मुद्दे के समाधान के बाद मराठा आरक्षण आंदोलन समाप्त हुआ, अदालत ने याचिकाओं पर जरांगे से जवाब मांगा
सुरभि मनीषा
- 03 Sep 2025, 02:12 PM
- Updated: 02:12 PM
(फोटो के साथ)
मुंबई, तीन सितंबर (भाषा) कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बुधवार को मुंबई उच्च न्यायालय में दलील दी कि मराठा आरक्षण आंदोलन का मुद्दा सुलझने के बाद आंदोलन खत्म कर दिया गया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति आरती साठे की पीठ ने उनकी दलील स्वीकार कर ली, लेकिन कहा कि जरांगे को मुंबई में उनके और उनके समर्थकों द्वारा आयोजित पांच दिन के प्रदर्शन के विरोध में दायर याचिकाओं में लगाए गए विभिन्न आरोपों के जवाब में अपना हलफनामा दाखिल करना होगा।
पीठ ने पूछा, ‘‘कुछ मुद्दे हैं। सार्वजनिक संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया गया। इसकी भरपाई कौन करेगा?’’
जरांगे और आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संगठनों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता सतीश मानेशिंदे और वी. एम. थोराट ने जोर देकर कहा कि प्रदर्शन से आम लोगों को असुविधा होने के अलावा ऐसा कोई नुकसान नहीं हुआ।
पीठ ने कहा कि जरांगे और संगठनों को अपना रुख स्पष्ट करते हुए हलफनामा दाखिल करना होगा।
अदालत ने कहा, ‘‘हलफनामों में यह कहना होगा कि उन्होंने (जरांगे और उनकी कोर टीम) लोगों को नहीं भड़काया था। यह बयान भी होना चाहिए कि वे इसके पीछे नहीं थे। याचिकाओं में कुछ गंभीर आरोप हैं।’’
अदालत ने कहा कि अगर हलफनामे में इससे इनकार का बयान नहीं दिया जाता है तो जरांगे और उनकी कोर टीम पर लोगों को भड़काने के आरोप लगेंगे।
अदालत ने कहा कि हलफनामा दाखिल होने के बाद अदालत कोई प्रतिकूल आदेश नहीं देगी बल्कि केवल याचिकाओं का निपटारा करेगी।
पीठ ने जरांगे और उनकी कोर टीम को हलफनामा दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया।
अदालत ने मंगलवार को जरांगे और उनके समर्थकों को मुंबई के आजाद मैदान को तुरंत खाली करने का अल्टीमेटम दिया था। अदालत ने कहा था कि यह आंदोलन अवैध और बिना अनुमति के हो रहा है। जरांगे मुंबई के आजाद मैदान में प्रदर्शन कर रहे थे।
बाद में पीठ ने बुधवार सुबह तक आजाद मैदान में रुकने के जरांगे के अनुरोध को स्वीकार कर लिया क्योंकि समाधान निकलने की संभावना थी।
दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में 29 अगस्त को अनशन शुरू करने वाले जरांगे ने मंगलवार शाम को सरकार द्वारा उनकी अधिकतर मांगें मान लेने के बाद अपना प्रदर्शन वापस ले लिया, जिसमें पात्र मराठों को ‘कुनबी’ जाति प्रमाण पत्र प्रदान करना भी शामिल है जिससे मराठा समुदाय के लोग अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को मिलने वाले आरक्षण लाभों के पात्र हो जाएंगे।
महाराष्ट्र सरकार द्वारा वंशावली दस्तावेज वाले पात्र मराठों को ‘कुनबी’ (अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत एक कृषक समुदाय) जाति प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए एक समिति गठित करने का सरकारी आदेश (जीआर) जारी करने के बाद कार्यकर्ता और उनके समर्थकों ने प्रदर्शन स्थल खाली कर दिया। मराठा समुदाय राज्य में ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत एक सामाजिक समूह है।
भाषा सुरभि