राज्यसभा में विपक्ष ने की मणिपुर में विधानसभा चुनाव यथाशीघ्र कराने की मांग
अविनाश मनीषा अविनाश वैभव
- 03 Dec 2025, 07:05 PM
- Updated: 07:05 PM
नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में बुधवार को विपक्षी दलों के सदस्यों ने मणिपुर में विधानसभा चुनाव यथाशीघ्र कराने और निर्वाचित सरकार के गठन की मांग की।
विपक्ष के सदस्यों ने यह मांग मणिपुर से संबंधित एक संकल्प पर चर्चा के दौरान की। यह संकल्प जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) संशोधन अधिनियम, 2024 को मणिपुर में भी लागू किए जाने से संबंधित है। मणिपुर में इस समय राष्ट्रपति शासन है।
वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने उच्च सदन में यह प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के कारण दोनों सदनों को केंद्रीय कानून पर संकल्प पारित करने की जरूरत है।
संकल्प पर चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस सदस्य सुष्मिता देव ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन जारी रहने की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘‘हम आज जो कर रहे हैं, वह मणिपुर की विधानसभा को करना था। हमें यह क्यों करना पड़ रहा है? क्योंकि मणिपुर राज्य में निलंबित विधानसभा है, वहां राष्ट्रपति शासन है। 2024 के इस संशोधन का क्या मकसद है? वे व्यापार और जीवन में सुगमता की बात करते हैं। इनमें से कौन सी चीज आज मणिपुर में है, और इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है?’’
कांग्रेस सदस्य नीरज डांगी ने कहा कि यह संकल्प संसद में पेश करना पड़ा क्योंकि मणिपुर में हालात सुधरे नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर में कानून व्यवस्था पूरी तरह से खत्म हो गयी है, यह मुख्यमंत्री के नियंत्रण से बाहर हो गया, केंद्र ने इस पर ध्यान नहीं दिया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी वहां गए और लोगों से मिले। प्रधानमंत्री को वहां जाना चाहिए था, लेकिन दो साल से अधिक समय तक वह मणिपुर नहीं गए।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘हाल ही में, सितंबर 2025 में वह (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी) मणिपुर गए... वह वहां वोट के लिए गए।’’
द्रमुक सदस्य पी विल्सन ने कहा, ‘‘राज्य की विधानसभा कब तक निलंबित रहेगी और संसद इस संकल्प को पारित करने सहित विधानसभा की जिम्मेदारी निभाएगी?’’
संकल्प पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के डांगी ने कहा कि मणिपुर में बीते तीन साल के दौरान दो समुदायों के बीच जो हिंसा हुई उसका असर वहां की नदियों पर भी पड़ा और पानी प्रदूषित हुआ।
डांगी ने कहा कि देश के करोड़ों लोग आज भी सीधे नदियों से पानी लेते हैं या तालाबों से। ‘‘सीधे तौर पर कहा जा सकता है कि वे भूजल पर निर्भर हैं।’’
उन्होंने कहा कि जल स्रोतों के हालात देश में ऐसे हैं कि केवल दोहन किया जा रहा है, न उनका पुन:भरण किया जा रहा है और न ही उनके प्रदूषण पर ध्यान दिया जा रहा है।
डांगी ने सुझाव दिया कि पारदर्शी और उत्तरदायी निगरानी की व्यवस्था के साथ-साथ ठोस इच्छा शक्ति की भी जरूरत है। उन्होंने मांग की कि इसे प्रवर समिति में भेजा जाए। इस पर व्यापक परामर्श, लंबी बहस के बाद विज्ञान आधारित विधेयक लाया जाए।
भाजपा के महाराजा संजाओबा लेशंबा ने कहा कि सरकार ने नदियों का प्रदूषण दूर करने के लिए कई कदम उठाए हैं और अब उनके परिणाम भी सामने आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जल प्रदूषण ऐसा मुद्दा नहीं है कि इसमें केवल सरकार की ही भूमिका हो। ‘‘सामूहिक भागीदारी के जरिये इस समस्या को दूर करना होगा और हर किसी को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।’’
