राजस्थान में भूजल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्राधिकरण बनेगा
पृथ्वी सुरभि
- 10 Sep 2025, 10:14 PM
- Updated: 10:14 PM
जयपुर, 10 सितंबर (भाषा) राजस्थान भू-जल (संरक्षण और प्रबंध) प्राधिकरण विधेयक 2024 बुधवार को विधानसभा में ध्वनिमत से पारित हुआ।
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूजल मंत्री कन्हैया लाल ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि जल हमारे जीवन का मूल आधार है लेकिन राजस्थान जल संकट से जूझ रहा है इसलिए वर्तमान में भू-जल का संरक्षण, संवर्धन व उचित प्रबंधन अति आवश्यक हो गया है। हम सभी का नैतिक दायित्य है कि भू-जल बचाने के लिए सामूहिक रूप से आगे बढ़ें।
श्री कन्हैया लाल ने कहा कि भू-जल स्तर बनाये रखने व बढ़ोतरी करने, भू-जल के पुनर्भरण, जल के उचित उपयोग एवं जल संसाधनों के संरक्षण एवं प्रबंधन के लिए राज्य प्राधिकरण का गठन किया जा रहा है। इससे भू-जल संसाधनों का उचित, न्यायसंगत तथा सतत उपयोग एवं प्रबंधन विनियमन के माध्यम से सुनिश्चित होगा। भू-जल दोहन दर का निर्धारण भी हो सकेगा।
भू-जल मंत्री ने कहा कि प्रत्येक जिले में जिला भू-जल संरक्षण और प्रबंध समिति होगी, जो भू-जल परिस्थितियों के अनुरूप भू-जल संरक्षण एवं प्रबंधन योजनाएं तैयार करेगी। इन योजनाओं में स्थान विशेष के लिए भू-जल संरक्षण एवं संवर्धन पर निर्णय लिए जाएंगे।
विधेयक के अनुसार, प्राधिकरण राज्य के किसी भी क्षेत्र के लिए जल की मांग और आपूर्ति के समस्त पहलुओं पर सुझाव दे सकेगा। प्राधिकरण में स्वीकृति देने के लिए एक ढांचा तैयार होगा। जागरूकता और वैज्ञानिक आंकड़ों की सूचना का प्रचार करने के लिए रिपोर्ट प्रकाशित की जाएगी। प्राधिकरण भू-जल उपयोग और गुणवत्ता मापने, प्रवर्तन और निगरानी के लिए प्रणाली की स्थापना के सम्बंध में सरकार को सिफारिश करेगा।
विधेयक के अनुसार बिना स्वीकृति के नयी भू-जल निकासी संरचना के निर्माण, प्राधिकरण की शर्तों के उल्लंघन, भू-जल की गुणवत्ता को विदोहित, बिना स्वीकृति निकासी के लिए ड्रिल/खुदाई करने, जल अवसंरचनाओं को क्षति पहुंचाने आदि पर प्राधिकरण कार्रवाई कर सकेगा। विधेयक के अनुसार, कोई भी निकाय या व्यक्ति अप्राधिकृत कार्यों के उल्लंघन का दोषी पाया जाता है तो प्राधिकरण जुर्माना लगा सकेगा।
विधेयक के अनुसार अधिनियम के अधीन जारी निर्देश या आदेश का अनुपालन नहीं करने पर न्यायालय द्वारा कार्रवाई की जा सकेगी। इसमें पहले अपराध पर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लगेगा। इसके बाद पुनः दोषसिद्धि पर छह माह तक का कारावास या एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों कार्रवाई की जाएगी।
भाषा पृथ्वी