अमेरिकी शुल्क से उत्तर प्रदेश के निर्यात केंद्रों को झटका, सरकार से राहत पैकेज की मांग की
सलीम रमण
- 01 Sep 2025, 09:21 PM
- Updated: 09:21 PM
लखनऊ, एक सितंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के प्रमुख निर्यात केंद्र अमेरिका द्वारा भारतीय आयात पर 50 प्रतिशत का भारी शुल्क लगाये जाने के प्रभाव से जूझ रहे हैं। निर्यातकों ने नौकरियों के नुकसान, ऑर्डर के ठप होने और बाजार तक पहुंच के सिकुड़ने की चेतावनी दी है।
नोएडा, कानपुर और वाराणसी के उद्योग जगत से जुड़े लोगों ने कहा कि शुल्क ने वर्षों की कड़ी मेहनत से बनाये गये बाजार को खतरे में डाल दिया है। इसे लेकर पिछले हफ्ते कई जिलों में विरोध प्रदर्शन किये गये हैं।
नोएडा ‘अपैरल एक्सपोर्ट क्लस्टर’ के अध्यक्ष ललित ठुकराल ने कहा कि नए शुल्क का परिधान क्षेत्र पर 'प्रत्यक्ष और गंभीर प्रभाव' पड़ेगा जो भारत के निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
उन्होंने 'पीटीआई—भाषा' को बताया, ''नोएडा से ही सालाना 50 हजार करोड़ रुपये का कपड़ा निर्यात होता है। इसका एक-चौथाई हिस्सा अमेरिका जाता है। अब तक निर्यात पर केवल 12 प्रतिशत शुल्क लगता था। अचानक 50 प्रतिशत शुल्क लगाने से हमारे उद्योग को गहरा नुकसान होगा।''
ठुकराल ने कहा कि इस क्षेत्र में अकुशल श्रमिकों, खासकर महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा कार्यरत हैं। इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर लोगों का रोजगार छिन सकता है।
उन्होंने कहा, ''तीन-चार दशकों की जीतोड़ मेहनत के बाद हमने अमेरिकी बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। बदले हालात में रातों रात नए बाजारों में पैठ बनाना नामुमकिन है।''
ठुकराल ने सरकार से निर्यातकों को नुकसान का 'कम से कम 15-20 प्रतिशत' वापस पाने में मदद करने के लिए छूट या ब्याज-मुक्त ऋण देने पर विचार करने का आग्रह किया।
हालांकि, उन्होंने कहा कि उद्योग क्षेत्र केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के साथ है लेकिन उनसे यह भी उम्मीद करता है कि सरकार व्यवसायों और श्रमिकों के हितों की रक्षा करेगी।
भारत की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी चमड़ा पट्टियों में शुमार किये जाने वाले कानपुर-उन्नाव में भी उद्योग संकट का सामना कर रहा है।
चमड़ा निर्यात परिषद के क्षेत्रीय अध्यक्ष असद इराकी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि अमेरिका को भेजे जाने वाले दो हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के ऑर्डर लगभग रुक गए हैं। उन्होंने कहा, ''निर्यात रुक गए हैं, ऑर्डर रद्द हो गए हैं और फैक्ट्रियां ठप हो गई हैं। शिफ्ट कम की जा रही हैं और शुल्क जल्द ही रोजगार पर भी असर डाल सकता है।''
कानपुर-उन्नाव संकुल में चमड़े के लगभग 300 कारखाने हैं जिनसे लगभग 10 लाख लोगों की रोजीरोटी जुड़ी है। भारत के चमड़ा निर्यात में 40 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी इसी क्लस्टर की है।
बनारसी साड़ियों के केंद्र वाराणसी में पिछले हफ्ते व्यापारियों ने एक विरोध प्रदर्शन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पोस्टर जलाए। साड़ी व्यापारी संजीव मेहता ने कहा कि शुल्क से अमेरिका में ऑनलाइन और कूरियर-आधारित बिक्री बाधित होगी।
उन्होंने कहा, ''हमें अभी तक यह भी नहीं पता कि अलग-अलग वस्तुओं पर कितना कर बढ़ेगा, लेकिन व्यापार पर इसका असर निश्चित है।''
व्यापारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस पर 'कड़े कदम' उठाने का आग्रह किया है।
भदोही के कालीन निर्यातकों, रामपुर के मेंथा तेल उत्पादकों और मुरादाबाद के पीतल के बर्तन निर्यातकों द्वारा उठाई गई इसी तरह की चिंताओं के बाद ये नए विरोध प्रदर्शन और बयान सामने आए हैं।
भदोही से समाजवादी पार्टी के विधायक जाहिद बेग ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जिले के प्रसिद्ध कालीन उद्योग के समर्थन में हस्तक्षेप करने की मांग की। इस उद्योग का अधिकांश हिस्सा निर्यात पर निर्भर है।
बेग ने इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पत्र लिखकर 30 लाख लोगों को रोजगार देने वाले कालीन उद्योग को बचाने के लिए एक विशेष प्रोत्साहन पैकेज की मांग की थी।
रामपुर और मुरादाबाद के निर्यातकों का कहना है कि सैकड़ों करोड़ रुपये के ऑर्डर पहले ही अटके पड़े हैं जिससे कर्मचारियों की छंटनी को मजबूर होना पड़ रहा है।
अब लागू हुए अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क ने भारतीय वस्तुओं पर शुल्क को प्रभावी रूप से दोगुना कर दिया है।
राज्य का वार्षिक निर्यात 2017 में 80 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 2025 में दो लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। इसमें कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स, खाद्य प्रसंस्करण और हस्तशिल्प क्षेत्र प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
अधिकारियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार की 'एक जिला, एक उत्पाद' ने स्थानीय कारीगरों और छोटे व्यवसायों को वित्तीय और विपणन सहायता के माध्यम से वैश्विक बाजारों तक पहुंचने में मदद की है।
भाषा सलीम