सुष्मिता देव ने कहा कि कल सदन में मणिपुर संबंधी एक विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष पर मणिपुर के लिए ‘मगरमच्छ के आंसू’ बहाने का आरोप लगाया गया। ‘‘लेकिन वास्तविकता अलग है। यह सबको पता है कि मणिपुर के लिए मगरमच्छ के आंसू कौन बहाता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप मणिपुर की मदद करना चाहते हैं तो वहां तत्काल चुनाव कराएं।’’
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के अयोध्या रामी रेड्डी आला ने कहा, ‘‘औद्योगिक प्रदूषण जल प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है और औद्योगिक इकाइयों में जल शोधन संयंत्र की स्थापना अनिवार्य की जानी चाहिए।’’
उन्होंने कहा ‘‘हम नदियों को मां कहते हैं और हर नगरपालिका, नगर परिषद की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि इन नदियों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए हर जरूरी कदम उठाएं। जल प्रशासन के लिए स्थानीय समुदाय की भागीदारी अहम होगी।’’
बीजद की सुलता देव ने कहा कि मणिपुर समय की दौड़ में पिछड़ रहा है, सबसे पहले इस ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जल शक्ति विभाग की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीधे-सीधे हमारी एक मुख्य जरूरत से जुड़ा है।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रदूषित पानी लाखों लोगों की मौत का कारण होता है और मेरे अपने राज्य ओडिशा में लोगों की अतिसार एवं हैजा से जान गई है। ये प्रदूषित जल से होने वाली बीमारियां हैं।’’
सुलता ने आरोप लगाया कि सरकार जिस तरह से एक पक्षीय फैसले ले रही है उससे सहकारी संघवाद की भावना दरकिनार हो रही है। उन्होंने दावा किया कि कानून में राज्य बोर्ड की भूमिका बाहर कर दी गई है।
समाजवादी पार्टी की जया बच्च्न ने भी मणिपुर में विधानसभा चुनाव कराने की मांग की और कहा कि राज्य को उसका उचित अधिकार मिलना चाहिए।
आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने कहा कि पांच नदियों वाला पंजाब आज नदियों के प्रदूषण की सबसे बड़ी मार झेल रहा है, जबकि पंजाब ने एक समय देश को अनाज मुहैया कराया था।
उन्होंने कहा ‘‘अन्न उत्पादन की जरूरत के समय वहां कीटनाशक और उर्वरकों का इस्तेमाल किया गया। नतीजा यह है कि पंजाब का पानी जहरीला हो गया। जल दोहन का नतीजा है कि आज वहां जल स्तर नीचे चला गया। मैं कह सकता हूं कि हमने राष्ट्र सेवा की कीमत चुकाई।’’
उन्होंने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पंजाब के भूजल में यूरेनियम का स्तर बहुत अधिक है और यूरेनियम एक रेडियोधर्मी तत्व है जो मानव सेहत के लिए अत्यधिक खतरनाक है।
उन्होंने कहा, ‘‘वहां के पानी में आर्सेनिक, लेड तथा अन्य संदूषकों की मात्रा सीमा से कहीं अधिक है। वहां बठिंडा से बीकानेर की ओर जाने वाली ट्रेन संख्या 1407 में कैंसर के मरीज बड़ी संख्या में ‘आचार्य तुलसी अस्पताल’ इलाज के लिए जाते हैं और यह ट्रेन कैंसर ट्रेन कही जाती है। ये कैंसरकारी तत्व भी पानी में हैं।’’
उन्होंने कहा कि पंजाब की पवित्र नदियां सतलुज, घग्घर आदि प्रदूषित हो रही हैं और इसका कारण नदियों में औद्योगिक अपशिष्ट का प्रवाहित होना है। ‘‘आज पंजाब न्याय चाहता है। पंजाब देश की खाद्य सुरक्षा की रीढ़ हो सकता है तो आज देश को पंजाब के साथ खड़ा होना चाहिए।’’
आम आदमी पार्टी सदस्य स्वाति मालीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी में यमुना के अत्यधिक प्रदूषित होने का मुद्दा उठाया और कहा कि पिछले 10 साल में यमुना नदी की सफाई के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन उसका कोई असर नहीं दिखता है।
चर्चा में तेदेपा के मस्तान राव यादव बीधा, भाजपा के लहर सिंह सिरोया और शंभु शरण पटेल सहित कई अन्य सदस्यों ने भी हिस्सा लिया।
भाषा अविनाश मनीषा अविनाश