दुनिया के सबसे बड़े हथियार उत्पादकों की कमाई में 5.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी:सिपरी की रिपोर्ट
आशीष संतोष
- 01 Dec 2025, 07:05 PM
- Updated: 07:05 PM
स्टॉकहोम, एक दिसंबर (भाषा) यूक्रेन और गाजा में युद्धों के साथ-साथ वैश्विक और क्षेत्रीय भू-राजनीतिक तनाव के कारण दुनिया की 100 सबसे बड़ी हथियार उत्पादक कंपनियों को हथियार और सैन्य साजो सामान की बिक्री से हुई कमाई में पिछले साल 5.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। सोमवार को जारी ‘स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (सिपरी) की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली।
‘स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस सूची में शामिल तीन भारतीय कंपनियों का सैन्य साजो सामान से हुई संयुक्त कमाई घरेलू मांग की बदौलत 8.2 प्रतिशत बढ़कर 7.5 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गई।
स्वीडन स्थित वैश्विक ‘‘थिंक टैंक’’ सिपरी ने एक वेबलिंक भी साझा किया, जिसमें 2024 में दुनिया की "शीर्ष 100 हथियार उत्पादक और सैन्य साजो सामान बनाने वाली कंपनियों" की सूची है।
इसमें शामिल भारतीय कंपनियां हैं- हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (44वें स्थान पर), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (58वें स्थान पर), मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स (91वें स्थान पर)।
बयान में कहा गया, "सिपरी द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 100 सबसे बड़ी हथियार उत्पादक कंपनियों द्वारा हथियारों और सैन्य साजो सामान की बिक्री से राजस्व 2024 में 5.9 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड 679 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।"
यूक्रेन और गाजा में युद्ध, वैश्विक और क्षेत्रीय भू-राजनीतिक तनाव तथा लगातार बढ़ते सैन्य व्यय के कारण मांग में वृद्धि से पिछले वर्ष हथियारों की बिक्री के वैश्विक राजस्व में तेज बढोतरी हुई।
सिपरी की रिपोर्ट के अनुसार, 2018 के बाद पहली बार सभी पांच सबसे बड़ी हथियार कंपनियों ने अपने हथियार राजस्व में वृद्धि दर्ज की है। सूची में शीर्ष पांच कंपनियां क्रमशः लॉकहीड मार्टिन कॉर्प (अमेरिका), आरटीएक्स (अमेरिका), नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन कॉर्प (अमेरिका), बीएई सिस्टम्स (ब्रिटेन) और जनरल डायनेमिक्स कॉर्प (अमेरिका) हैं।
हालांकि वैश्विक वृद्धि का बड़ा हिस्सा यूरोप और अमेरिका में स्थित कंपनियों के कारण था, लेकिन शीर्ष 100 में शामिल विश्व के सभी क्षेत्रों में साल-दर-साल वृद्धि दर्ज की गई थी। एकमात्र अपवाद एशिया और ओशिनिया है जहां चीनी हथियार उद्योग में समस्याओं के कारण मामूली गिरावट आई।
शीर्ष 100 में शामिल 39 अमेरिकी कंपनियों में से 30 कंपनियों ने वृद्धि दर्ज की जिनमें लॉकहीड मार्टिन, नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन और जनरल डायनेमिक्स शामिल हैं। उनका संयुक्त राजस्व 3.8 प्रतिशत बढ़कर 334 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। हालांकि सिपरी ने कहा कि एफ-35 लड़ाकू विमान सहित अमेरिकी नेतृत्व वाले प्रमुख सैन्य साजो सामान के निर्माण में "व्यापक देरी और बजट में बढ़ोतरी विकास और उत्पादन को प्रभावित कर रही है।"
सिपरी सैन्य व्यय और शस्त्र उत्पादन कार्यक्रम के शोधकर्ता लोरेंजो स्काराज़ातो ने बयान में कहा, "पिछले साल हथियार बिक्री का वैश्विक राजस्व सिपरी द्वारा दर्ज किए गए उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, क्योंकि उत्पादकों ने उच्च मांग का लाभ उठाया।"
यूरोप (रूस को छोड़कर) में स्थित शीर्ष 100 हथियार कंपनियों में से 23 ने हथियार राजस्व में वृद्धि दर्ज की। यूक्रेन में युद्ध और रूस से कथित खतरे से जुड़ी मांग के कारण उनकी कुल आय 13 प्रतिशत बढ़कर 151 अरब अमेरिकी डॉलर हो गई।
प्रतिबंधों के कारण कल-पुर्जे की कमी के बावजूद, सिपरी की सूची में शामिल दो रूसी कंपनियों रोस्टेक और यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन का हथियार बिक्री का राजस्व 23 प्रतिशत बढ़कर 31.2 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। सिपरी ने कहा कि घरेलू मांग हथियारों के निर्यात में गिरावट की भरपाई के लिए पर्याप्त से अधिक है, हालांकि कुशल श्रमिकों की कमी एक चुनौती है।
पहली बार, शीर्ष 100 हथियार कंपनियों में से नौ मध्य पूर्व की हैं, जिनका संयुक्त राजस्व 31 अरब अमेरिकी डॉलर था। इस क्षेत्र में हथियारों से होने वाले राजस्व में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई। बयान में कहा गया है कि रैंकिंग में शामिल तीन इजराइली हथियार कंपनियों का संयुक्त हथियार राजस्व 16 प्रतिशत बढ़कर 16.2 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया।
इसके अलावा, अमेरिकी कंपनी स्पेसएक्स पहली बार सिपरी के शीर्ष 100 में शामिल हुई है, क्योंकि इसकी हथियार की बिक्री से हुई कमाई 2023 की तुलना में दोगुना से अधिक होकर 1.8 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गई है।
भाषा आशीष