ममता बनर्जी ने राजबंशी नेता ठाकुर पंचानन बर्मन को पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की
मनीषा अविनाश
- 09 Sep 2025, 04:04 PM
- Updated: 04:04 PM
कोलकाता, नौ सितंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को प्रख्यात समाज सुधारक और विचारक ठाकुर पंचानन बर्मन की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें ‘‘राजबंशी समाज की आत्मा’’ और ‘‘प्रेरणा का स्रोत’’ बताया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने पंचानन बर्मन की स्मृति को सम्मान देने के लिए कई पहल की हैं, जिनमें कूचबिहार में उनके नाम पर विश्वविद्यालय की स्थापना, खालिसामारी स्थित उनके जन्मस्थान पर विश्वविद्यालय के दूसरे परिसर का उद्घाटन और उनके पैतृक घर का जीर्णोद्धार कर उसे संग्रहालय और शोध केंद्र में तब्दील करना शामिल है।
ममता बनर्जी ने ‘एक्स’ पर लिखा, “मैं इस महान विभूति को हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। लेकिन मैं मानती हूं कि ऐसे महापुरुषों की कभी मृत्यु नहीं होती। उनके विचार और आदर्श अतीत में भी लोगों को प्रेरित करते रहे हैं, आज भी कर रहे हैं और भविष्य में भी करते रहेंगे।”
उन्होंने यह भी बताया कि समाज सुधारक की स्मृति में उनकी एक प्रतिमा भी स्थापित की गई है।
मुख्यमंत्री ने राजबंशी समुदाय के प्रति अपनी सरकार की व्यापक प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए कहा “हमने राजबंशी को एक आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी है।”
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कामतापुरी, संथाली, कुड़ुख, कुर्माली, नेपाली, हिंदी, उर्दू, ओड़िया, पंजाबी और तेलुगु भाषाओं को भी आधिकारिक दर्जा दिया गया है।
उन्होंने कहा “सदरी भाषा को बढ़ावा देने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं ।’’
ममता ने सोशल मीडिया पर कहा ‘‘राजबंशी संस्कृति और भाषा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने राजबंशी विकास बोर्ड, राजबंशी सांस्कृतिक अकादमी, राजबंशी भाषा अकादमी और कामतापुरी भाषा अकादमी की स्थापना की है। लगभग 200 राजबंशी स्कूलों को भी सरकारी मान्यता दी गई है।’’
मुख्यमंत्री ने बताया कि ‘नारायणी बटालियन’ का गठन राज्य पुलिस बल के तहत किया गया है, जिसका मुख्यालय मेखलीगंज में है। इसके अलावा बाबुरहाट में लोकनायक महाबीर चिला राय की 15 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा भी स्थापित की गई है।
ठाकुर पंचानन बर्मन (1866–1935) उत्तर बंगाल में राजबंशी समुदाय के प्रमुख नेता और समाज सुधारक थे। वे पेशे से वकील थे और शिक्षा, सामाजिक न्याय तथा हाशिए पर पड़े समुदायों के उत्थान के लिए उन्होंने उल्लेखनीय प्रयास किए।
भाषा मनीषा