रेपो दर में एक चौथाई की कटौती; घर, गाड़ी खरीदना होगा सस्ता
प्रेम प्रेम रमण
- 05 Dec 2025, 06:08 PM
- Updated: 06:08 PM
(तस्वीरों के साथ)
मुंबई, पांच दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को नीतिगत रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की। इससे घर, वाहन और अन्य कर्ज सस्ता होने की उम्मीद है।
इसके साथ ही आरबीआई ने बैंकों में एक लाख करोड़ रुपये की नकदी डालने की भी घोषणा की। इससे अर्थव्यवस्था को अमेरिकी शुल्क के प्रभाव से सुरक्षित रखने और रुपये की कीमत में आई गिरावट से निपटने में मदद मिलेगी।
आरबीआई की छह-सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 5.25 प्रतिशत करने का निर्णय लिया। यह फरवरी 2025 के बाद से चौथी कटौती है और अब तक कुल 1.25 प्रतिशत कटौती हो चुकी है।
रेपो दर में छह महीने के अंतराल के बाद की गई इस कटौती से आवास, वाहन और अन्य उपभोक्ता ऋणों के सस्ते होने का रास्ता खुल गया है।
दरअसल रेपो दर में कटौती का सीधा असर बैंकों की उधारी लागत पर होता है। बैंकों को अब केंद्रीय बैंक से सस्ते में उधार मिलेगा लिहाजा वे एमसीएलआर (कोष की सीमांत लागत आधारित ब्याज दर) और अन्य ऋण दरों में कमी कर सकेंगे। इससे घर, वाहन और व्यावसायिक ऋणों की मासिक किस्तें घटेंगी।
रेपो दर में इस कटौती से आरबीआई ने डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 90 के भी पार चले जाने से जुड़ी आशंकाएं दरकिनार करने की कोशिश की है। इस साल डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में पांच प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है जो एशिया की सभी मुद्राओं के बीच सबसे खराब प्रदर्शन है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अगुवाई वाली एमपीसी ने मौद्रिक नीति के रुख को ‘तटस्थ’ बनाए रखने का भी फैसला किया। इसका मतलब है कि भविष्य में भी दर कटौती की गुंजाइश बनी हुई है।
आरबीआई ने बैंकिंग प्रणाली में नकदी बढ़ाने के लिए 'खुला बाजार परिचालन' (ओएमओ) के जरिये एक लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियां खरीदने और पांच अरब डॉलर की तीन-वर्षीय डॉलर/रुपया खरीद-बिक्री अदला-बदली की भी घोषणा की।
ओएमओ के तहत 11 और 18 दिसंबर को दो चरणों में 50,000-50,000 करोड़ रुपये के सरकारी बॉन्ड खरीदे जाएंगे। जबकि 5 अरब डॉलर की खरीद-बिक्री अदला-बदली 16 दिसंबर को होगी।
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया। इसके अलावा महंगाई दर के अनुमान को 2.6 प्रतिशत से घटाकर दो प्रतिशत कर दिया गया है।
आरबीआई गवर्नर ने एमपीसी की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए कहा, "मुद्रास्फीति 2.2 प्रतिशत के संतोषजनक स्तर पर है और वित्त वर्ष की पहली छमाही में आर्थिक वृद्धि 8.0 प्रतिशत रही है। इन दोनों स्थितियों के मिलने से अर्थव्यवस्था के लिए एक दुर्लभ ‘खुशनुमा दौर’ बनता है।"
उन्होंने ने कहा, "वृद्धि एवं मुद्रास्फीति के बीच संतुलन, खासकर मुख्य (कोर) एवं कुल (हेडलाइन) मुद्रास्फीति दोनों मोर्चे पर अच्छे परिदृश्य की वजह से वृद्धि की रफ्तार को समर्थन देने के लिए नीतिगत गुंजाइश बनी हुई है।"
मल्होत्रा ने कहा कि आर्थिक वृद्धि जहां मजबूत बनी हुई है वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति में अक्टूबर से ही तीव्र गिरावट देखी गई है। खुदरा मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के लिए निर्धारित दायरे की निचली सीमा से भी कम हो गई है।
उन्होंने कहा कि महंगाई के नरम रुख और मजबूत वृद्धि संकेतकों को देखते हुए आरबीआई उधारी लागत को कम करने और बाजार में पर्याप्त नकदी उपलब्ध कराने पर जोर देता रहेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाए जाने के बाद भारतीय निर्यात दबाव में हैं। ऐसे माहौल में घरेलू मांग को मजबूत बनाए रखना एक प्रमुख प्राथमिकता बन गया है।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि ब्याज दर में कटौती और नकदी बढ़ाने के उपाय यह दर्शाते हैं कि मौद्रिक नीति का ताज़ा फैसला आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने की दिशा में है।
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक आंकड़े वृद्धि और मुद्रास्फीति दोनों मोर्चों पर सकारात्मक रूप से चौंकाने वाले रहे हैं, जिससे दर कटौती की पर्याप्त गुंजाइश बनी है।
डीबीएस बैंक में कार्यकारी निदेशक एवं वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा कि आरबीआई ने लगभग सभी मोर्चों पर बाजार की अपेक्षाओं के अनुरूप निर्णय लिए हैं। इसका प्रमुख आधार निर्धारित सीमा से नीचे चल रही मुद्रास्फीति रही।
आरबीएल बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री अनीता रंगन ने कहा कि रेपो दर में कटौती से रुपये पर दबाव बढ़ने की आशंका है, लेकिन 5 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा अदलाबदली इस बात का संकेत है कि केंद्रीय बैंक मुद्रा स्थिरता को लेकर सक्रिय है।
इसके अलावा, आरबीआई गवर्नर ने कहा कि लोकपाल के पास एक महीने से अधिक समय से लंबित सभी शिकायतों के समाधान के लिए जनवरी से दो महीने का अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने बैंकों और एनबीएफसी से ग्राहकों को केंद्र में रखकर सेवाएं सुधारने और शिकायतें कम करने को कहा।
मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक चार से छह फरवरी, 2026 को होगी।
भाषा प्रेम प्रेम