राजग सरकार ने एमएसपी दोगुना किया, फसल खरीद चार गुना बढ़ाई: शिवराज सिंह चौहान
ा माधव अविनाश
- 05 Dec 2025, 06:46 PM
- Updated: 06:46 PM
नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने न केवल फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) उनकी उत्पादन लागत से दोगुना तय किया है, बल्कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संपग्र) सरकार की तुलना में खरीद भी चार गुना बढ़ाई है।
उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान चौहान ने फसलों के एमएसपी से संबंधित पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि पिछली संप्रग सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत बढ़ोतरी देने से इनकार कर दिया था।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 2019 में इन सिफारिशों को स्वीकार करने और उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत ‘मार्जिन’ के साथ एमएसपी देने का निर्णय किया।
एमएसपी का मुद्दा उठाते हुए राजस्थान से कांग्रेस सांसद मुकुल बालकृष्ण वासनिक ने पूछा कि क्या किसान एमएसपी के तहत कानूनी गारंटी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, क्या सरकार इस पर कोई कानून लाने पर विचार कर रही है और क्या वह ऐसी गारंटी देने के लिए तैयार है?
चौहान ने कहा कि मोदी सरकार ने फसल उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ लागत कम करने के प्रयास किए हैं, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया है कि किसानों से फसलों की खरीद सही कीमत पर हो।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने एमएसपी को संप्रग सरकार की तुलना में दोगुना कर दिया है।
कृषि मंत्री ने कई उदाहरण देते हुए कहा कि संप्रग सरकार ने 2013-14 में धान के लिए 1,310 रुपये एमएसपी दिया था, जबकि मोदी सरकार ने 2,369 रुपये देने का निर्णय लिया है। इसी तरह, ज्वार (सफेद बाजरा) का खरीद मूल्य संप्रग शासनकाल के दौरान 1,500 रुपये से बढ़ाकर 3,699 रुपये कर दिया गया है।
चौहान ने 10 साल के संप्रग शासन (2004–2014) के दौरान फसल खरीद की तुलना वर्तमान राजग शासन से करते हुए दावा किया कि फसल खरीद चार गुना बढ़ी है।
वासनिक ने कहा कि कृषि मंत्री ने लंबा उत्तर दिया, लेकिन उनके प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया गया। कांग्रेस सदस्य के अनुसार, राजग के 11 वर्षों के शासन में 1,12,000 किसानों ने आत्महत्या की है और कृषि ऋण 28.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि 15 नवंबर 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महाराष्ट्र में एक सार्वजनिक रैली में घोषणा की थी कि सोयाबीन को 6,000 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी पर खरीदा जाएगा, लेकिन यह कीमत अभी तक नहीं दी गई है।
वासनिक ने सरकार द्वारा एमएसपी तय करने में इस्तेमाल किए जाने वाले फॉर्मूले पर सवाल किया। इस पर चौहान ने दोहराया कि संप्रग सरकार ने स्वामीनाथन सिफारिश को खारिज कर दिया था, जबकि राजग उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत लाभ के साथ एमएसपी देता है।
कृषि मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार, जो एमएसपी योजना के तहत रिकॉर्ड मात्रा में फसलों की खरीद कर रही है, ने तूर, मसूर और उड़द आदि के उत्पादन का 100 प्रतिशत खरीदने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कांग्रेस-शासित कर्नाटक सरकार पर फसल खरीद मानकों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया और कहा कि किसानों का कल्याण केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
चौहान ने यह भी कहा कि जहाँ संप्रग सरकार ने किसानों से सब्जियाँ और फल नहीं खरीदे, वहीं उनकी सरकार ने बाज़ार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के तहत टमाटर, आलू और प्याज के साथ-साथ सेब, अंगूर, लाल मिर्च और अदरक भी खरीदे हैं।
उन्होंने कहा, “हम कुछ फसलों पर एमएसपी से 50 प्रतिशत से अधिक दे रहे हैं”।
प्रश्नकाल के दौरान मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी सांसद जॉन ब्रिटास ने पूरक प्रश्न पूछा कि क्या एमएसपी के तहत शामिल फसलों की संख्या बढ़ाने की मांग आयी है और क्या कृषि लागत और मूल्य आयोग ने एमएसपी कवरेज बढ़ाने की सिफारिश की गयी है?
माकपा सदस्य ने यह भी पूछा कि क्या 2017–18 से केरल के लिए धान खरीद को लेकर 1,206.69 करोड़ रुपये की राशि केंद्र के पास बकाया है, और यदि हाँ, तो सरकार इसे कब जारी करेगी।
इसके जवाब में कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि एमएसपी के तहत 22 अनुसूचित फसलों के अलावा, सरकार एमआईएस और पीएम-आशा योजना के तहत कई अन्य फसलों की भी खरीद कर रही है।
बकाया राशि के संबंध में, उन्होंने कहा कि यदि कोई बकाया है तो सरकार भुगतान करेगी और किसी भी अनियमितता की स्थिति में जांच करेगी।
भाषाा माधव