किसानों की समस्या, आघात, शिक्षा प्रणाली सहित विभिन्न मुद्दे उठाए गए राज्यसभा में
मनीषा माधव
- 05 Dec 2025, 03:22 PM
- Updated: 03:22 PM
नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में शुक्रवार को सदस्यों ने बारिश की वजह से फसल खराब होने पर किसानों की समस्याओं, आघात की स्थिति में इलाज के लिए जिला स्तर पर अस्पतालों की कमी और उच्च शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता में कथित कमी जैसे मुद्दे उठाए और सरकार से इनके समाधान की मांग की।
शून्यकाल के दौरान उच्च सदन में कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने गुजरात में अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में हुई बारिश से किसानों की फसल खराब होने का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य में उत्पन्न हालात के चलते किसान बेहाल है और आत्महत्या कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गुजरात में दीपावली आते आते फसल तैयार होती है और फिर कटाई होती है लेकिन इस बार तैयार फसल बारिश से खराब हो गयी।
उन्होंने दावा किया कि देश भर में किसानों के लिए फसल बीमा योजना है गुजरात में यह बंद हो गई है। ‘‘किसानों को अगर उचित मुआवजा मिलता तो वह आत्महत्या क्यों करते। किसान किसी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं है।’’
उन्होंने सरकार से मांग की किसानों को उनकी फसल का अविलंब मुआवजा दिया जाए ताकि उनकी गुजरबसर हो सके।
भाजपा के डॉ अनिल सुखदेव राव बोंडे ने आघात की समस्या के कारण होने वाली जटिलताओं पर चिंता जताई और कहा कि इससे निपटने के लिए जिला स्तर पर आघात सेंटर होना और अच्छे अस्पताल बनाना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि आघात की वजह से कई तरह की विकलांगता होती है और जान भी चली जाती है। उन्होंने कहा कि आरोग्य केंद्रों में बेहतर इलाज की सुविधा होती है लेकिन आघात पर अभी ध्यान दिया जाना है।
बोंडे ने कहा कि आघात होने पर समय रहते अस्पताल ले जाने पर थक्का गलाने की प्रक्रिया आसानी से हो सकती है और विकलांगता से बचा जा सकता है।
उन्होंने मांग की कि आघात के मरीजों के इलाज के लिए जिला स्तर पर आघात सेंटर होना और अच्छे अस्पताल बनाना जरूरी है। उन्होंने कहा ‘‘जागरुकता अभियान भी चलाया जाना चाहिए ताकि मरीज को समय पर अस्पताल लाया जा सके।’’
इसी पार्टी के रागैया कृष्णैया ने देश की उच्च शिक्षा प्रणाली की कथित घटती गुणवत्ता को लेकर चिंता व्यक्त की और चेतावनी दी कि इससे स्नातक धीरे-धीरे बेरोजगारी और उद्योग मानकों के अनुरूप न होने की समस्या का सामना कर रहे हैं।
कृष्णैया ने कहा कि उच्च शिक्षित स्नातक भी उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा न कर पाने के कारण बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘शिक्षा प्रगति की कुंजी है, विशेषकर उच्च शिक्षा, जो अत्याधुनिक और समयबद्ध लाभ प्रदान करती है। लेकिन उच्च शिक्षा की गुणवत्ता गिर रही है और यह हितधारकों के साथ-साथ पूरे राष्ट्र के लिए चिंता का विषय है।’’
भाजपा के ही ईरण्ण बी. कडाडी ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि चीनी की रिकवरी दर को 10.25 प्रतिशत से घटाकर 9.5 प्रतिशत किया जाए और चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य बढ़ाया जाए, ताकि गन्ना किसानों और मिल मालिकों दोनों को लाभ हो सके।
कडाडी ने कहा कि कर्नाटक में रिकवरी दर पहले से ही 9.5 प्रतिशत है और इसे इस स्तर पर बनाए रखना आवश्यक है।
शून्यकाल में ही तृणमूल कांग्रेस के प्रकाश चिक बराइक, नदीमुल हक, भाजपा के सामिक भट्टाचार्य, माया नरोलिया, नरेश बंसल, बीआरएस के रविचंद्र वद्दीराजू और राजद के आर डी सिंह ने आसन की अनुमति से लोक महत्व से जुड़े विभिन्न मुद्दे उठाए।
भाषा मनीषा