प्रिया के बेटे ने संजय कपूर की वसीयत पर सवाल उठाने वाली करिश्मा के बच्चों की याचिका का विरोध किया
पारुल माधव
- 21 Nov 2025, 09:42 PM
- Updated: 09:42 PM
नयी दिल्ली, 21 नवंबर (भाषा) दिवंगत उद्योगपति संजय कपूर की पत्नी प्रिया कपूर के नाबालिग बेटे ने दिल्ली उच्च न्यायालय में (अपने पिता की पूर्व पत्नी) अभिनेत्री करिश्मा कपूर के बच्चों की ओर से दायर उस याचिका का शुक्रवार को विरोध किया, जिसमें उन्होंने अपने पिता (संजय कपूर) की कथित वसीयत की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए हैं।
प्रिया के छह वर्षीय बेटे की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अखिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष दलील दी कि करिश्मा के बच्चों का मामला “अटकलों और अनुमानों” पर आधारित है।
सिब्बल ने कहा कि वसीयत पेश करने में कोई देरी नहीं हुई, क्योंकि संजय का 12 जून को निधन हो गया था और निष्पादक ने 30 जुलाई को एक बैठक के दौरान वसीयत पेश कर दी थी। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक महीने का समय लगा था, न कि वर्षों की देरी हुई थी।
सिब्बल ने कहा, “पूरा मामला अटकलों और अनुमानों पर आधारित है। उनका मामला यह है कि 30 जुलाई को निष्पादक ने इसे (वसीयत को) जल्दबाजी में पढ़ा, एक दस्तावेज हटा दिया और चुनिंद अंश ही पढ़कर सुनाया। उस समय, वे तीन चीजें जानते थे - तारीख, गवाह और यह कि उन्हें बाहर रखा गया है।”
उन्होंने कहा कि 30 जुलाई की बैठक के बाद वादी पक्ष (करिश्मा कपूर की बेटी समायरा कपूर और नाबालिग बेटे) की ओर से वसीयत की प्रति मांगने के लिए एक पत्र तक नहीं लिखा गया।
सिब्बल ने कहा कि 22 अगस्त को वसीयत की प्रति मांगने के लिए पहला पत्र निष्पादक को भेजा गया।
उन्होंने कहा, “इस बीच, वादी पक्ष की मां (करिश्मा कपूर) सभी कागजी कार्रवाई पूरी करने के लिए प्रतिवादी-1 (प्रिया कपूर) से आसानी से संपर्क करती हैं। वह दस्तावेज मांगती हैं और प्रतिवादी-1 सहयोग करती हैं... उन्हें वसीयत की प्रति नहीं मिली, क्योंकि उन्होंने गोपनीयता समझौते पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।”
सिब्बल ने दलील दी, “उन्हें (वसीयत से) बाहर रखा गया है और वे जानते हैं कि कानूनी रणनीति वसीयत को चुनौती देने की है, चाहे वसीयत वास्तविक हो या नहीं, उन्हें इसे चुनौती देनी ही होगी।”
उन्होंने कहा कि वादी यह कहते हुए मुकदमा दायर कर सकते थे कि वसीयत में कुछ संदिग्ध है, इसीलिए उन्हें कोई प्रति नहीं दी गई, “लेकिन उन्हें पता था कि उन्हें इससे बाहर रखा गया है, इसलिए उन्हें इसे (वसीयत को) चुनौती देनी ही थी, चाहे कुछ भी हो जाए।”
संजय कपूर की विदेशी संपत्ति के बारे में सिब्बल ने कहा कि वादी ने कोई मामला नहीं बनाया है और यह मुद्दा विदेशी क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आता है।
उन्होंने कहा कि जब तक संजय जीवित थे, दोनों पक्षों के बीच कोई मतभेद नहीं था और सभी एक-दूसरे से सौहार्दपूर्ण तरीके से मिलते थे।
एक दिन पहले प्रिया कपूर ने उच्च न्यायालय से कहा था कि पति का अपनी सारी संपत्ति पत्नी को देना एक “स्वस्थ परंपरा” है। उन्होंने करिश्मा के बच्चों के इस दावे का खंडन किया था कि उनके पिता की कथित वसीयत संदिग्ध परिस्थितियों में सामने आई थी।
उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई अगले हफ्ते के लिए सूचीबद्ध कर दी।
भाषा पारुल