तृणमूल कांग्रेस और भाजपा मतुआ का बस वोटबैंक के रूप में इस्तेमाल कर रही है: अधीर रंजन चौधरी
राजकुमार नरेश
- 01 Dec 2025, 06:49 PM
- Updated: 06:49 PM
(तस्वीर के साथ)
कोलकाता, एक दिसंबर (भाषा) वरिष्ठ कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सोमवार को पश्चिम बंगाल के सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भाजपा दोनों पर राज्य में पिछड़े मतुआ समुदाय को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करने तथा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर अनिश्चितता का सामना कर रहे इस समुदाय का समर्थन करने में विफल रहने का आरोप लगाया।
यहां मतुआ समुदाय के हजारों सदस्यों की एक रैली का नेतृत्व करने वाले चौधरी ने आरोप लगाया कि उत्तर 24 परगना और नदिया में दशकों से रह रहे समुदाय के सदस्यों में कई के पास वैध नागरिकता दस्तावेज हैं, लेकिन भाजपा ने उन्हें फिर से एसआईआर प्रक्रिया से गुजरने के लिए मजबूर कर दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह मतदाता सूची से मतुआ समुदाय के अधिकतर सदस्यों के नाम हटाने की साजिश है। भाजपा और तृणमूल कांग्रेस दोनों उनके भविष्य के साथ खेल रही हैं। जब नवंबर के पहले सप्ताह में मतुआ महासंघ के सदस्य अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठे थे, इन दोनों पार्टियों में से कोई भी उनकी मदद के लिए नहीं आई। मतुआ से एक भी वोट न मिलने के बावजूद कांग्रेस ऐसा नहीं होने देगी। हम सब कुछ करेंगे ताकि एक भी मतुआ का नाम न हटाया जाए।’’
लोकसभा में विपक्ष के पूर्व नेता चौधरी ने कहा कि उन्होंने मांग की है कि मतुआ समुदाय के लोगों को मतदाता सूची से वंचित किये जाने के मुद्दे पर पांच दिसंबर को संसद के शीतकालीन सत्र में चर्चा कराई जाए।
उन्होंने कहा, ‘‘ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा का चेहरा बेनकाब हो गया है क्योंकि उन्होंने न तो यह मांग उठाई है और न ही इस संबंध में कोई पहल की है। हां, तृणमूल ने एसआईआर पर चर्चा की मांग की है, लेकिन हम मतुआ समुदाय के सामने आने वाले खतरों पर एक अलग, व्यापक चर्चा चाहते हैं।’’
चौधरी ने कहा, ‘‘ भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर ने दावा किया है कि एसआईआर में किसी भी असली मतुआ का नाम नहीं हटाया जाएगा। लेकिन जब मतुआ समुदाय के लाखों लोगों के सामने नाम छूटने का खतरा मंडरा रहा है, तो वह चुप हैं और इस मुद्दे को नजरअंदाज कर रहे हैं। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी का भी यही रुख है। उन्होंने इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।’’
तृणमूल पर अपना हमला तेज करते हुए चौधरी ने आरोप लगाया, ‘‘प्रशासन ने राज्य के विभिन्न वक्फ निकायों को नोटिस भेजकर उनकी संपत्तियों का ब्योरा मांगा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक ओर, तृणमूल सुप्रीमो दावा करती हैं कि वह बंगाल में वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लागू नहीं होने देंगी। दूसरी ओर, उनका प्रशासन चुपचाप वक्फ निकायों को डिजिटलीकरण के लिए डेटा जमा करने के लिए नोटिस भेज रहा है। क्या यह पाखंड नहीं है? मुस्लिम वोट बैंक के समर्थन से सत्ता में आई तृणमूल कांग्रेस अब वक्फ निकायों को नियंत्रित करने के भाजपा सरकार के कदम का समर्थन कर रही है।’’
हालांकि, चौधरी ने सियालदह स्टेशन से मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय तक मतुआ समुदाय द्वारा निकाली गई रैली को 'गैर-राजनीतिक' बताया, जिसका एकमात्र उद्देश्य ‘उनके नागरिक अधिकारों की रक्षा करना’ है।
चौधरी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि कांग्रेस नेता अपना राजनीतिक रुख अपनाने के लिए स्वतंत्र हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘‘मतुआ को एसआईआर की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। भाजपा गारंटी दे रही है कि मतदाता सूची से एक भी मतुआ का नाम नहीं छूटेगा। अगर किसी का नाम छूटा भी है, तो उसे जल्द ही सीएए के तहत नागरिकता मिल जाएगी। सिर्फ़ बांग्लादेशी मुसलमानों की पहचान की जाएगी।’’
भाषा राजकुमार