वाणिज्यिक एवं औद्योगिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 2030 तक 60 से 80 गीगावाट होने का अनुमान
निहारिका रमण
- 04 Dec 2025, 04:17 PM
- Updated: 04:17 PM
नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) वाणिज्यिक एवं औद्योगिक (सीएंडआई) खंड के तहत देश की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 2030 तक बढ़कर 60 से 80 गीगावाट होने का अनुमान है। इसमें से इस साल छह गीगावाट से अधिक क्षमता की परियोजनाएं स्थापित हो जाएंगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
वाणिज्यिक एवं औद्योगिक (सीएंडआई) खंड में कारखाने, कार्यालय भवन, खुदरा स्टोर, स्कूल और अस्पताल जैसे गैर-आवासीय बिजली उपभोक्ता आते हैं। वे या तो अपनी जमीन या परिसर में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित कर सकते हैं या डेवलपर उनके लिए हरित ऊर्जा की आपूर्ति हेतु संयंत्र स्थापित कर सकते हैं।
‘सीआईआई इंडियाएज कार्यक्रम’ में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा सचिव संतोष कुमार सारंगी ने कहा, ‘‘ सीएंडआई अनुबंध के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा का प्रचलन भी बढ़ेगा। हमने पिछले कुछ वर्ष में व्यापार में वृद्धि देखी है और मेरा मानना है कि इस वर्ष ही सीएंडआई की छह गीगावाट से अधिक क्षमता की परियोजनाएं स्थापित हो जाएंगी। ’’
अधिकारी ने कहा कि 2030 तक सीएंडआई आरई क्षमता 60 गीगावाट से 80 गीगावाट के बीच होगी।
सारंगी ने कहा, ‘‘ अगर हमारा डेटा सेंटर अनुमान स्थिर रहता है तो डेवलपर द्वारा वाणिज्यिक एवं औद्योगिक उपभोक्ताओं को लगभग 60 गीगावाट से 80 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उपलब्ध कराई जाएगी। इसी तरह वितरित नवीकरणीय ऊर्जा का भी बहुत बड़े पैमाने पर विस्तार होने वाला है। हमने पिछले कुछ वर्ष में इसमें व्यापक स्तर पर वृद्धि देखी है।’’
सचिव ने कहा कि 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त करने के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है। इस वर्ष पीएम-कुसुम और पीएम सूर्याघर योजनाओं से करीब नौ गीगावाट क्षमता वृद्धि पहले ही हो चुकी है और हमारा अनुमान है कि वर्ष के अंत तक यह लगभग 12 गीगावाट तक पहुंच जाएगी।
उन्होंने कहा कि हालांकि भारत के वृद्धि अनुमानों को देखते हुए यदि जीडीपी वृद्धि अनुमान कुछ समय तक साढ़े छह प्रतिशत या उससे अधिक तक कायम रहता है तो हमारी बिजली की मांग में तीव्र वृद्धि होगी और उस सीमा तक इस मांग को पूरा करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का योगदान महत्वपूर्ण होने जा रहा है।
सारंगी ने कहा, ‘‘ हमने पारेषण एवं वितरण स्तर पर बैटरी के समावेश के लिए एक वीजीएफ (परियोजना को व्यवहारिक बनाने के लिए वित्त पोषण) योजना पहले ही शुरू कर दी है...। हमारा न्यूनतम लागत वाला मार्ग बताता है कि हमें 2047 तक लगभग 240 गीगावाट घंटा बैटरी भंडारण क्षमता जोड़ने की आवश्यकता है और उस सीमा तक बैटरी प्रौद्योगिकी को शीघ्रता से अपनाने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हमें जून 2026 तक 65 गीगावाट सौर मॉड्यूल तक पहुंचने की उम्मीद है और हम ऐसे तरीकों पर काम कर रहे हैं जिनसे मॉड्यूल में इस उपलब्धि को इन्गोट एवं पॉलीसिलिकॉन की विनिर्माण क्षमता से पूरक बनाया जा सके।’’
भाषा निहारिका