भोपाल गैस त्रासदी: 41वीं बरसी पर आयोजित रैली में डाउ कंपनी के साथ आरएसएस के पुतले पर विवाद
ब्रजेन्द्र जितेंद्र
- 03 Dec 2025, 09:19 PM
- Updated: 09:19 PM
भोपाल, तीन दिसंबर (भाषा) भोपाल गैस त्रासदी की 41वीं बरसी पर बुधवार को यहां आयोजित एक शांतिपूर्ण रैली उस समय राजनीतिक अखाड़े में तब्दील हो गई जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुछ समर्थकों ने रैली के बाद डाउ (यूनियन कार्बाइड के मौजूदा मालिक) कंपनी के पुतले के साथ राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) का पुतला भी जलाने की तैयारी का आरोप लगा हंगामा खड़ा कर दिया।
दुनिया की इस सबसे बड़ी औद्योगिक आपदा के पीड़ितों के हक में आवाज उठाने वाले चार गैर सरकारी संगठनों की ओर से आयोजित यह रैली ‘भोपाल टॉकीज’ से शुरू हुई थी, जो कि विवाद के मद्देनजर कुछ ही दूर आगे बढ़ने के बाद स्थगित कर दी गई। इस रैली को बस स्टैंड होते हुए जेपी नगर स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने के निकट बनी गैस मूर्ति पहुंचना था, जहां इन पुतलों को दहन करने का कार्यक्रम तय था।
सहायक पुलिस आयुक्त राकेश सिंह बघेल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि हर साल की तरह इस साल भी रैली निकाली गई लेकिन इसी दौरान यह शिकायत मिली कि इसमें डाउ कंपनी के साथ एक अन्य पुतला भी है जो एक संगठन के कार्यकर्ताओं से मिलता जुलता था।
उन्होंने कहा कि शिकायत सही पाए जाने के बाद पुतले को कब्जे में लेकर रैली से हटा दिया गया क्योंकि लोगों को यह आपत्तिजनक लगा।
बघेल ने कहा कि इस मामले में किसी संगठन या विचारधारा को ठेस पहुंचाने का प्रयास पाया गया तो आयोजकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘रैली को विवादित बनाने के लिए यदि किसी प्रकार का हथकंडा अपनाए जाने का प्रयास सामने आएगा तो निश्चित रूप से कड़ी कार्रवाई होगी।’’
बघेल के इस बयान के चंद घंटों बाद ही पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न धाराओं के तहत सामाजिक कार्यकर्ता और गैस पीड़ित संगठनों से जुड़े रचना ढींगरा, सरिता गुप्ता, बालकृष्ण नामदेव, सतीनाथ षड़ंगी के खिलाफ मामला दर्ज किया।
दर्ज मामले के मुताबिक, इन सब पर शर्तों के उल्लंघन का आरोपी बनाया गया है।
इस रैली के आयोजकों में गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की रशीदा बी, भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के बालकृष्ण नामदेव, ‘भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन’ की रचना ढींगरा और भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष के नवाब खान एवं नसरीन शामिल थे।
संघ के कार्यकर्ता और भाजपा के मंडल अध्यक्ष आशीष सिंह ठाकुर ने आरोप लगाया कि एक पुतले में आरएसएस के ‘सेवक’ का चित्रण किया गया है और इसे जलाने की तैयारी थी।
उन्होंने आयोजकों पर धार्मिक और संगठनात्मक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया तथा पुलिस प्रशासन से पुतले को हटाने की मांग की।
ठाकुर ने कहा कि गैस पीड़ितों के नाम पर 'देश विरोधी' काम किया जा रहा है इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
गैस पीड़ित संगठनों ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पुतले में त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों और का चित्रण है न कि किसी समूह या संगठन का।
‘भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन’ की रचना ढींगरा ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा कि एक पुतला डाउ कंपनी का है जबकि दूसरा उसके सहयोगी का है।
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘भारत में पिछले 11 सालों में डाउ केमिकल के व्यापार को बढ़ाने में सरकार उपक्रमों की बड़ी भूमिका रही है। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन जैसे पीएसयू डाउ के कारखानों को कच्चा माल पहुंचाते हैं।’’
उन्होंने दावा किया कि इनमें से कई डाउ केमिकल से यूनियन कार्बाइड की बौद्धिक संपदा भी खरीदते हैं, जो आपराधिक क़ानून के तहत प्रतिबंधित है।
उन्होंने आरएसएस का पुतला जलाने की तैयारी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि आरएसएस के गणवेष में ‘फूल पैंट’ होती है जबकि पुतले में ‘हाफ पैंट’ दिखायी गयी है।
भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था, जिससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे।
हर साल की तरह इस साल भी भोपाल की सेंट्रल लाइब्रेरी के ‘बरकतुल्लाह भवन’ में सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया, जिसमें आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह शामिल हुए।
उन्होंने गैस पीड़ितों के संगठनों की ओर से लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने से इनकार करते हुए सिर्फ इतना कहा कि यह राजनीति करने का दिन नहीं है।
उन्होंने कहा, "आज आरोप-प्रत्यारोप का दिन नहीं है। हमारी सरकार ने जहरीले कचरे का भय मन से खत्म कराया है। आज यह राजनीति का विषय नहीं है।" राज्यमंत्री कृष्णा गौर ने कहा कि उनका मन व्यथित है कि 41 साल बाद भी परिवारों के बीच गैस त्रासदी के निशान हैं।
उन्होंने कहा, “हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि दुनिया में ऐसी कोई त्रासदी न हो।”
भाषा ब्रजेन्द्र