प्रधानमंत्री ने राधाकृष्णन की सामान्य शुरुआत से लेकर सार्वजनिक सेवा तक के सफर को सराहा
मनीषा माधव
- 01 Dec 2025, 05:19 PM
- Updated: 05:19 PM
नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा के सभापति सी पी राधाकृष्णन की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनका एक सामान्य किसान परिवार से उठकर महत्वपूर्ण संवैधानिक पद तक पहुंचना भारतीय लोकतंत्र की शक्ति का प्रतीक है।
राज्यसभा में उनके अभिनंदन के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि राधाकृष्णन का जीवन सामाजिक सेवा के प्रति अटूट समर्पण का उदाहरण है और राजनीति उनके सार्वजनिक योगदान का सिर्फ एक हिस्सा रहा है।
उन्होंने कहा, “उनकी यात्रा समाज सेवा करने वालों के लिए प्रेरणादायी है।”
सितंबर में चंद्रपुरम पोनुसामी (सी पी) राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति चुने गए थे। इसके साथ ही वे राज्यसभा के पदेन सभापति बने। संसद का वर्तमान शीतकालीन सत्र उनका पहला सत्र है जिसमें वे सदन की अध्यक्षता कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने झारखंड, महाराष्ट्र, तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल के रूप में कार्यकाल सहित उनके विभिन्न संवैधानिक पदों पर कामकाज का उल्लेख किया और कहा कि उन्होंने प्रोटोकॉल से ऊपर उठकर स्थानीय समुदायों से निकट संपर्क बनाया।
मोदी ने कहा कि राधाकृष्णन हमेशा प्रोटोकॉल से ऊपर उठकर काम करते रहे हैं और उनका व्यक्तित्व सेवा, समर्पण और धैर्य का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमने सहयोगी के तौर पर साथ काम किया, कार्यकर्ता के तौर पर आपको मैंने काम करते देखा और विभिन्न पदों की जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए इस पद पर पहुंचते देखा है। मैंने यह महसूस किया है कि आपका प्रोटोकॉल से कोई नाता नहीं रहा। सार्वजनिक जीवन में प्रोटोकॉल से मुक्त होना एक बड़ी ताकत होती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आपके व्यक्तित्व में सेवा, समर्पण, संयम... इन सभी बातों से हम परिचित हैं। आप एक मध्यम परिवार से आते हैं। आपने अपनी सेवा का क्षेत्र बेहद व्यापक रखा है जिसमें वंचित परिवार हमेशा से आपकी प्राथमिकता रहे हैं।’’
प्रधानमंत्री ने दो घटनाओं का उल्लेख किया। एक तो बचपन में राधाकृष्णन डूबने से बाल-बाल बचे थे और दूसरी घटना में लालकृष्ण आडवाणी की यात्रा के दौरान बम विस्फोट से वह बचे थे। प्रधानमंत्री के अनुसार, इन दोनों अनुभवों ने राधाकृष्णन की समाज सेवा और राष्ट्र सेवा के लिए प्रतिबद्धता को और गहरा किया।
मोदी ने यह भी बताया कि वाराणसी यात्रा के दौरान राधाकृष्णन ने मांसाहार छोड़ने का निर्णय लिया था। उन्होंने कहा, “मैं यह नहीं कह रहा कि मांसाहार गलत है, लेकिन वाराणसी से सांसद होने के नाते मैं इस भाव को सराहता हूं। यह उनके आध्यात्मिक संकल्प और आत्म-परिवर्तन की क्षमता को दर्शाता है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्र जीवन से ही राधाकृष्णन ने मजबूत नेतृत्व क्षमता दिखाई और आसान रास्ते की बजाय संघर्ष का मार्ग चुना। मोदी के अनुसार, आपातकाल के दौरान राधाकृष्णन ने लोकतंत्र के सच्चे सिपाही की तरह लड़ाई लड़ी और जनचेतना फैलाने का काम किया, वहीं दूसरी ओर एक कुशल संगठक के रूप में उन्होंने हर जिम्मेदारी में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और लोगों को जोड़ने का काम किया।
मोदी ने कहा, “आज हम सभी के लिए गर्व का अवसर है। उनकी यात्रा पूरे देश के लिए प्रेरणा है। मैं उन्हें पुनः बधाई देता हूं।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “वे प्रोटोकॉल की सीमाओं से ऊपर उठकर जनता के बीच काम करते रहे। ‘डॉलर सिटी’ में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने वंचित, उपेक्षित और कमजोर तबकों के कल्याण को अपनी प्राथमिकता बनाया।”
उन्होंने कहा कि जो भी दायित्व राधाकृष्णन को सौंपा गया, उन्होंने उसे उत्कृष्टता के साथ निभाया और लोगों को साथ जोड़ने तथा नयी पीढ़ी के लिए अवसर पैदा करने में सदैव अग्रणी रहे।
मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि उनके नेतृत्व में राज्यसभा गरिमा और परंपराओं को बनाए रखते हुए देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रहेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि उनके नेतृत्व में सदन सार्थक चर्चाएं करेगा और महत्वपूर्ण निर्णय लेगा।
राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं आपको बधाई देता हूं और भरोसा है कि इस सदन का हर सदस्य इसकी परंपराओं का सम्मान करेगा और आपकी गरिमा को बनाए रखेगा।”
पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद के मानसून सत्र की शुरुआत में 21 जुलाई, 2025 को स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद उप राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुआ और राधाकृष्णन इस पद पर निर्वाचित हुए। उप राष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं। उच्च सदन के सभापति के तौर पर शीतकालीन सत्र राधाकृष्णन का पहला सत्र है।
इससे पहले, सत्र की शुरूआत से पूर्व संसद परिसर में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए भी प्रधानमंत्री ने उप राष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन को राज्यसभा के सभापति के तौर पर पहले सत्र की अध्यक्षता करने के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं।
भाषा
मनीषा