बंगाल के नादिया में बीएलओ फंदे से लटकी मिली, 'सुसाइड नोट' में निर्वाचन आयोग को जिम्मेदार ठहराया
शुभम धीरज
- 22 Nov 2025, 09:25 PM
- Updated: 09:25 PM
कोलकाता, 22 नवंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) के रूप में कार्यरत एक महिला का शव शनिवार को उसके आवास पर फंदे से लटका मिला। पुलिस ने यह जानकारी दी।
उसने बताया कि महिला के परिवार के सदस्यों का दावा है कि महिला काम की वजह से काफी तनाव में थी और इसी वजह से आत्महत्या कर ली।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने बीएलओ की मौत पर दुख व्यक्त किया और कहा कि यह अब ‘‘वास्तव में चिंताजनक’’ हो गया है।
मुख्यमंत्री द्वारा साझा किए गए एक ‘सुसाइड नोट’ में महिला कर्मी ने इस कदम के लिए निर्वाचन आयोग को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता राहुल सिन्हा ने दावा किया कि सुसाइड नोट फर्जी है।
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया कि मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर)चार नवंबर को शुरू होने के बाद से अबतक बीएलओ समेत 34 लोगों की मौत हो हुई है। पार्टी ने मांग की कि निर्वाचन आयोग इन मौतों की जिम्मेदारी ले।
बनर्जी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘एक और बीएलओ, एक महिला पैरा-शिक्षक की मौत की खबर सुनकर गहरा सदमा लगा है, जिसने आज कृष्णानगर में आत्महत्या कर ली। एसी-82 छपरा के भाग संख्या 201 की बीएलओ रिंकू तरफदार ने अपने आवास पर आत्महत्या करने से पहले छोड़े गए सुसाइड नोट (प्रतिलिपि संलग्न करते हुए) में निर्वाचन आयोग को जिम्मेदार ठहराया है।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘और कितने लोगों की जान जाएगी? इस एसआईआर के लिए और कितने लोगों को मरना होगा? इस प्रक्रिया के लिए हमें और कितने शव देखने होंगे? यह अब सचमुच चिंताजनक हो गया है!!’’
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि विवेकानंद विद्यामंदिर में पैरा-शिक्षिका 52 वर्षीय महिला का शव कृष्णानगर के छपरा के बंगालझी इलाके में स्थित उसके आवास के कमरे में फंदे से लटका मिला।
अधिकारी ने कहा, ‘‘परिवार का दावा है कि वह एसआईआर के काम के बोझ के कारण बहुत दबाव में थी। हमें उसके कमरे से एक सुसाइड नोट मिला है। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। जांच जारी है।’’
उन्होंने बताया कि मृतका ने नोट में यह लिखा है कि वह किसी भी राजनीतिक दल की समर्थक नहीं थी और एक आम नागरिक थी।
अधिकारी के मुताबिक सुसाइड नोट में महिला ने आरोप लगाया, ‘‘मैं जीना चाहती हूं। मेरे परिवार को किसी चीज की कमी नहीं है। लेकिन इस मामूली नौकरी के लिए मुझे इतना अपमानित किया गया है कि मेरे पास मरने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।’’
इसमें कहा गया, ‘‘मैं इस अमानवीय कार्यभार को सहन नहीं कर सकती। मैं एक अंशकालिक शिक्षिका हूं और मेरा वेतन मेरे प्रयास की तुलना में बहुत कम है फिर भी वे मुझे कार्यमुक्त नहीं करेंगे। मैंने 95 प्रतिशत ऑफलाइन कार्य पूरा कर लिया था, लेकिन मैं ऑनलाइन कार्यों का प्रबंधन करने में असमर्थ हूं। बीडीओ कार्यालय और पर्यवेक्षक को सूचित करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।’’
राज्य के मंत्री उज्ज्वल विश्वास ने मृतका के घर जाकर परिवार के सदस्यों से मुलाकात की।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार से पश्चिम बंगाल में जारी एसआईआर प्रक्रिया को रोकने का आग्रह किया है।
बनर्जी ने कहा कि वह यह पत्र ‘‘लिखने के लिए मजबूर’’ थीं क्योंकि राज्य में एसआईआर प्रक्रिया ‘‘बेहद चिंताजनक स्थिति’’ में पहुंच गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह अभियान ‘‘अनियोजित, खतरनाक’’ तरीके से चलाया जा रहा था जिसने ‘पहले दिन से ही व्यवस्था को पंगु बना दिया था’।
भाजपा के वरिष्ठ नेता राहुल सिन्हा ने कृष्णानगर में बीएलओ की मौत के संबंध में बनर्जी के दावों को खारिज किया।
उन्होंने तृणमूल नेतृत्व को चुनौती दी कि वे बीएलओ की मौत की सीबीआई जांच की मांग करें ताकि उनके इन आरोपों की पुष्टि हो सके कि एसआईआर से संबंधित कार्यभार इसका कारण है।
सिन्हा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह बिल्कुल निरर्थक है। अगर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं में इतनी हिम्मत है तो उन्हें बीएलओ की मौत की सीबीआई जांच की मांग करनी चाहिए। मैं उन्हें यह कहकर चुनौती दे सकता हूं कि सुसाइड नोट फर्जी है, ठीक वैसा ही जैसा हमें पानीहाटी मामले में मिला था।’’
उन्होंने सवाल किया कि क्या बीएलओ तृणमूल के दबाव में थी।
सिन्हा ने सवाल किया, ‘‘कहीं तृणमूल उनसे मृतकों या फर्जी मतदाताओं के नाम दर्ज करने के लिए तो नहीं कह रही थी और क्या बीएलओ ने उसके दबाव का सामना करने में असमर्थ होकर अपनी जान दे दी।’’
जलपाईगुड़ी जिले में बुधवार को एक बूथ-स्तरीय अधिकारी फंदे से लटकी मिली थी और उसके परिवार ने भी आरोप लगाया था कि ‘‘एसआईआर संबंधी काम के असहनीय दबाव’’ के कारण उसने आत्महत्या की।
इस बीच मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय ने बीएलओ की मौत के संबंध में नदिया के वरिष्ठ अधिकारियों से तत्काल रिपोर्ट मांगी है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें यह समझने की जरूरत है कि उसकी मौत के पीछे बताई गई वजह सही है या नहीं।’’
इस बीच तृणमूल कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग पर एक राजनीतिक दल को खुश करने के लिए काम करने का आरोप लगाया और चल रही एसआईआर प्रक्रिया को बीएलओ और आम नागरिकों सहित कई मौतों से जोड़ा।
वरिष्ठ तृणमूल नेता अरूप बिस्वास, चंद्रिमा भट्टाचार्य और पार्थ भौमिक शनिवार को मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय पहुंचे और इन चिंताओं का विवरण देते हुए एक ज्ञापन सौंपा।
बिस्वास ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जिस काम में आमतौर पर दो साल लगते हैं, उसे दो महीनों में निपटाया जा रहा है। आयोग पर एक राजनीतिक दल को फायदा पहुंचाने का आरोप लग रहा है। हर बूथ पर 150 से 200 मतदाताओं के नाम जानबूझकर हटाए जा रहे हैं। आयोग की वेबसाइट गलतियों से भरी पड़ी है। इन खामियों की वजह से लोगों की जान जा रही है।’’
भट्टाचार्य ने दावा किया कि बीएलओ पर बिना उचित प्रशिक्षण के अनुचित दबाव डाला जा रहा है, जिससे उनकी जान जोखिम में पड़ रही है।
भाषा
शुभम