बालू ने न्यायाधीश पर की टिप्पणी, लोकसभा में हंगामा
हक वैभव
- 05 Dec 2025, 12:56 PM
- Updated: 12:56 PM
नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) द्रमुक के वरिष्ठ नेता टी आर बालू ने तमिलनाडु में एक दरगाह के निकट स्थित मंदिर में ‘कार्तिगई दीपम’ से जुड़ा मुद्दा शुक्रवार को लोकसभा में उठाया और मद्रास उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश पर टिप्पणी की, जिस पर सत्तापक्ष ने तीखी आपत्ति जताई।
बालू ने सदन में शून्यकाल के दौरान यह विषय उठाया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का नाम लिए बगैर आरोप लगाया कि एक दल द्वारा सांप्रदायिक टकराव की स्थित पैदा की जा रही है।
उन्होंने इस मामले में फैसला देने वाले न्यायाधीश को एक संगठन से जोड़कर उनका उल्लेख किया।
इस पर सदन में हंगामा शुरू हो गया।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि बालू असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकते।
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘उन्होंने (बालू ने) किसी न्यायाधीश और न्यायपालिका पर इस तरह की टिप्पणी की थी। यह आपके (बालू) औेर आपके दल के लिए परेशानी पैदा कर सकता है।’’
रीजीजू का कहना था, ‘‘हमें कड़ी आपत्ति है। यह गलत परिपाटी है...सदन ऐसे नहीं चलेगा।’’
पीठासीन सभापति कृष्णा प्रसाद तेन्नेटी ने बालू से कहा, ‘‘आप जानते हैं कि मामला अदालत के विचाराधीन है। आपने जो कहा वह आपत्तिजनक है, उसे कार्यवाही से हटाया जाता है। आप किसी न्यायाधीश पर इस तरह की टिप्पणी नहीं कर सकते।’’
संसदीय कार्य राज्य मंत्री और तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले भाजपा नेता एल मुरुगन ने भी बालू की टिप्पणी पर विरोध जताया और कहा कि वहां जो हुआ है, वह एक न्यायपालिका के आदेश के बाद हुआ।
उन्होंने बालू पर न्यायपालिका पर आपत्तिजनक शब्द के इस्तेमाल का दावा किया।
गौरतलब है कि तमिलनाडु सरकार ने दरगाह के पास स्थित मंदिर में ‘कार्तिगई दीपम’ जलाने की अनुमति देने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है।
उच्चतम न्यायालय ने तिरुपरमकुंद्रम में स्थित पत्थर के एक दीप स्तंभ ‘दीपथून’ में दरगाह के निकट अरुलमिघु सुब्रमणिय स्वामी मंदिर के श्रद्धालुओं को परंपरागत ‘‘कार्तिगई दीपम’ दीपक जलाने की अनुमति देने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए शुक्रवार को सहमति जताई।
मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने बृहस्पतिवार को मदुरै जिला कलेक्टर और शहर के पुलिस आयुक्त द्वारा दायर एक अंतर-न्यायालयी अपील खारिज कर दी और एकल न्यायाधीश के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें श्रद्धालुओं को दीपथून में ‘कार्तिगई दीपम’ दीप जलाने की अनुमति दी गई थी।
जब आदेश का क्रियान्वयन नहीं हुआ तो एकल न्यायाधीश ने तीन दिसंबर को एक और आदेश पारित कर श्रद्धालुओं को स्वयं दीप जलाने की अनुमति दे दी तथा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
इसके बाद राज्य सरकार ने शीर्ष न्यायालय का रुख किया।
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