मुंबई में निकाय चुनाव से पहले संगठन को मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने प्रमुख समीतियां गठित की
यासिर खारी
- 05 Nov 2025, 06:30 PM
- Updated: 06:30 PM
मुंबई, पांच नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी जड़ों को फिर से मजबूत करने में जुटी कांग्रेस मुंबई के निकाय चुनावों से पहले अपने संगठन का विस्तार करने और शहरी मतदाताओं से जुड़ने की कोशिश कर रही है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, गुटबाजी पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
यहां एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि पार्टी ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के आगामी चुनावों की तैयारियों को बेहतर बनाने के लिए कई समितियों का गठन किया है।
पूर्व मंत्री सुरेश शेट्टी को घोषणापत्र समिति का प्रमुख नियुक्त किया गया है जबकि पार्टी प्रवक्ता सुरेशचंद्र राजहंस ‘वॉर रूम’ का नेतृत्व करेंगे।
पार्टी ने कहा कि विधायक अमीन पटेल को चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख नियुक्त किया गया है, वरिष्ठ नेता मन्हास सिंह चुनाव प्रबंधन समिति के प्रमुख होंगे और बी.के. तिवारी अनुशासन समिति की अध्यक्षता करेंगे।
कांग्रेस की मुंबई इकाई के अध्यक्ष एवं सांसद वर्षा गायकवाड़ ने विश्वास व्यक्त किया कि आगामी चुनावों में कांग्रेस का मजबूत प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए सभी टीम सामूहिक रूप से काम करेंगी।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि इन समितियों को चुनाव घोषणापत्र तैयार करने, प्रचार में समन्वयन स्थापित करने तथा उच्च स्तरीय नागरिक चुनाव से पहले संगठन के भीतर अनुशासन सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है।
कांग्रेस मुंबई में अपने अस्तित्व और एकता बनाए रखने की एक महत्वपूर्ण चुनौती का सामना कर रही है। बीएमसी में चुनाव नजदीक आ गए हैं और पार्टी गुटीय संघर्षों तथा बदलते गठबंधनों के बीच अपनी संगठनात्मक ताकत को बढ़ाने का प्रयास कर रही है।
एक समय मुंबई में मजबूत राजनीतिक ताकत रही कांग्रेस पार्टी का प्रभाव पिछले एक दशक में कम होता गया है और 2017 के बीएमसी चुनावों में पार्टी ने 227 सदस्यीय निकाय में केवल 30 सीट ही जीती थीं।
महाराष्ट्र में 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद से पार्टी की स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है और इसके विधायक तथा राज्य से निर्वाचित सांसदों की संख्या लगातार घटती जा रही है। विधानसभा चुनावों में पार्टी ने 101 सीट पर चुनाव लड़ा था, उनमें से केवल 16 पर ही जीत मिली थी।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, कांग्रेस के फिर से अस्तित्व में आ पाने का मार्ग कठिन है क्योंकि इसकी मुंबई इकाई अपने पूर्व अध्यक्षों और वरिष्ठ नेताओं के गुटों के बीच बंट गई है।
भाषा यासिर