भूमि सौदा : दानवे ने अजित पवार का इस्तीफा और पार्थ की गिरफ्तारी की मांग की
शुभम रंजन
- 04 Dec 2025, 10:58 PM
- Updated: 10:58 PM
मुंबई, चार दिसंबर (भाषा) शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता अंबादास दानवे ने बृहस्पतिवार को विवादास्पद पुणे भूमि सौदे को लेकर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के इस्तीफे और उनके बेटे पार्थ की गिरफ्तारी की मांग की।
दानवे ने कहा कि विपक्ष आठ दिसंबर से शुरू हो रहे राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में इस मुद्दे को उठाएगा।
उनकी यह मांग पुलिस द्वारा शीतल तेजवानी को गिरफ्तार किए जाने के एक दिन बाद आई है। तेजवानी पुणे के मुंधवा इलाके में 40 एकड़ सरकारी जमीन पार्थ के स्वामित्व वाली एक कंपनी को बेचे जाने से जुड़े मामले में आरोपी हैं।
यहां पत्रकारों से बात करते हुए दानवे ने कहा कि अमाडिया इंटरप्राइजेज एलएलपी के निदेशकों को भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए। दिग्विजय पाटिल के साथ पार्थ पवार अमाडिया में साझेदार हैं।
दानवे ने कहा, "पार्थ पवार और दिग्विजय पाटिल को भी इस मामले में गिरफ्तार किया जाना चाहिए। अगर जमीन बेचने वाला व्यक्ति आरोपी है, तो उसे खरीदने वाला भी आरोपी है।"
शिवसेना (उबाठा) नेता ने कहा कि भूमि सौदे पर स्टाम्प शुल्क माफ करने वाले अधिकारियों के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है।
उन्होंने कहा, "राजनीतिक दबाव के बिना स्टाम्प शुल्क माफी संभव नहीं है। इस मामले में अजित पवार को इस्तीफा देना चाहिए। विपक्ष महाराष्ट्र विधानमंडल के आगामी शीतकालीन सत्र में उनकी बर्खास्तगी की मांग करेगा।"
अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में साझेदार है।
तेजवानी ने कथित तौर पर जमीन के 272 पूर्व मालिकों की ओर से अमाडिया को 40 एकड़ जमीन बेचने के लिए 300 करोड़ रुपये का सौदा किया। दरअसल, यह जमीन सरकार की है, जिसने इसे भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण को पट्टे पर दे रखा है।
इस बीच अमाडिया इंटरप्राइजेज एलएलपी ने बृहस्पतिवार को संयुक्त जिला रजिस्ट्रार के समक्ष सुनवाई में भाग लिया, जिसमें पिछले महीने जारी किए गए 21 करोड़ रुपये के स्टांप शुल्क की वसूली नोटिस के संबंध में सुनवाई की गई और मुंधवा भूमि सौदे में स्टांप शुल्क में मिली छूट को उचित ठहराने की मांग की।
आईजीआर कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "आज सुनवाई निर्धारित थी। अमाडिया इंटरप्राइजेज एलएलपी के वकीलों ने अपने पक्ष में कहा कि कंपनी स्टांप शुल्क माफी के लिए पात्र थी, जिसका लाभ उन्होंने मुंधवा भूमि पर डेटा सेंटर स्थापित करने के प्रस्ताव का हवाला देकर उठाया।"
अधिकारी ने बताया कि संयुक्त जिला रजिस्ट्रार ने इस प्रस्तुति को ध्यान में रखा और कानूनी आधार पर उनकी प्रस्तुति की जांच करने के बाद इस संबंध में आदेश दिया गया।
इस बीच, तेजवानी को बृहस्पतिवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) ए सी बागल के समक्ष पेश करने के बाद 11 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।
उसकी रिमांड की मांग करते हुए अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि पावर ऑफ अटॉर्नी धारक के रूप में काम करते हुए तेजवानी ने महाराष्ट्र 'वतन' जमीन को मूल 'वतनदारों' को फिर से देने का प्रयास किया। जांच में अब तक यह बात सामने आई है कि मूल 'वतनदारों' को इस सौदे से कोई लाभ नहीं मिला।
अभियोजन पक्ष ने कहा, "पुलिस यह जांच करना चाहती है कि क्या तेजवानी को 300 करोड़ रुपये मिले थे और यदि हां तो उन्हें यह धन कैसे मिला।"
बचाव पक्ष ने गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए रिमांड याचिका का विरोध किया और तर्क दिया कि तेजवानी ने जांच में सहयोग किया था और सभी समन का जवाब दिया था।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने तेजवानी को 11 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया।
भाषा
शुभम