राज्यसभा: नये सभापति को सभी दलों ने दी बधाई, सभी को बोलने का अवसर देने का किया अनुरोध
माधव मनीषा
- 01 Dec 2025, 03:58 PM
- Updated: 03:58 PM
नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में सोमवार को प्रधानमंत्री, सदन के नेता, नेता प्रतिपक्ष सहित विभिन्न दलों के नेताओं ने नये सभापति सी पी राधाकृष्णन को यह दायित्व संभालने के लिए बधाई देते हुए उम्मीद जतायी कि सांसद के रूप में उनके अनुभव से सदन के कुशल संचालन में मदद मिलेगी।
कई दलों के सदस्यों ने सदन के सभी पक्षों को बोलने का समान अवसर देने का अनुरोध किया।
राधाकृष्णन का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि साधारण पृष्ठभूमि से उठकर सी. पी. राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचना भारतीय लोकतंत्र की वास्तविक शक्ति को प्रदर्शित करता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि उनका अनुभव और मार्गदर्शन उच्च सदन की कार्यवाही के सुचारू संचालन में सहायक होगा।
सितंबर में चंद्रपुरम पोनुसामी (सी. पी.) राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति चुने गए थे। अपने निर्वाचन के साथ ही राधाकृष्णन राज्यसभा के पदेन सभापति बन गए।
प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं आपको बधाई देता हूं और भरोसा है कि इस सदन का हर सदस्य इसकी परंपराओं का सम्मान करेगा और आपकी गरिमा को बनाए रखेगा।”
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राधाकृष्णन का स्वागत करते हुए सदन के नेता जे पी नड्डा ने उम्मीद जतायी वह संसद के उच्च सदन का कुशलतापूर्वक संचालन करेंगे। उन्होंने भारत के पूर्व राष्ट्रपति और उच्च सदन के सभापति रह चुके सर्वपल्ली राधाकृष्णन के एक वाक्य को उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘हमें एक जिम्मेदार संसद सदस्य बनना चाहिए न कि गैरजिम्मेदार और आंदोलन करने वाला सदस्य।’’
नड्डा ने याद किया था कि राधाकृष्णन ने तमिलनाडु में भाजपा की इकाई का नेतृत्व उस समय संभाला जब पार्टी बहुत ही चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही थी।
सदन के नेता ने कहा, ‘‘आपने, विरासत में जो मिला, उसके साथ हमें जीवन में कौन सा रास्ता चुनना है, इस बात को समझा और चरितार्थ करके दिखाया।’’ उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आज ध्यान दिलाया कि राधाकृष्णन जी कांग्रेस के घराने से आते हैं।
विपक्ष की ओर से खरगे ने सभापति का स्वागत करते हुए कहा कि कांग्रेस ‘‘संवैधानिक मूल्यों और सदन की परंपराओं’’ के साथ दृढ़ता से खड़ी है और कार्यवाही के सुचारू संचालन में सहयोग करेगी।
खरगे ने जिक्र किया कि राधाकृष्णन तीन बार लोकसभा सांसद रह चुके सी के कुप्पुस्वामी के रिश्तेदार हैं, जो कांग्रेस के सदस्य थे।
उन्होंने कहा, ‘‘बेहतर होगा कि आप दोनों तरफ संतुलन बनाए रखें। मैं आपके सफल कार्यकाल की कामना करता हूं... आप जिस पृष्ठभूमि से आते हैं, उसका प्रधानमंत्री ने ज़िक्र किया, लेकिन आपको यह भी नहीं भूलना चाहिए कि आप एक कांग्रेसी परिवार से हैं।’’
खरगे ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने (संसद के) बाहर एक बयान दिया है। उन्होंने हम पर अप्रत्यक्ष हमला किया और हम उसका जवाब यहीं देंगे...।’’
उन्होंने कहा कि पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया था और उनका अचानक पद छोड़ना संसदीय इतिहास में असामान्य घटना है।
उन्होंने कहा, “मुझे आपके पूर्ववर्ती के अचानक और अप्रत्याशित रूप से पद छोड़ने का उल्लेख करना पड़ रहा है…। मुझे निराशा है कि सदन को उन्हें विदाई देने का अवसर नहीं मिला।”
