संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार अब विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता है : प्रधानमंत्री मोदी
देवेंद्र दिलीप
- 23 Nov 2025, 07:08 PM
- Updated: 07:08 PM
(फोटो के साथ)
जोहानिसबर्ग, 23 नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधारों की जोरदार वकालत करते हुए रविवार को कहा कि भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका (इब्सा) के त्रिपक्षीय मंच को यह स्पष्ट संदेश देना चाहिए कि वैश्विक संस्था में बदलाव अब विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता है।
मोदी ने यहां इब्सा नेताओं के शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया बिखरी और विभाजित नजर आती है, इब्सा एकता, सहयोग और मानवता का संदेश दे सकता है।
उन्होंने तीनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए इब्सा एनएसए स्तरीय बैठक को संस्थागत बनाने का भी प्रस्ताव रखा।
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और ब्राजील के राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा की मौजूदगी में आयोजित बैठक में मोदी ने कहा, ‘‘आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमें करीबी समन्वय के साथ आगे बढ़ना होगा। इतने गंभीर मुद्दे पर दोहरे मापदंड के लिए कोई जगह नहीं है।’’
मानव-केंद्रित विकास सुनिश्चित करने में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने तीनों देशों के बीच यूपीआई जैसे डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे, कोविन जैसे स्वास्थ्य मंचों, साइबर सुरक्षा ढांचे और महिलाओं के नेतृत्व वाली तकनीकी पहल को साझा करने की सुविधा के लिए ‘इब्सा डिजिटल नवाचार गठबंधन’ की स्थापना का भी प्रस्ताव रखा।
‘इब्सा’ समूह दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने, वैश्विक शासन प्रणालियों में सुधारों को आगे बढ़ाने और विकासशील देशों के बीच सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित है।
शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तीकरण और सौर ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में 40 देशों में परियोजनाओं के समर्थन में इब्सा निधि के कार्य की सराहना करते हुए उन्होंने दक्षिण-दक्षिण सहयोग को और आगे बढ़ाने के लिए जलवायु अनुकूल कृषि के लिए इब्सा निधि का प्रस्ताव रखा।
मोदी ने इब्सा बैठक को समयोचित बताया, क्योंकि यह अफ्रीकी धरती पर आयोजित प्रथम जी-20 शिखर सम्मेलन के साथ हुई है तथा ‘ग्लोबल साउथ’ देशों द्वारा लगातार चार बार जी-20 की अध्यक्षता किए जाने का नतीजा है, जिनमें से अंतिम तीन अध्यक्षता इब्सा सदस्यों द्वारा की गई थी।
उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप मानव-केंद्रित विकास, बहुपक्षीय सुधार और सतत विकास पर केंद्रित कई महत्वपूर्ण पहल हुई हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इब्सा केवल तीन देशों का समूह नहीं है, बल्कि यह तीन महाद्वीपों, तीन प्रमुख लोकतांत्रिक देशों और तीन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण मंच है।
मोदी ने अगले वर्ष भारत में आयोजित होने वाले ‘एआई इम्पैक्ट’ शिखर सम्मेलन में इब्सा नेताओं को आमंत्रित किया। साथ ही उन्होंने सुरक्षित, विश्वसनीय और मानव-केंद्रित कृत्रिम मेधा (एआई) मानदंडों के विकास में योगदान देने के लिए समूह की क्षमता पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इब्सा एक दूसरे के विकास को पूरक बना सकता है और सतत विकास के लिए एक उदाहरण बन सकता है।
उन्होंने बाजरा, प्राकृतिक खेती, आपदा प्रतिरोधक क्षमता, हरित ऊर्जा, पारंपरिक औषधियां और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग के अवसरों पर प्रकाश डाला।
बाद में, सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में मोदी ने कहा कि इब्सा ‘‘ग्लोबल साउथ की आवाज और आकांक्षाओं को मजबूत करने के लिए हमारी स्थायी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इब्सा कोई साधारण समूह नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे संबंध दिल से जुड़े हुए हैं, जिसमें विविधता, साझा मूल्य और साझा आकांक्षाएं हैं। पिछले तीन वर्षों में तीनों इब्सा राष्ट्रों ने जी20 की अध्यक्षता संभाली है और इस अवसर का उपयोग मानव-केंद्रित एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किया है।’’
सितंबर में, इब्सा के विदेश मंत्रियों विदेश मंत्री एस जयशंकर, ब्राजील के विदेश मंत्री माउरो विएरा, और दक्षिण अफ्रीका के महिला, युवा और दिव्यांग व्यक्तियों से जुड़े मामलों की मंत्री सिंडीसिवे चिकुंगा ने न्यूयॉर्क में वार्षिक संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के दौरान मुलाकात की थी।
मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में महत्वाकांक्षी, व्यापक और गहन सुधार का आह्वान किया था।
भाषा
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