बाढ़, जंगली जानवरों से फसल नुकसान अब पीएम फसल बीमा योजना के दायरे में: चौहान
राजेश राजेश पाण्डेय
- 21 Nov 2025, 08:21 PM
- Updated: 08:21 PM
नागपुर, 21 नवंबर (भाषा) केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को कहा कि जलभराव और जंगली जानवरों से फसल के नुकसान का मुआवजा अब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत मिलेगा।
नागपुर में 'एग्रोविजन इवेंट' में एक सभा को संबोधित करते हुए, चौहान ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2023-24 की तुलना में 2024-25 में अनाज का उत्पादन छह प्रतिशत बढ़ाने में कामयाबी हासिल की है। उन्होंने कहा कि पिछले 10-11 सालों में कुल उत्पादन 44 प्रतिशत बढ़ा है।
उन्होंने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन के इस दौर में, कोई यह अंदाजा नहीं लगा सकता कि कब बारिश होगी या कब सूखा पड़ सकता है। इस साल, बारिश लगभग पांच से छह महीने तक चली, और सितंबर में आई बाढ़ ने कई किसानों की फसलें बर्बाद कर दीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं किसानों को अच्छी खबर देना चाहता हूं... पीएमएफबीवाई, जो फसल के नुकसान के लिए जोखिम से सुरक्षा और मुआवजा देती है, के दायरे में अब बाढ़ और जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान को भी शामिल किया जाएगा।’’
चौहान ने कहा कि महाराष्ट्र के किसान लंबे समय से ऐसे प्रावधान नहीं होने की शिकायत कर रहे थे, और अब इस योजना के तहत इन नुकसानों की भरपाई की जाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत खेती के एक नए दौर में जा रहा है — विचार से नवाचार की ओर, मशीनीकरण से विविधीकरण की ओर, एकीकरण से सिंचाई की ओर और उपग्रह से ड्रोन की ओर बढ़ रहा है।
कृषि मंत्री ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार सिंचाई में स्वचालन, मंडियों के आधुनिकीकरण और खेतों के विविधीकरण जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ रही है।’’
संतरे की पैदावार के लिए अच्छी गुणवत्ता के बीजों और पौधों के महत्व पर जोर देते हुए, चौहान ने कहा कि कृषि मंत्रालय 70 करोड़ रुपये के बजट से नागपुर में संतरे के लिए एक ‘क्लीन प्लांट सेंटर’ बनाएगा।
यह केंद्र संतरे उगाने वालों को अच्छी गुणवत्ता के पौधे देगा। उन्होंने कहा, ‘‘पहचानी गई नर्सरी को वित्तीय और प्रौद्योगिकी के स्तर पर मदद मिलेगी — बड़ी नर्सरी के लिए चार करोड़ रुपये और मध्यम एवं छोटी नर्सरी के लिए दो करोड़ रुपये दिए जाएंगे।’’
चौहान ने यह भी कहा कि सरकार ने जीन स्तर पर संसाधित (जीनोम एडिटिंग) तरीकों का इस्तेमाल करके दो तरह के अनाज सफलतापूर्वक उगाए हैं।
उन्होंने दोहराया कि किसानों की आय दोगुनी करना सरकार और प्रधानमंत्री की प्राथमिकता है, जिसके लिए उत्पादन और मुनाफा बढ़ाना जरूरी है।
उन्होंने आईसीएआर के वैज्ञानिकों को किसानों की मांग पर आधारित शोध करने, प्रयोगशाला को जमीन से जोड़ने और अच्छी गुणवत्ता के बीज देने का काम सौंपा। इन क्षेत्रों में शोध पहले से ही चल रहा है।
उन्होंने लागत कम करने के लिए मशीनीकरण और ड्रिप सिंचाई जैसी प्रौद्योगिकी अपनाने पर जोर दिया।
चौहान ने बताया कि सरकार ने किसानों से पूरी अरहर, मसूर, चना और उड़द की उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदने का फैसला किया है ताकि उन्हें सही लाभ मिल सके।
उन्होंने स्थानीय स्तर पर फसल प्रसंस्करण के जरिए विविधीकरण और मूल्यवर्धन पर जोर दिया।
चौहान ने 'एग्रोविजन एक्सपो' की तारीफ करते हुए इसे एक शानदार मंच बताया, जिसने किसानों को नई प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और व्यापार करने के मौके दिए हैं। उन्होंने कहा कि एग्रोविजन जैसे किसानों पर ध्यान केन्द्रित करने वाले संगठन और भी बेहतर नतीजे दे सकते हैं।
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