राज्यसभा में उठा डॉक्टरों की सुरक्षा का मुद्दा, राष्ट्रीय कानून बनाने की मांग की गई
मनीषा अविनाश
- 04 Dec 2025, 05:08 PM
- Updated: 05:08 PM
नयी दिल्ली, चार दिसम्बर (भाषा) राज्यसभा सदस्य फौज़िया खान ने बृहस्पतिवार को डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कानून बनाने की मांग की।
राकांपा (शरद पवार) की नेता खान ने उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान कहा कि डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी जीवनरक्षक होते हैं और लोग उन पर ईश्वर के बाद सर्वाधिक भरोसा करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आज यही डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी धमकाए जा रहे हैं, उन पर हमले हो रहे हैं, उन्हें गालियां दी जा रही हैं और भीड़ द्वारा घेरा भी जा रहा है।’’
उन्होंने कहा कि समस्या का स्तर इतना बड़ा है कि उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भारतीय चिकित्सा एसोसिएशन के एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि 75 प्रतिशत डॉक्टर अपने जीवन में किसी न किसी प्रकार की हिंसा का सामना कर चुके हैं।
खान ने कहा ‘‘यह समस्या किसी एक राज्य तक सीमित नहीं है। यह पूरे देश में फैली हुई है। बार-बार हमलों के कारण डॉक्टर आपातकालीन या ट्रॉमा ड्यूटी करने से कतराने लगे हैं। और स्वाभाविक है कि जब डॉक्टर खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते, तो इसका खामियाजा अंततः मरीजों को उठाना पड़ता है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पर्याप्त तत्परता नहीं दिखा रही है। उनके अनुसार, समस्या की जड़ सरकारी अस्पतालों में भीड़, बुनियादी सुरक्षा का अभाव, खराब सीसीटीवी और प्रशिक्षित सुरक्षा कर्मियों की कमी है।
खान ने कहा कि कई बार परिजन घबराए, हताश और असहाय होकर आपातकालीन कक्ष में पहुंचते हैं, और ऐसे क्षणों में संवाद की छोटी सी चूक भी खतरनाक स्थिति उत्पन्न कर सकती है।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में गहरे संरचनात्मक अभावों के कारण कई बार देरी होती है, और मौजूदा राज्य कानून असंगत और कमजोर रूप से लागू होते हैं। साथ ही वर्तमान व्यवस्था चिकित्सा जटिलताओं, प्रतिकूल परिणामों और आपराधिक लापरवाही के बीच सही अंतर नहीं कर पाती।
खान ने कहा कि कई बार बिना समीक्षा के डॉक्टरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर दी जाती है और पुलिस, जिसे चिकित्सा प्रशिक्षण नहीं होता, जटिल नैदानिक मामलों की जांच करती है।
उन्होंने उल्लेख किया कि स्वास्थ्य एक समवर्ती विषय है और इस कारण संसद को राष्ट्रीय कानून बनाने का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें एक प्रभावी राष्ट्रीय डॉक्टर एवं स्वास्थ्यकर्मी सुरक्षा और संरक्षण अधिनियम की आवश्यकता है।’’
खान ने यह भी कहा कि देश में ऐसे स्वास्थ्य और चिकित्सा न्यायाधिकरणों की जरूरत है, जिनमें विधि विशेषज्ञ, विषय विशेषज्ञ, चिकित्सक, सर्जन और फॉरेंसिक विशेषज्ञ शामिल हों। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के बजट में वृद्धि की भी आवश्यकता पर बल दिया।
भाषा मनीषा