पूर्व प्रधानमंत्री एवं जनता दल (एस) के एच डी देवेगौड़ा ने सभापति को बधाई देते हुए कहा कि सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए उनके सहित सभी सदस्य राधाकृष्णन से मार्गदर्शन चाहेंगे। उन्होंने उम्मीद जतायी कि वह इस सदन की लम्बी परंपरा के अनुसार इसका संचालन करेंगे।
उन्होंने कहा कि राधाकृष्णन को किसानों के मुद्दे काफी प्रिय हैं और उन्हें उम्मीद है कि किसानों के मुद्दे सदन में प्रमुखता से उठाने की अनुमति दी जाएगी।
तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने सभापति का स्वागत करते हुए कहा ‘‘विपक्ष पर अक्सर सदन को बाधित करने का आरोप लगता है। ऐसा नहीं है। हम सदन चलाने में सहयोग करना चाहते हैं। लेकिन हमें हमारी बात रखने का भी मौका दिया जाना चाहिए।’’
द्रमुक के तिरुचि शिवा ने कहा कि लोकतंत्र में कोई छोटा या बड़ा नहीं होता और सभी समान होते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य के साथ पक्षपात नहीं होना चाहिए।
आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने कहा कि नए सभापति से सदन के सभी सदस्यों को कई उम्मीदें और अपेक्षाएं हैं।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जान ब्रिटास, जनता दल (यू) के रामनाथ ठाकुर, समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) की फौजिया खान ने कहा कि चूंकि सभापति राधाकृष्ण पहले संसद सदस्य रह चुके हैं, इसलिए उनके अनुभव का सदन के संचालन में लाभ मिलेगा।
भारत राष्ट्र समिति के सदस्य के आर सुरेश रेड्डी ने कहा कि सदन में सदस्य जिन मुद्दों पर बहस चाहते हैं, उन्हें उनकी अनुमति देना चाहिए।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के डॉ जॉन ब्रिटॉस ने कहा कि सभापति को यह अधिकार है कि वह सदस्य को बैठने के लिए कहें लेकिन उन्हें कम से कम बात तो सुनना चाहिए।
बीजू जनता दल के सस्मित पात्रा ने कहा कि कई राज्य विकास के दौड़ में पिछड़े हैं और इन राज्यों की समस्याएं उठाने का अवसर मिलना चाहिए।
कांग्रेस के राजीव शुक्ला ने कहा कि सदन में विपक्ष को पूरा मौका दिया जाना चाहिए क्योंकि उनके पास अपनी बात कहने के लिए संसद के अलावा कोई और जगह नहीं है।
अन्नाद्रमुक सदस्य डॉ एम तंबीदुरै ने कहा कि तमिलनाडु की समस्याओं का समाधान जरूरी है।
कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर, राष्ट्रीय लोक दल के नेता एवं कौशल विकास मंत्री जयंत चौधरी और केंद्रीय समाजिक कल्याण राज्य मंत्री रामदास आठवले ने भी नये सभापति का स्वागत करते हुए उम्मीद जतायी कि उनके अनुभव से सदन के सुचारू रूप से संचालन में मदद मिलेगी।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के संदोष कुमार पी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के अब्दुल वहाब, तेलुगु देशम पार्टी के साना सतीश बाबू, असम गण परिषद के वीरेंद्र प्रसाद वैश्य, तमिल मनिला कांग्रेस (एम) के जी के वासन ने उम्मीद जतायी कि सभापति सभी पक्षों को बोलने का अवसर देंगे और छोटे दलों के सदस्यों को समुचित समय मिलेगा।
मिजो नेशनल फ्रंट के के वेलेंल्ना, शिवसेना के मुरली देवड़ा, निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा, तेलुगु देशम पार्टी के मस्तान राव बीधा, आम आदमी पार्टी के अशोक कुमार मित्तल, माकपा के वी शिवदासन, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी, नेशनल कांफ्रेंस के सज्जद अहमद किचलू, मनोनीत सुधा मूर्ति, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सुभाष चंद्र बोस पिल्लै, जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के चौधरी मोहम्मद रमजान, राजद के प्रेमचंद, एवं बसपा के रामजी ने भी सभापति से सभी पक्षों को बोलने का अवसर दिये जाने का अनुरोध किया।
भाषा माधव मनीषा अविनाश
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