पुलिस थानों के पूछताछ कक्षों में सीसीटीवी कैमरे क्यों नहीं: न्यायालय ने राजस्थान सरकार से पूछा
DailyWorld
- 14 Oct 2025, 04:32 PM
- Updated: 04:32 PM
नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को राजस्थान सरकार से पूछा कि पुलिस थानों के पूछताछ कक्ष में सीसीटीवी कैमरे क्यों नहीं लगाए गए हैं?
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि थाने का पूछताछ कक्ष वह ‘‘मुख्य स्थान’’ है जहां सीसीटीवी कैमरे होने चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘आपके हलफनामे के अनुसार, पूछताछ कक्ष में कोई कैमरा नहीं है, जो कि मुख्य स्थान है जहां कैमरे होने चाहिए।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि सीसीटीवी कैमरे लगाने में लागत आएगी लेकिन ‘‘यह मानवाधिकार का सवाल है।’’
इसने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि वह किस प्रकार निगरानी तंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखती है।
पीठ थानों में सीसीटीवी की कमी से संबंधित एक स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी।
उच्चतम न्यायालय ने चार सितंबर को एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया था, जिसमें कहा गया था कि 2025 के पहले आठ महीनों में राजस्थान में पुलिस हिरासत में 11 लोगों की जान चली गई, जिनमें से सात घटनाएं उदयपुर संभाग में हुईं।
शीर्ष अदालत ने 2018 में मानवाधिकारों के हनन पर रोक लगाने के लिए पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की कि किसी एजेंसी को निगरानी प्रक्रिया में शामिल क्यों नहीं किया जा सकता।
इसने वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे की दलीलें भी सुनीं, जिन्हें एक अलग मामले में अदालत की सहायता के लिए न्याय मित्र नियुक्त किया गया था, जिसमें शीर्ष अदालत ने दिसंबर 2020 में एक आदेश पारित किया था।
शीर्ष अदालत ने उस आदेश में केंद्र को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) सहित जांच एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे और रिकॉर्डिंग उपकरण लगाने का निर्देश दिया था।
दवे ने पीठ को बताया कि उन्होंने इस मामले में अद्यतन रिपोर्ट दाखिल कर दी है।
उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि एक निगरानी तंत्र की आवश्यकता है।
पीठ ने स्वत: संज्ञान मामले में राजस्थान सरकार द्वारा दायर हलफनामे का हवाला दिया और कहा कि पुलिस थानों के पूछताछ कक्ष में कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं है।
इसने केंद्र और अन्य राज्यों से न्याय मित्र द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की सुनवाई 24 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
भाषा नेत्रपाल नरेश