रुबैया सईद अपहरण: अदालत ने शांगलू को रिहा किया, हिरासत संबंधी सीबीआई की याचिका खारिज
सुभाष पवनेश
- 02 Dec 2025, 09:09 PM
- Updated: 09:09 PM
जम्मू, दो दिसंबर (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को मंगलवार को एक बड़ा झटका देते हुए एक विशेष अदालत ने 1989 में जम्मू कश्मीर के तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण के सिलसिले में एक दिन पहले गिरफ्तार किये गए शफात अहमद शांगलू को रिहा कर दिया।
शांगलू को विशेष टाडा अदालत में पेश किया गया, जहां सीबीआई ने उसकी न्यायिक हिरासत का अनुरोध करते हुए दावा किया कि वह रुबैया अपहरण मामले में वांछित है।
आरोपी का प्रतिनिधित्व वकीलों की एक टीम ने किया, जिसमें अधिवक्ता अनिल रैना, सुहैल डार और योगेश बख्शी शामिल थे, जिन्होंने दलील दी कि शांगलू सीबीआई द्वारा कभी भी वांछित नहीं था और उन्होंने एजेंसी का आरोपपत्र भी पेश किया, जिसमें जांच अधिकारी (आईओ) का मानना था कि उसके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता।
रैना और डार ने सुनवाई के बाद पत्रकारों को बताया कि शांगलू को रिहा कर दिया गया है क्योंकि सीबीआई की सभी दलीलें "असत्य" पाई गईं।
राहत महसूस कर रहे शांगलू ने बाद में पत्रकारों को बताया कि वह एक व्यवसायी हैं और उसे 2016 में श्रीनगर में पासपोर्ट जारी किया गया था।
उसने कहा, ‘‘मैं कभी किसी मामले में शामिल नहीं रहा। मैंने दिल्ली में लगभग 10 साल बिताए और अपने व्यवसाय के सिलसिले में कश्मीर और दिल्ली के बीच अक्सर यात्रा करता रहा।’’
उसने कहा कि उसे उचित पुलिस सत्यापन के बाद 2016 में श्रीनगर में पासपोर्ट जारी किया गया था।
यह पूछे जाने पर कि सीबीआई ने दावा किया है कि शांगलू एक फरार आरोपी है और उस पर 10 लाख रुपये का नकद इनाम है, बचाव पक्ष के वकीलों ने इसे ‘‘मीडिया ट्रायल’’ करार दिया और कहा, ‘‘हम अदालती सुनवाई में विश्वास करते हैं।’’
निर्दिष्ट अदालत के समक्ष अपनी अर्जी में, शांगलू ने कहा कि वह कभी भी किसी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं रहा है, न ही वह किसी आतंकवादी संगठन का सदस्य है, और उसे इस मामले में ‘‘फंसाया’’ गया है।
अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, 8 दिसंबर 1989 को हुए अपहरण के सिलसिले में शांगलू को न्यायिक हिरासत में भेजने से इनकार कर दिया।
हिरासत में भेजने संबंधी सीबीआई की याचिका को खारिज करते हुए, विशेष अदालत ने कहा कि मामले में एजेंसी द्वारा दाखिल आरोपपत्र में उसका कोई उल्लेख नहीं था।
सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर 35 साल पुराने मामले में श्रीनगर के निशात इलाके में शांगलू को उसके आवास से गिरफ्तार किया और दावा किया कि वह प्रतिबंधित जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के सदस्यों द्वारा रची गई साजिश का हिस्सा था और फरार था।
अधिकारियों के अनुसार, शांगलू कथित तौर पर जेकेएलएफ का पदाधिकारी था और इसके वित्तीय मामलों को संभालता था।
सीबीआई ने जम्मू कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर शांगलू को श्रीनगर के निशात इलाके में उसके आवास से गिरफ्तार किया था। मलिक, जो आतंकी वित्तपोषण मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है, को गृह मंत्रालय के आदेश के कारण अदालत में पेश नहीं किया जा रहा है। मंत्रालय के आदेश के तहत मलिक की आवाजाही पर प्रतिबंध है।
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