले बहादुरी से सेवा करने वालों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के वास्ते जीओएफ की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।
इसमें कहा कि शांति सैनिकों के खिलाफ अपराधों को लेकर जवाबदेही केवल व्यक्तियों के लिए न्याय का मामला नहीं है, बल्कि यह विश्वभर में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों की प्रभावशीलता, विश्वसनीयता और भविष्य का आधार भी है।
भारत संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में सबसे अधिक सैनिक भेजने वाला देश है। उसके अब तक 3,00,000 से अधिक शांति सैनिकों को विभिन्न अभियानों के लिए तैनात किया गया है। इनमें से 182 भारतीय शांति सैनिकों ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए सर्वोच्च बलिदान दे दिया।
भाषा पारुल