बंगाल में एसआईआर की “चाल के पीछे” अमित शाह: ममता बनर्जी
नोमान पारुल
- 03 Dec 2025, 10:55 PM
- Updated: 10:55 PM
मालदा, तीन दिसंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को शुरू करने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर बुधवार को निशाना साधा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर मतदाताओं को परेशान करने तथा छल से पश्चिम बंगाल की सत्ता पर कब्जा करने के लिए इस कवायद की “साजिश” रचने का आरोप लगाया।
मालदा के गजोले में एसआईआर विरोधी एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा कि भगवा खेमे ने "बंगाल की नब्ज को समझने में गलती की" और जल्दबाजी में पुनरीक्षण प्रक्रिया को आगे बढ़ाकर "अपनी ही कब्र खोद ली", जिससे नागरिकों में दहशत फैल गई।
उन्होंने आरोप लगाया, "फरवरी में बंगाल चुनाव की तारीखों की घोषणा की जाएगी, इसलिए उन्होंने जानबूझकर तीन महीने पहले एसआईआर लागू किया। शाह ने ऐसा इसलिए किया, ताकि या तो आप एसआईआर का पालन करें या राष्ट्रपति शासन लगाकर सरकार गिरा दें। चुनाव से ठीक पहले एसआईआर लागू करने की इस चाल के पीछे शाह हैं।"
बनर्जी ने कहा, "शाह किसी भी कीमत पर बंगाल की सत्ता पर कब्जा करना चाहते हैं। लेकिन याद रखिए, बंगाल में एसआईआर करके आपने अपनी कब्र खुद खोद ली है। बंगाल और बिहार एक नहीं हैं। आप चालाकी और छल से बंगाल नहीं जीत सकते।"
उन्होंने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग द्वारा चार नवंबर को एसआईआर लागू करने से "बड़े पैमाने पर भय" फैल गया है और लोगों को लगने लगा है कि उनके नाम मतदाता सूची से मनमाने ढंग से हटा दिए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा, "अब तक चार बीएलओ समेत 39 आम नागरिकों की एसआईआर के कारण मौत हो चुकी है, जिनमें आत्महत्याएं भी शामिल हैं। हम उनके परिवारों की मदद कर रहे हैं।"
उन्होंने दावा किया कि ऐसी ही घटनाएं अन्य राज्यों में भी हुई हैं।
बनर्जी ने स्पष्ट किया कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पुनरीक्षण का विरोध नहीं कर रही है, बल्कि "राजनीति से प्रेरित जल्दबाजी" का विरोध कर रही है।
उन्होंने कहा, "हम एसआईआर या जनगणना के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन इतनी जल्दी क्यों? एक नागरिक को फिर से साबित करना होगा कि वह नागरिक है। क्यों?"
मुख्यमंत्री ने कहा, "यह बंगाल के विकास कार्यों को बाधित करने के लिए किया गया है। उन्होंने हमारा बकाया रोक दिया है, फिर भी हम योजनाएं चला रहे हैं। अब वे एसआईआर के नाम पर सब कुछ बर्बाद करना चाहते हैं।"
बनर्जी ने घोषणा की कि 12 दिसंबर से तृणमूल राज्य भर में 'क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूं' शिविर शुरू करेगी, ताकि इस महीने के अंत में एसआईआर सुनवाई शुरू होने पर लोगों की सहायता की जा सके।
उन्होंने प्रवासी श्रमिकों से अपील की कि वे अपने फॉर्म अवश्य भरें, तथा चेतावनी दी कि "यदि फॉर्म जमा नहीं किए गए तो नाम काटे जा सकते हैं।"
भाजपा के वैचारिक रूख पर अपने हमले को तेज करते हुए बनर्जी ने कहा, "हमें भाजपा से हिंदुत्व सीखने की जरूरत नहीं है। मैं सांप्रदायिक राजनीति नहीं करती; मैं धर्मनिरपेक्ष राजनीति करती हूं। जब मैं गिरजाघर जाती हूं, तो उनके नियमों का पालन करती हूं। गुरुद्वारों और मस्जिदों में भी यही करती हूं। आपको सिर्फ मुस्लिम संस्कृति पर ही आपत्ति क्यों है? सबकी अपनी संस्कृति होती है। मैं हर धर्म का सम्मान करती हूं। मैं बंगाल में अशांति नहीं होने दूंगी।"
भाजपा नीत केंद्र सरकार का नाम लिए बगैर उन्होंने तीखी चेतावनी देते हुए कहा, "आपको लगता है कि आप सब कुछ बलपूर्वक कर सकते हैं? आप आपातकाल जैसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं? याद रखें, जनता ही सर्वोपरि होती है। लोग आपको माफ नहीं करेंगे।"
तृणमूल प्रमुख ने कहा, "भाजपा खटमल की तरह है; खटमल तब तक काटते हैं, जब तक आप उन्हें हटा नहीं देते। उन्हें (भाजपा को) राजनीतिक रूप से हटाया जाना चाहिए, ताकि बंगाल को और नुकसान न पहुंचे।"
उन्होंने केंद्र पर धनराशि रोकने का भी आरोप लगाया।
बनर्जी ने कहा, "हमें केवल जीएसटी मिलता है। हमारे कर का सारा पैसा केंद्र ले लेता है। बंगाल को 1.87 लाख करोड़ रुपये मिलने चाहिए। और फिर वे बंगाल को जबरदस्ती हड़पना चाहते हैं?”
बनर्जी ने सोनाली खातून के मामले का जिक्र किया। गर्भवती महिला खातून और उसके बच्चे को इस वर्ष की शुरुआत में बांग्लादेश भेज दिया गया था, जिनकी वापसी की अनुमति बुधवार को उच्चतम न्यायालय ने मानवीय आधार पर दी।
मुख्यमंत्री ने कहा, “अदालत ने केंद्र से सोनाली खातून को वापस लाने को कहा। हमने मुकदमा लड़ा।”
उन्होंने कहा, "सोनाली एक भारतीय हैं। फिर बीएसएफ ने एक गर्भवती महिला को बांग्लादेश क्यों भेजा? क्या इसलिए कि वह बंगाली हैं? क्या इसीलिए उन्हें बांग्लादेशी बताकर सीमा पार फेंक दिया गया?"
नागरिकता के मुद्दों पर अपना रुख दोहराते हुए तृणमूल प्रमुख ने कहा कि जब तक वह यहां हैं, किसी भी बंगाली को किसी निरुद्ध शिविर में या वापस नहीं भेजा जाएगा।
हालांकि, बनर्जी ने कहा कि वह मालदा में वोट मांगने नहीं, बल्कि "चिंतित नागरिकों के साथ खड़ी होने" आई हैं।
उन्होंने कहा, "मैं वोट मांगने नहीं आई हूं। मैं आपके साथ खड़ी होने आई हूं। डरो मत। कोई भी निरुद्ध शिविर नहीं जाएगा। आपके नाम नहीं काटे जाएंगे। बंगाल सुरक्षित रहेगा।"
भाषा नोमान