निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने की दिशा में प्रयास जारी : सरकार
सुभाष वैभव
- 02 Dec 2025, 06:12 PM
- Updated: 06:12 PM
नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) सरकार ने मंगलवार को संसद में बताया कि वह घरेलू वस्तुओं पर अमेरिकी शुल्क (टैरिफ) के प्रभाव को कम करने के लिए निर्यात संवर्धन मिशन की घोषणा जैसे कदम उठा रही है।
लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने कहा कि उम्मीद है कि इन उपायों से भारत के व्यापार संबंधों में विविधता आएगी और लचीलापन बढ़ेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार एक व्यापक बहुआयामी रणनीति के माध्यम से भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए काम करना जारी रखे हुए है, जिसमें पारस्परिक रूप से लाभकारी भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए अमेरिका सरकार के साथ गहन बातचीत शामिल है।’’
प्रसाद ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के व्यापार राहत उपायों और निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना की घोषणा, जीएसटी (माल एवं सेवा कर) सुधारों के माध्यम से घरेलू मांग में वृद्धि और नये देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर बातचीत के माध्यम से तत्काल राहत दी गई है।
इस साल 31 जुलाई को, अमेरिका ने अपने व्यापारिक साझेदारों के लिए पारस्परिक शुल्क दरों वाला एक शासकीय आदेश जारी किया। इस आदेश में, कुछ अमेरिकी व्यापारिक साझेदारों के लिए देश-केंद्रित अतिरिक्त शुल्क दरों को अधिसूचित किया गया, जिनमें वे देश भी शामिल हैं जिन्होंने उनके साथ व्यापार समझौते पर सहमति व्यक्त की है या करने की प्रक्रिया में हैं।
ये शुल्क 15 से 41 प्रतिशत के बीच हैं, जिनमें भारत पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाया गया है। यह शुल्क 7 अगस्त से लागू हुआ। अमेरिका ने 6 अगस्त को भारत पर रूसी तेल खरीद का हवाला देते हुए 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क भी लगाया था। ये शुल्क 27 अगस्त से प्रभावी हुए।
मंत्री ने बताया कि ये शुल्क कपड़ा, हस्तशिल्प, चमड़ा, कुछ कृषि वस्तुओं, समुद्री उत्पादों और इंजीनियरिंग वस्तुओं जैसे क्षेत्रों के उत्पादों पर लागू होंगे।
निर्यात संवर्धन मिशन के बारे में प्रसाद ने कहा कि यह मिशन निर्यात संवर्धन के लिए एक व्यापक, लचीला और डिजिटल रूप से संचालित ढांचा प्रदान करेगा, जिसका कुल परिव्यय 2025-26 से 2030-31 तक 25,060 करोड़ रुपये होगा।
प्रसाद ने बताया कि आरबीआई ने भी पात्र प्रभावित निर्यातकों के लिए व्यापार राहत उपाय शुरू किए हैं, जिनमें ऋण पुनर्भुगतान स्थगन और निर्यात ऋण की अवधि बढ़ाने का प्रावधान शामिल है।
निर्यात विविधीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, भारत ने अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ 15 मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) और छह तरजीही व्यापार समझौतों (पीटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं।
उन्होंने बताया, ‘‘सरकार सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि हमारे निर्यातक जापान, कोरिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे प्रमुख बाजारों के साथ भारत के मुक्त व्यापार समझौतों के लाभों का बेहतर उपयोग कर सकें और हाल में संपन्न एफटीए से उत्पन्न अवसरों का प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकें।’’
उन्होंने बताया कि सरकार यूरोपीय संघ, पेरू, चिली, न्यूज़ीलैंड और ओमान के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी एफटीए को शीघ्र संपन्न करने के लिए भी बातचीत कर रही है।
मंत्री ने बताया, ‘‘सरकार अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव का आकलन करने के लिए निर्यातकों, निर्यात संवर्धन परिषदों, उद्योग संघों और राज्य सरकारों सहित सभी हितधारकों के साथ बातचीत कर रही है।’’
एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में मंत्री ने बताया कि वाणिज्य विभाग, अमेरिकी टैरिफ के उभरते प्रभाव का आकलन करने के लिए कपड़ा और परिधान, रत्न और आभूषण, चमड़ा, समुद्री, रसायन और इंजीनियरिंग सामान जैसे प्रभावित क्षेत्रों के उद्योग संघों सहित सभी हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है।
इस वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान अमेरिका को भारत का निर्यात बढ़कर 52.12 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 47.32 अरब अमेरिकी डॉलर था।
भाषा सुभाष