बिहार: कांग्रेस की महिला इकाई की अध्यक्ष ने दिया इस्तीफा, असंतुष्ट नेताओं ने किया प्रदर्शन
कैलाश खारी
- 21 Nov 2025, 04:06 PM
- Updated: 04:06 PM
पटना, 21 नवंबर (भाषा) बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के एक सप्ताह बाद कांग्रेस की प्रदेश इकाई में शुक्रवार को उस वक्त घमासान मच गया जब पार्टी की महिला इकाई की अध्यक्ष सरवत जहां फातिमा ने टिकट न मिलने के विरोध में पद से इस्तीफा दे दिया, जबकि असंतुष्ट नेताओं ने कारण बताओ नोटिस को खारिज करते हुए प्रदेश कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया।
फातिमा ने कहा कि केवल आठ प्रतिशत महिला उम्मीदवारों को टिकट दिए जाने और स्वयं को भी अवसर न मिलने के विरोध में वह पद छोड़ रही हैं, जबकि “मेरे सभी पूर्ववर्तियों को पार्टी ने चुनावी टिकट दिया था।”
उन्होंने कहा, “मैं 28 महीनों से महिलाओं से यह कहकर कांग्रेस के लिए समर्थन जुटाने का प्रयास कर रही थी कि पार्टी उनके राजनीतिक सशक्तीकरण के लिए काम करेगी। लेकिन जब टिकट बंटवारे की बारी आई तो 61 उम्मीदवारों में केवल आठ प्रतिशत महिलाएं थीं।”
उन्होंने कहा, “मुझसे पहले विभिन्न समुदायों से ताल्लुक रखने वाली कम से कम 12-13 महिलाएं इस पद (कांग्रेस की महिला इकाई का अध्यक्ष पद) पर रह चुकी हैं और सभी को टिकट मिला। लेकिन मुझे मौका नहीं मिला। इसलिए मैं इस्तीफा दे रही हूं।”
कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय सदाकत आश्रम में असंतुष्ट नेता “टिकट चोर पार्टी छोड़” जैसे नारे लगाते देखते गए।
कांग्रेस की प्रदेश इकाई के पूर्व प्रवक्ता आनंद माधव उन 40 से अधिक नेताओं में शामिल हैं जिन्हें कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण कारण बताओं नोटिस भेजा गया है।
माधव ने कहा, “मैं कांग्रेस का पुराना सदस्य हूं और पार्टी संविधान को अच्छी तरह जानता हूं। नोटिस भेजने वाले व्यक्ति को ऐसा करने का अधिकार ही नहीं है। केवल एआईसीसी (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) महासचिव (संगठन) ही सक्षम प्राधिकारी हैं।”
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘अनियमितताएं अनगिनत हैं। अनुशासन समिति में केवल तीन सदस्य हैं, जबकि इसमें पांच सदस्य होने चाहिए। इसके अलावा, सामान्यतः नोटिस का जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया जाता है, जबकि इस बार तीन दिन में ही जवाब मांग लिया गया।”
माधव ने अनुशासन समिति प्रमुख की पार्टी के प्रति निष्ठा पर भी “गंभीर सवाल” उठाए हैं। उन्होंने कहा, “भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के वरिष्ठ नेताओं के साथ उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं।”
पार्टी पदाधिकारियों की ओर से इन आरोपों पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं आई है।
असंतुष्ट नेताओं का गुस्सा उस समय भड़क गया जब पूर्णिया के निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव सदाकत आश्रम पहुंचे और उन्हें शांत करने की कोशिश की।
यादव को बिहार मामलों के प्रभारी कृष्णा अल्लावरु का करीबी माना जाता है और समझा जाता है कि उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए टिकट चयन में भी भूमिका निभाई है।
यादव की पत्नी रंजीत रंजन छत्तीसगढ़ से कांग्रेस की राज्यसभा सांसद हैं।
कांग्रेस ने 61 सीट में से केवल छह पर ही जीत दर्ज की।
कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राजेश कुमार राम (कुटुंबा), शकील अहमद खान (कदवा) और अजीत शर्मा (भागलपुर) भी अपनी सीट नहीं बचा सके।
गुस्साए कांग्रेस नेता यादव से उलझते भी देखे गए। उनका आरोप था कि यादव ने “गैर-राजनीतिक” अल्लावरु के साथ मिलीभगत कर टिकटों को “बेचने” का काम किया।
भाषा कैलाश