महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध हिंसा का आपस में गहरा संबंध
देवेंद्र नेत्रपाल
- 22 Nov 2025, 04:37 PM
- Updated: 04:37 PM
(फीवे बाबालो नोटा, केपटाउन विश्वविद्यालय; और विएदाद स्लेमिंग, केपटाउन विश्वविद्यालय)
केपटाउन, 22 नवंबर (द कन्वरसेशन) दक्षिण अफ्रीका में अंतरंग साथी की ओर से की गई हिंसा महिलाओं के खिलाफ हिंसा का सबसे आम रूप है और यह व्यापक रूप से व्याप्त है। ‘नेशनल जेंडर-बेस्ड वायलेंस प्रीवलेंस स्टडी’ के अनुसार 18 वर्ष और इससे अधिक उम्र की 24 प्रतिशत महिलाओं ने अपने साथी या पति द्वारा शारीरिक या यौन हिंसा का सामना किया है।
गर्भावस्था के कारण रिश्तों में हिंसा भड़क सकती है या बढ़ सकती है, जो अक्सर शक्ति संतुलन में बदलाव, आर्थिक तनाव या साथी द्वारा नियंत्रण खोने की भावना के कारण होती है।
दक्षिण अफ्रीका के तटीय शहर डरबन में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 20 प्रतिशत महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कम से कम एक प्रकार की शारीरिक, यौन या मनोवैज्ञानिक अंतरंग साथी हिंसा का सामना करना पड़ा था।
दक्षिण अफ्रीका की आर्थिक राजधानी जोहानिसबर्ग में किए गए एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि 36.6 प्रतिशत युवतियों ने अपने साथी या जीवनसाथी द्वारा हिंसा की शिकायत की और गर्भावस्था को हिंसा के लिए एक प्रमुख जोखिम अवधि बताया गया।
महिलाओं के खिलाफ इस हिंसा से बच्चे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते हैं। वे अपने घरों, स्कूलों और समुदायों समेत विभिन्न परिवेशों में हिंसा का सामना करते हैं।
दक्षिण अफ्रीका के कस्बे सोवेटो में लोगों के एक समूह के जीवन पर नजर रखने वाले शोध कार्यक्रम ‘बर्थ टू थर्टी’ अध्ययन में पाया गया कि 99 प्रतिशत लोग कम से कम एक प्रकार की हिंसा के दायरे में थे जबकि 40 प्रतिशत लोग पांच या छह अन्य प्रकार की हिंसा के संपर्क में थे।
नवंबर 2025 में जारी शोध रिपोर्ट, ‘साउथ अफ्रीकन चाइल्ड गेज’ का 18वां अंक महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के अंतर्संबंधों पर केंद्रित है। हिंसा के ये स्वरूप एक ही घर में एक साथ घटित होते हैं और इनमें जोखिम कारक भी समान होते हैं।
हालांकि, ऐतिहासिक रूप से इन्हें अलग-अलग मुद्दों के रूप में माना जाता रहा है।
इस लेख में, हम तीन दृष्टिकोणों पर प्रकाश डाल रहे हैं जो महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध हिंसा को रोकने के लिए दक्षिण अफ्रीका के प्रयासों का मार्गदर्शन कर सकते हैं:
-- जल्दी शुरू करना;
- विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करना, जिसमें स्वास्थ्य विभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा;
-- हानिकारक लैंगिक मानदंडों में परिवर्तन
हिंसा के चक्र को तोड़ना
शुरुआती वर्षों में लगातार हिंसा का सामना करना विशेष रूप से हानिकारक होता है। अत्यधिक शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनाव या आघात, मस्तिष्क के विकास को बाधित कर सकता है। इससे बच्चों के संज्ञानात्मक और सामाजिक-भावनात्मक विकास पर आजीवन दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
अध्ययनों से पता चला है कि घर में हिंसा का सामना करने वाले बच्चों में संघर्ष समाधान के एक तरीके के रूप में हिंसा को सामान्य मानने की संभावना अधिक होती है। इससे हिंसा का चक्र एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलता रहता है।
इससे लड़कों में अपने साथी के प्रति हिंसा का खतरा बढ़ जाता है। इससे लड़कियों को जीवन में आगे चलकर अपने अंतरंग साथियों द्वारा उत्पीड़न का शिकार होने का खतरा अधिक होता है।
इसलिए महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम जल्द शुरू होनी चाहिए और जारी रहनी चाहिए। शुरुआती कार्रवाई से मूल कारणों और जोखिम कारकों को दूर किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति के जीवनकाल में और पीढ़ियों तक चलने वाले इस चक्र को रोका जा सकता है।
स्वास्थ्य क्षेत्र की भूमिका
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा एक जटिल समस्या है। इसके लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, न्याय और सामाजिक सेवाओं समेत विभिन्न क्षेत्रों से समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है।
साक्ष्य यह भी बताते हैं कि गर्भावस्था और प्रारंभिक बचपन के दौरान पुरुषों की भागीदारी पारिवारिक संबंधों को मजबूत कर सकती है और मातृ एवं शिशु कल्याण में सुधार कर सकती है।
निष्कर्ष
हस्तक्षेप के बिना, महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध हिंसा की आवृत्ति और गंभीरता बढ़ने की आशंका है।
हिंसा को बढ़ावा देने वाले और देखभाल में पुरुषों की भागीदारी को सीमित करने वाले हानिकारक लैंगिक मानदंडों को बदलना भी महत्वपूर्ण है।
(द कन्वरसेशन)
देवेंद्र