लोकसभा: सांसदों ने तंबाकू और सिगरेट छोड़ने की आपबीती बयां की
वैभव अविनाश
- 03 Dec 2025, 07:38 PM
- Updated: 07:38 PM
नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) लोकसभा में बुधवार को तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क लगाने संबंधी विधेयक पर चर्चा के दौरान कुछ सांसदों ने तंबाकू के उपयोग को लेकर अपने व्यक्तिगत संघर्षों को खुलकर साझा किया और इसके उपयोग को रोकने के लिए मजबूत कदम उठाने की मांग की।
केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 का उद्देश्य सिगरेट, चबाने वाला तंबाकू, सिगार, हुक्का, ज़र्दा और सुगंधित तंबाकू पर लगाए जाने वाले मौजूदा जीएसटी मुआवजा उपकर को हटाकर इसकी जगह संशोधित उत्पाद शुल्क ढांचा लाना है।
विधेयक पर चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत रॉय ने धूम्रपान से जूझने की अपनी आपबीती बयां की।
उन्होंने कहा, “मैं स्वयं धूम्रपान करता रहा हूं और इस आदत को छोड़ने की कोशिश कर रहा हूं क्योंकि लोग कहते हैं कि आप सिर्फ पांच साल ही और जिएंगे।”
रॉय ने यह भी जोड़ा कि “नैतिक सवाल” यह है कि क्या तंबाकू की खपत कम करने में सरकार की कोई भूमिका होनी चाहिए।
इस दौरान पीठासीन सभापति जगदंबिका पाल ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, “वह (सौगत रॉय) धूम्रपान के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए ब्रांड एंबेसडर बन सकते हैं।”
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य अरुण गोविल ने विधेयक का समर्थन करते हुए बताया कि उन्होंने धूम्रपान की लत कैसे छोड़ी।
उन्होंने कहा, “मैं इस विधेयक के समर्थन में बोलने के लिए इसलिए खड़ा हूं क्योंकि मैं पिछले 50 साल से तंबाकू-मुक्त हूं।’’
धारावाहिक रामायण में भगवान राम की भूमिका निभाने वाले गोविल ने कहा, ‘‘रामायण से पहले मैं चेन स्मोकर था। मैं दिनभर गुटखा चबाता था। जिस दिन ‘रामायण’ मेरे जीवन में आई, मैंने सब छोड़ दिया, और तब से मैं तंबाकू से दूर हूं।”
द्रमुक सांसद डॉ. कलानिधि वीरास्वामी ने भी तंबाकू के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभावों को लेकर अपने चिकित्सकीय अनुभव साझा किए।
उन्होंने कहा, “हर संसदीय क्षेत्र में ऐसा स्थान होना चाहिए जहां लोगों को तंबाकू छोड़ने में सहायता मिल सके; दवाइयां और उपचार निशुल्क उपलब्ध कराए जाने चाहिए। सिर्फ 10–20 प्रतिशत की कमी भी जीवन की गुणवत्ता को काफी बेहतर कर सकती है।”
तेलुगू देशम पार्टी के सांसद लवु श्री कृष्ण देवरेयालु ने कहा, “कलानिधि ने बहुत भावुक होकर बोला… वह चिकित्सक हैं और उन्होंने धूम्रपान के सभी दुष्प्रभावों को बताया। लेकिन वह खुद दिन में 40 सिगरेट पीते हैं। यही इस देश की समस्या है।”
इस पर पीठासीन सभापति ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, “क्या सदन में यह बताना आवश्यक है?”
हालांकि, बाद में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस बात का उल्लेख किया और कहा कि जिस तरह वीरास्वामी ने तंबाकू और धूम्रपान छोड़ने के लिए जागरुकता की जरूरत बताई है, उन्हें अपने ऊपर भी इसे लागू करना चाहिए।
भाषा वैभव