वर्ष 2024-25 में पहली बार स्कूल शिक्षकों की संख्या एक करोड़ के पार: शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट
देवेंद्र अविनाश
- 28 Aug 2025, 06:33 PM
- Updated: 06:33 PM
नयी दिल्ली, 28 अगस्त (भाषा) शिक्षा मंत्रालय के यूडीआईएसई आंकड़ों से पता चलता है कि पहली बार 2024-25 के दौरान देशभर में स्कूल शिक्षकों की कुल संख्या एक करोड़ का आंकड़ा पार कर गई।
शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यूडीआईएसई) प्लस स्कूली शिक्षा संबंधी आंकड़ा एकत्र करने वाला एक मंच है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘शिक्षकों की संख्या में वृद्धि छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने और शिक्षकों की उपलब्धता में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’’
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘2022-23 की तुलना में समीक्षाधीन वर्ष के दौरान शिक्षकों की संख्या में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।’’
यूडीआईएसई प्लस के अनुसार आधारभूत, प्राथमिक, मध्य और माध्यमिक स्तर पर विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात (पीटीआर) अब क्रमशः 10, 13, 17 और 21 बताया गया है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुशंसित अनुपात 1:30 की तुलना में काफी बेहतर है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इस बेहतर पीटीआर से शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच बेहतर संवाद की सुविधा मिलती है, जिससे सीखने के अनुभव में वृद्धि होती है और बेहतर शैक्षणिक परिणाम प्राप्त होते हैं।’’
शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में पिछले दो वर्षों अर्थात् 2022-23 और 2023-24 की तुलना में प्राथमिक, मध्य और माध्यमिक स्तरों पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में उल्लेखनीय कमी देखी गई है।
प्राथमिक चरण में यह दर पिछले वर्ष की तुलना में 3.7 प्रतिशत से घटकर 2.3 प्रतिशत, मध्य चरण में 5.2 प्रतिशत से घटकर 3.5 प्रतिशत तथा द्वितीयक चरण में 10.9 प्रतिशत से घटकर 8.2 प्रतिशत हो गई।
शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में सभी शैक्षिक स्तरों - आधारभूत, प्राथमिक और माध्यमिक - पर विद्यार्थियों को पढ़ाई छोड़ने से रोकने की दर में सकारात्मक रुझान देखा गया है। पिछले वर्ष की तुलना में विद्यार्थियों को पढ़ाई छोड़ने से रोकने की दर में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जो आधारभूत स्तर पर 98.0 प्रतिशत से बढ़कर 98.9 प्रतिशत, प्राथमिक स्तर पर 85.4 प्रतिशत से बढ़कर 92.4 प्रतिशत, माध्यमिक स्तर पर 78.0 प्रतिशत से बढ़कर 82.8 प्रतिशत हो गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘जैसा कि बयान से देखा जा सकता है, एकल शिक्षक वाले स्कूलों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में आलोच्य वर्ष में लगभग छह प्रतिशत की कमी आई है। इसी प्रकार, शून्य नामांकन वाले स्कूलों की संख्या में लगभग 38 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई है।’’
भाषा
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