केरल के दो विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्त पर सहमति बनाएं, वरना अदालत फैसला लेगी: न्यायालय
जोहेब नरेश
- 05 Dec 2025, 03:51 PM
- Updated: 03:51 PM
नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि केरल में दो प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के चयन को लेकर अगर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और राज्यपाल व कुलाधिपति राजेंद्र अर्लेकर के बीच सहमति नहीं बन पाती है तो वह समाधान के लिए मामले में हस्तक्षेप करेगा।
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और डिजिटल विज्ञान नवाचार एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपतियों की नियुक्ति से संबंधित मामले पर सुनवाई कर रही थी।
पीठ ने राज्यपाल की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि और मुख्यमंत्री का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता को गतिरोध समाप्त करने के लिए सर्वसम्मति से कोई समाधान खोजने का निर्देश दिया।
वेंकटरमणि ने कहा कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुधांशु धूलिया समिति ने दो नामों की सूचियां पेश की थीं और कुलाधिपति ने दो नाम चुने थे।
अटॉर्नी जनरल ने कहा, “मुख्यमंत्री को कुछ नाम से दिक्कत है। कुछ एक जैसे नाम हैं।”
अधिवक्ता गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री को नामंजूर नाम ही वह एकमात्र नाम है जो राज्यपाल-कुलाधिपति को मंजूर है।”
गुप्ता ने कहा, “मुझे लगता है कि अदालत को इसका समाधान निकालना चाहिए।”
न्यायमूर्ति पारदीवाला ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं से कहा कि न्यायमूर्ति धूलिया की अध्यक्षता वाली समिति ने दो विश्वविद्यालयों के लिए चार-चार नाम की सिफारिश की थी, और राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री को दोनों सूचियों में से सबसे योग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति करनी चाहिए।
अदालत ने कहा कि अगर नौ दिसंबर तक सहमति नहीं बनी तो वह स्वयं हस्तक्षेप करते हुए नियुक्तियां करेगी। अदालत ने कहा कि “मंगलवार तक सहमति बना लें, नहीं तो हम ही कुलपतियों की नियुक्ति करेंगे और मामला सुलझा देंगे।”
अदालत ने मामला बृहस्पतिवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
इससे पहले 28 नवंबर को उच्चतम न्यायालय ने कुलपतियों की नियुक्ति पर सुधांशु धूलिया समिति की रिपोर्ट को राज्यपाल और कुलाधिपति राजेंद्र आर्लेकर द्वारा ‘नहीं देखे जाने’ पर गंभीर आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह कोई साधारण कागज का टुकड़ा नहीं है और उन्हें इस पर निर्णय लेना ही होगा।
अदालत ने केरल के राज्यपाल से एक सप्ताह में रिपोर्ट पर निर्णय करने और पांच दिसंबर को शीर्ष न्यायालय को निर्णय से अवगत कराने के लिए कहा।
शीर्ष अदालत ने यह आदेश तब दिया जब केरल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने शिकायत की कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने न्यायमूर्ति धूलिया समिति की रिपोर्ट के आधार पर एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एवं डिजिटल विज्ञान, नवाचार एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपतियों की नियुक्ति के लिए अपनी सिफारिशें राज्यपाल-सह-कुलाधिपति को भेज दी थी, लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
पीठ ने कहा कि 18 अगस्त के आदेश के अनुपालन में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) धूलिया ने आवश्यक कार्यवाही की और तदनुसार एक रिपोर्ट तैयार की है।
केरल के राज्यपाल ने कुलपतियों की चयन प्रक्रिया से विजयन को बाहर रखने के लिए दो सितंबर को उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।
राज्यपाल ने कहा था कि दोनों विश्वविद्यालयों में से किसी ने भी चयन प्रक्रिया में मुख्यमंत्री की कोई भूमिका नहीं देखी है।
‘गतिरोध’ को समाप्त करने के लिए, 18 अगस्त को उच्चतम न्यायालय ने पूर्व न्यायाधीश धूलिया को कुलपतियों की नियुक्ति के लिए गठित एक पैनल का प्रमुख नियुक्त किया।
न्यायमूर्ति धूलिया नौ अगस्त को शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हो गए।
शीर्ष अदालत ने 30 जुलाई को केरल सरकार और राज्यपाल की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि से दोनों विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति के विवाद को सुलझाने के लिए ‘सामंजस्यपूर्ण तरीके से कोई तंत्र तैयार करने’ को कहा था।
कुलाधिपति ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ के उस आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था जिसमें एकल न्यायाधीश के 27 नवंबर, 2024 की अधिसूचना को रद्द करने के खिलाफ दायर याचिका का निपटारा किया गया था, जिसमें कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के. शिवप्रसाद को एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया था।
केरल सरकार ने अधिसूचना को उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए कहा कि अधिसूचना में कहा गया है कि नियुक्ति अगले आदेश तक के लिए है, जबकि एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2015 की धारा 13 (7) में कहा गया है कि नियुक्ति ‘कुल मिलाकर छह महीने से अधिक की अवधि के लिए नहीं होगी।
भाषा जोहेब