अनिवार्य पेंशन योजना से जुड़ने को 15,000 रुपये की वेतन सीमा पर पुनर्विचार की जरूरत: नागराजू
रमण अजय
- 18 Nov 2025, 09:57 PM
- Updated: 09:57 PM
मुंबई, 18 नवंबर (भाषा) वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागराजू ने मंगलवार को कहा कि लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए अनिवार्य पेंशन को लेकर 15,000 रुपये प्रति माह वेतन सीमा पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
नागराजू ने यहां कहा कि यह ‘बहुत बुरा’ है कि कुछ लोग, खासकर निजी क्षेत्र में काम करने वाले, जो 15,000 रुपये प्रति माह से अधिक कमाते हैं, उनके पास कोई पेंशन कवर नहीं है और वे उम्र बढ़ने के साथ बच्चों पर निर्भर हो जाते हैं।
नागराजू ने बताया, ‘‘जो लोग 15,000 रुपये प्रति माह से कम कमाते हैं। उनके लिए ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) प्रणाली में पंजीकरण अनिवार्य है। लेकिन 15,000 रुपये से अधिक कमाने वालों के लिए यह अनिवार्य नहीं है।’’
अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें इस पर विचार करने की आवश्यकता है...। हम उन लोगों का भविष्य कैसे सुरक्षित कर सकते हैं जो थोड़ा अधिक कमाते हैं और उनका भविष्य सुरक्षित हो तथा वे बुढ़ापे में बच्चों पर निर्भर नहीं हों।’’
यहां उद्योग मंडल सीआईआई वित्त पोषण शिखर सम्मेलन में नागराजू ने इसे एक ‘विसंगति’ बताया। यह सरकार के इस लक्ष्य से अलग है कि अधिकतम लोगों को पेंशन योजनाओं के अंतर्गत लाया जाए।
नागराजू ने कहा कि सरकार के समर्थन वाली अटल पेंशन योजना के लाभार्थियों की संख्या 8.3 करोड़ तक पहुंच गई है और इनमें से 48 प्रतिशत महिलाएं हैं।
उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्र के लोगों सहित अधिक से अधिक लोगों को सामाजिक सुरक्षा उपायों के अंतर्गत लाने के लिए सरकार के प्रयास भविष्य में भी जारी रहेंगे।
इसी कार्यक्रम में बीमा नियामक इरडा के सदस्य (जीवन बीमा) स्वामीनाथन एस अय्यर ने कहा कि बढ़ती उपभोक्ता मांग के बीच, यह सुनिश्चित करना एक ‘चुनौती’ है कि 30 साल बाद जब युवा पीढ़ी सेवानिवृत्त होगी, तो उसके पास पर्याप्त धनराशि हो।
उन्होंने कहा, ‘‘बढ़ते उपभोक्तावाद के साथ, हम आज यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कर सकते हैं कि 30 साल बाद, जब वे (जेन जेड) सेवानिवृत्त होंगे, तो उनके पास पर्याप्त धनराशि हो। यही हम सभी के सामने चुनौती है।’’
अय्यर ने कहा कि दो-तिहाई से ज्यादा भारतीयों के पास जीवन बीमा नहीं है।
उन्होंने कहा कि 25 वर्ष पहले बीमा क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलने का उद्देश्य इस क्षेत्र को और अधिक समृद्ध बनाना था। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि बीमा कंपनियों का 85 प्रतिशत से अधिक कारोबार शहरी क्षेत्रों से आता है तथा दूरदराज के इलाकों में ‘कवरेज’ पर्याप्त नहीं है।
भाषा रमण