अदालत ने एसोसिएशन को वायु गुणवत्ता उपायों के लिए शीर्ष अदालत जाने का सुझाव दिया
आशीष नरेश
- 03 Dec 2025, 07:32 PM
- Updated: 07:32 PM
नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के संबंध में ग्रेटर कैलाश-दो वेलफेयर एसोसिएशन को अपनी याचिका के साथ उच्चतम न्यायालय जाने का बुधवार को सुझाव दिया क्योंकि इसी तरह का एक मामला वहां पहले से ही लंबित है।
उच्च न्यायालय का प्रथम दृष्टया यह मत था कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता की स्थिति के संबंध में याचिका पर विचार करना कार्यवाही में दोहराव होगा, क्योंकि उच्चतम न्यायालय भी इस मुद्दे पर विचार कर रहा है और समय-समय पर निर्देश पारित करता रहा है।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा, "हम यह नहीं कह रहे हैं कि हम मामले की सुनवाई नहीं कर सकते, लेकिन हमारी चिंता यह है कि दिल्ली और उसके आसपास वायु गुणवत्ता के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय भी विचार कर रहा है। इसलिए यदि उच्च न्यायालय भी समानांतर रूप से सुनवाई करता है, तो क्या यह कार्यवाही का दोहराव नहीं होगा? पिछले 15-20 दिन से उच्चतम न्यायालय वायु गुणवत्ता मामले में निर्देश पारित कर रहा है।"
ग्रेटर कैलाश-दो वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका में अदालत से दिल्ली के वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तत्काल और दीर्घकालिक, प्रभावी और वैज्ञानिक उपाय करने का आदेश देने का आग्रह किया गया है।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि वह यह नहीं कह रही है कि वह इस याचिका पर विचार नहीं कर सकती या इसमें कोई तथ्य नहीं है या याचिका में उठाए गए मुद्दे पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है, वह केवल कार्यवाही के दोहराव को लेकर चिंतित है।
याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका में उठाए गए मुद्दों और उच्चतम न्यायालय में लंबित मुद्दों में अंतर स्पष्ट करने की कोशिश की।
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि इस याचिका पर यहां विचार करने से कार्यवाही में दोहराव होगा क्योंकि उच्चतम न्यायालय भी इसी तरह के मुद्दे पर विचार कर रहा है।
उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को वहां लंबित मामले में हस्तक्षेप के लिए शीर्ष अदालत जाने की अनुमति दे दी और याचिका को अपने समक्ष लंबित रखा।
इसमें आरोप लगाया गया है कि सरकार ने वास्तविक कार्यान्वयन सुनिश्चित किए बिना केवल कागज पर उपाय निर्धारित करने तक ही खुद को सीमित रखा है।
याचिका में कहा गया है, "आज तक कोई वास्तविक या पर्याप्त जमीनी उपाय किए बिना इस तरह की विलम्बित और दिखावटी कार्रवाई से केवल और अधिक देरी हुई है। लोगों के जीवन और स्वास्थ्य को लापरवाही से खतरे में डाला गया है और वर्तमान सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की गंभीरता के प्रति पूर्ण उपेक्षा प्रदर्शित की गई है।"
याचिका में दिल्ली सरकार, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण समिति (सीपीसीसी), वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और दिल्ली पुलिस को प्रतिवादी बनाया गया है।
भाषा आशीष