स्वदेश निर्मित पनडुब्बी रोधी युद्धक जहाज आईएनएस माहे भारतीय नौसेना में शामिल
आशीष माधव
- 24 Nov 2025, 04:35 PM
- Updated: 04:35 PM
(तस्वीरों के साथ)
मुंबई, 24 नवंबर (भाषा) भारतीय नौसेना ने सोमवार को आईएनएस माहे को अपने बेड़े में शामिल किया, जो माहे श्रेणी का पहला पनडुब्बी रोधी युद्धक जहाज है।
इस जहाज के सेवा में शामिल होने से नौसेना की युद्ध क्षमता में वृद्धि होने की उम्मीद है।
सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी आईएनएस माहे के जलावतरण के अवसर पर मुख्य अतिथि थे। यह जलपोत उथले जल के स्वदेशी लड़ाकू जहाजों की नयी पीढ़ी का प्रतीक है।
जनरल द्विवेदी ने कहा कि आईएनएस माहे का जलावतरण न केवल देश की समुद्री युद्ध व्यवस्था में एक शक्तिशाली नए पोत के शामिल होने का प्रतीक है, बल्कि यह स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के साथ जटिल लड़ाकू जहाजों को डिजाइन करने, निर्माण करने और तैनात करने की भारत की समुद्री क्षमता को भी दिखाता है।
उन्होंने कहा कि इसके सेवा में शामिल होने से भारतीय नौसेना की समुद्री प्रभुत्व सुनिश्चित करने, तटीय सुरक्षा तंत्र को मज़बूत करने और देश के विशाल तटीय जलक्षेत्र में भारत के समुद्री हितों की रक्षा करने की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। सेना प्रमुख ने कहा कि यह नौसेना में निरंतर परिवर्तन की भी पुष्टि करता है, जो अपने लड़ाकू प्लेटफ़ॉर्म का डिज़ाइन, निर्माण और रखरखाव स्वयं करती है।
एक अधिकारी ने बताया कि यह पहली बार था कि नौसेना के किसी जहाज के जलावतरण के अवसर पर सेना प्रमुख मौजूद थे।
अधिकारी ने बताया कि समारोह के बाद जनरल द्विवेदी ने जहाज को नौसेना में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नौसेना कर्मियों को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया। उन्होंने कहा कि यह एक दुर्लभ उपलब्धि है, जो आने वाले दिनों में और अधिक देखने को मिलेगी, क्योंकि सेना के तीनों अंगों के बीच तालमेल का स्तर बढ़ रहा है।
जनरल द्विवेदी ने कहा कि भारतीय नौसेना पड़ोस के साथ-साथ दूर-दराज के देशों में वैश्विक परिवेश में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जहां सेना के प्रयास सौम्य और कठोर कूटनीति में पूरक और सहयोगी दोनों भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने इसे स्मार्ट कूटनीति बताया।
नौसेना ने कहा, "माहे श्रेणी का पोत तटीय रक्षा की पहली पंक्ति का निर्माण करेगा, जो बड़े लड़ाकू जहाजों, पनडुब्बियों और विमानन परिसंपत्तियों के साथ एकीकृत होकर भारत के समुद्री परिचालन क्षेत्रों पर निरंतर निगरानी बनाए रखेगा।"
नौसेना ने कहा कि कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) द्वारा निर्मित आईएनएस माहे नौसैनिक जहाज के डिजाइन और निर्माण में देश की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का एक अत्याधुनिक उदाहरण है। उसने कहा कि छोटा होने के साथ-साथ शक्तिशाली यह जहाज चुस्ती, सटीकता और सहनशक्ति का प्रतीक है जो तटीय क्षेत्रों पर प्रभुत्व बनाए रखने के लिए जरूरी गुण हैं।
नौसेना ने कहा कि इस जहाज को पनडुब्बियों का पता लगाने, तटीय गश्त करने और भारत के महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
टॉरपीडो और पनडुब्बी-रोधी रॉकेटों से लैस माहे श्रेणी का पहला पनडुब्बी रोधी उथले पाने का युद्धक पोत 23 अक्टूबर को नौसेना को सौंपा गया था।
नौसेना ने कहा कि माहे का नौसेना में शामिल होना उथले जल क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले ‘‘नए पीढ़ी’’ के स्वदेशी लड़ाकू युद्धपोतों के आगमन को दर्शाता है।
इसमें कहा गया है, ‘‘80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ माहे श्रेणी का युद्धपोत डिजाइन, निर्माण और एकीकरण की बढ़ती क्षमता को दर्शाता है।’’
इस पोत का नामकरण मालाबार तट स्थित ऐतिहासिक तटीय शहर माहे के नाम पर किया गया है। युद्धपोत के प्रतीक चिह्न में ‘उरुमी’ को दर्शाया गया है जो कलारीपयट्टू की लचीली तलवार है और यह फुर्ती, सटीकता और घातक कौशल का प्रतीक मानी जाती है।
भाषा आशीष