तमिलनाडु सरकार ने करूर भगदड़ मामले में सीबीआई जांच का आदेश वापस लेने का अनुरोध किया
आशीष धीरज
- 02 Dec 2025, 03:33 PM
- Updated: 03:33 PM
नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) तमिलनाडु सरकार ने करूर भगदड़ की सीबीआई जांच के निर्देश संबंधी 13 अक्टूबर के शीर्ष अदालत के आदेश को वापस लेने और मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा गठित एसआईटी जांच की अनुमति देने का अनुरोध किया है। करूर भगदड़ में 41 लोग मारे गए थे।
राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में दाखिल जवाब में कहा कि स्थानीय पुलिस और विशेष जांच टीम (एसआईटी) ‘‘गहन और निष्पक्ष जांच’’ करने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं तथा केंद्रीय एजेंसी के हस्तक्षेप के लिए कोई असाधारण परिस्थितियां मौजूद नहीं हैं।
राज्य सरकार ने दलील दी कि 13 अक्टूबर को तीन सदस्यीय पर्यवेक्षी समिति की निगरानी में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच का निर्देश देने वाले अंतरिम आदेश ने ‘‘एक तरह से याचिका को मंजूरी दे दी है’’ जबकि सुनवाई योग्य नोटिस पर निर्णय लिया जा सकता था।
तमिलगा वेत्री कषगम (टीवीके) प्रमुख विजय की 27 सितंबर को रैली के दौरान मची भगदड़ में 41 लोगों की मौत हो गई और 60 से ज़्यादा घायल हो गए।
राज्य सरकार के अनुसार, करूर जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों पर लापरवाही या कर्तव्यहीनता का आरोप पूरी तरह से निराधार है। राज्य सरकार ने कहा, ‘‘रिकॉर्ड स्पष्ट रूप से स्थापित करते हैं कि जिला प्रशासन और पुलिस ने अत्यंत तत्परता, दूरदर्शिता और सभी वैधानिक और प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों के अनुपालन के साथ काम किया।’’
तमिलनाडु सरकार ने कहा, ‘‘606 पुलिसकर्मियों और होमगार्ड के साथ व्यापक इंतजाम किए गए थे, जिसकी निगरानी मध्य क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक और करूर जिले के पुलिस अधीक्षक सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने की। कार्यक्रम स्थल का चयन, पहुंच मार्ग, चिकित्सा तैयारी और यातायात प्रबंधन योजनाएं, सभी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के दिशानिर्देशों के अनुरूप बनाई गईं।’’
तमिलनाडु सरकार ने आरोप लगाया कि मुख्य याचिकाकर्ता जी एस मणि का राजनीति से प्रेरित मुकदमे दायर करने का रिकॉर्ड रहा है, और वर्तमान याचिका राजनीतिक विमर्श के लिए न्यायिक प्रक्रिया का इस्तेमाल करने का एक और प्रयास है।
शीर्ष अदालत ने भगदड़ की सीबीआई जांच का आदेश देते हुए कहा था कि इस घटना ने राष्ट्रीय चेतना को झकझोर दिया है और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। यह आदेश अभिनेता-नेता विजय की पार्टी टीवीके द्वारा स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका पर दिया गया था।
एसआईटी और एक सदस्यीय जांच आयोग की नियुक्ति के निर्देशों को निलंबित करते हुए उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु से केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों को पूर्ण सहयोग देने को कहा था।
भाषा आशीष