मप्र : विजयवर्गीय ने सीएए समर्थक प्रदर्शनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने में देरी पर जताया रोष
खारी
- 02 Dec 2025, 07:45 PM
- Updated: 07:45 PM
भोपाल, दो दिसंबर (भाषा) मध्यप्रदेश के वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महिला विधायक की उस अपील पर त्वरित कार्रवाई किये जाने की आवश्यकता जताई है, जिसमें उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के समर्थन में किये गये प्रदर्शन को लेकर अपने पति के खिलाफ तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा दर्ज मामला वापस लेने का मौजूदा सरकार से अनुरोध किया है और इसे सुलझाने में हो रही देरी पर चिंता जताई है।
विजयवर्गीय ने मंत्रिपरिषद के अपने ही सहयोगी और लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल पर एक तरह से नाराजगी प्रकट करते हुए सलाह दी कि राजनीतिक मामलों में दर्ज मुकदमों को गंभीरता से लेकर उन्हें रद्द किया जाना चाहिए।
दरअसल, विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नीना वर्मा ने प्रश्नकाल के दौरान साल 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के समर्थन में धार जिले में विरोध-प्रदर्शन को लेकर तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा उनके पति व पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा और भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने का मुद्दा उठाया।
वर्मा ने कहा कि विधानसभा के पिछले सत्र में भी उन्होंने यह मामला उठाया था और उस समय सरकार की ओर से कहा गया था कि इस मामले को धार जिला प्रत्याहरण समिति द्वारा अपनी अनुशंसा सहित शासन को अग्रेषित कर दिया गया है।
उन्होंने राज्य सरकार के गृह विभाग से इस मामले में देरी का कारण पूछा और सवाल किया कि इसका निराकरण कब तक कर लिया जाएगा। मुख्यमंत्री मोहन यादव के पास गृह विभाग का भी प्रभार है।
मुख्यमंत्री की ओर से जवाब देने के लिए अधिकृत किए गए पटेल ने कहा कि 2019 में हुए इस विरोध-प्रदर्शन के मामले में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने विद्वेषपूर्ण कार्रवाई की थी और विक्रम वर्मा, सावित्री ठाकुर सहित भाजपा के कई नेताओं व कार्यकर्ताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। ठाकुर वर्तमान में धार की सांसद व केंद्र में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री हैं।
पटेल ने कहा कि सरकार इन मुकदमों को वापस लेने के लिए तैयार है लेकिन भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 247 के प्रावधान आड़े आ रहे हैं जिसके तहत शिकायतकर्ता या अभियोजन अधिकारी न्यायालय की सहमति से ही आरोपों को वापस ले सकते हैं या न्यायालय अपने विवेक से उन आरोपों की जांच या सुनवाई रोक सकता है।
उन्होंने नीना वर्मा को आश्वासन दिया कि वह तीन महीने के भीतर इस मामले का निस्तारण कर देंगे। हालांकि इससे वह संतुष्ट नहीं हुई और कहा कि जिन लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं उन्हें अदालत के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
इस बीच, विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि वह एक बार मंत्री पटेल से मिल लें और अपनी पूरी बात रख दें, इस पर वर्मा ने कहा कि वह तीन दफा उनसे मिल चुकी हैं व पिछले सत्र में भी इस मामले को उठा चुकी हैं।
सदन में मौजूद संसदीय कार्य और नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा इस प्रकार के राजनीति मामलों पर निर्णय लिया जाना चाहिए जिन्हें वापस लिया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि विक्रम वर्मा 80 साल के हैं और उन्हें अदालत के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
उन्होंने पटेल से कहा, ‘‘ऐसे प्रकरणों को गंभीरता से लेकर खत्म करें।’’
अध्यक्ष तोमर ने भी पटेल से कहा कि वह इस मामले में जल्दी फैसला करें।
भाषा ब्रजेन्द्र