जम्मू-कश्मीर में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ऊपरी आयु सीमा बढ़ाने को मंजूरी दें राज्यपाल: पीडीपी
जितेंद्र नरेश
- 05 Dec 2025, 03:35 PM
- Updated: 03:35 PM
श्रीनगर, पांच दिसंबर (भाषा) पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने शुक्रवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा के लिए ऊपरी आयु सीमा बढ़ाने की मांग वाले प्रस्ताव को मंजूरी देने का आग्रह किया।
पीडीपी विधायक वहीद-उर-रहमान परा ने कहा कि सात दिसंबर को होने वाली परीक्षा से पहले मंजूरी, उन युवा अभ्यर्थियों के प्रति करुणा, निष्पक्षता और संवेदनशीलता को दर्शाएगी, जिन्होंने कई असफलताएं झेली हैं।
जम्मू-कश्मीर सरकार ने 10 नवंबर को केंद्र शासित प्रदेश की संयुक्त प्रतियोगी परीक्षाओं में ‘ओपन मेरिट’ (योग्यता के आधार पर सभी अभ्यर्थियों के लिए खुली) के अभ्यर्थियों के लिए ऊपरी आयु सीमा में ढील देकर 35 वर्ष कर दिया।
पहले यह आयु सीमा 30 वर्ष थी।
आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम आयु सीमा 37 वर्ष और दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए 38 वर्ष निर्धारित की गई है।
परा ने कहा, “मैं आपको जम्मू-कश्मीर के उन अनगिनत युवाओं की ओर से लिख रहा हूं, जो लंबे समय से जम्मू-कश्मीर संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा 2025 की तैयारी कर रहे हैं, जो अब से केवल दो दिन बाद होने वाली है।
उन्होंने कहा, “यह समझा जाता है कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने उन अभ्यर्थियों के लिए आयु में छूट की मांग करते हुए एक औपचारिक प्रस्ताव भेजा है, जिन्होंने अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण अपनी तैयारी के बहुमूल्य वर्ष गंवा दिए हैं।’’
पीडीपी विधायक ने उपराज्यपाल सिन्हा को संबोधित करते हुए एक पत्र में कहा, “जम्मू-कश्मीर सरकार के मंत्रियों ने बार-बार कहा है कि प्रस्ताव सभी प्रक्रियात्मक पहलुओं में पूर्ण है और अब इसे केवल आपके विचार और मंजूरी की आवश्यकता है।”
उन्होंने कहा, चूंकि उपराज्यपाल द्वारा कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया इसलिए लंबी चुप्पी ने उन अभ्यर्थियों के बीच ‘अनिश्चितता और गंभीर संकट’ पैदा कर दिया है, जो एक निष्पक्ष अवसर की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
पीडीपी नेता ने कहा, “इस न्यायोचित और व्यापक रूप से समर्थित अनुरोध में अधिक विलंब या इनकार से अभ्यर्थियों में निराशा की भावना और गहरी हो सकती है, खासकर ऐसे समय में जब संस्थानों में जनता का विश्वास बहाल करना बेहद जरूरी है। समय पर लिया गया सकारात्मक निर्णय न केवल एक प्रशासनिक मामले को सुलझाएगा बल्कि हमारे युवाओं के लिए प्रतीकात्मक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण होगा।”
उन्होंने कहा कि परीक्षा से पहले मंजूरी उन युवा अभ्यर्थियों के प्रति करुणा, निष्पक्षता और संवेदनशीलता को दर्शाएगी, जिन्होंने कई असफलताएं झेली हैं।
भाषा जितेंद्र