लोकतंत्र निर्वाचन आयोग के ‘क्रूर हमले’ से बच गया: कांग्रेस
पारुल नरेश
- 22 Aug 2025, 07:18 PM
- Updated: 07:18 PM
नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) कांग्रेस ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के निर्देश का स्वागत करते हुए शुक्रवार को कहा कि लोकतंत्र निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के “क्रूर हमले” से बच गया है। पार्टी ने दावा किया कि आयोग “पूरी तरह से बेनकाब और बदनाम” हो गया है।
कांग्रेस ने कहा कि उसे उम्मीद है कि शीर्ष अदालत का यह “कठोर आदेश” अंततः निर्वाचन आयोग के “अहंकार को तोड़ देगा और वोट चुराने एवं जवाबदेही से बचने के उसके नापाक प्रयासों पर लगाम लगाएगा।”
पार्टी की यह प्रतिक्रिया उच्चतम न्यायालय की ओर से निर्वाचन आयोग को यह निर्देश दिए जाने के बाद आई है कि वह बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण में हटाए गए मतदाताओं को भौतिक रूप से दावा पेश करने के अलावा ऑनलाइन माध्यम से दावे प्रस्तुत करने की अनुमति दे।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने आधार कार्ड नंबर और एसआईआर में स्वीकार्य 11 दस्तावेजों में से किसी एक के साथ दावा प्रपत्र जमा करने की अनुमति दी।
पीठ ने मतदाता सूची से 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाने के संबंध में आपत्तियां दर्ज कराने में राजनीतिक दलों के आगे नहीं आने पर आश्चर्य जताया और बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को उन्हें अदालती कार्यवाही में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया।
कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी बिहार में एसआईआर के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के निर्देश का स्वागत करती है।
उन्होंने दावा किया, “लोकतंत्र निर्वाचन आयोग के क्रूर हमले से बच गया है।”
रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि 14 अगस्त को उच्चतम न्यायालय ने हस्तक्षेप करते हुए निर्वाचन आयोग के उस निर्णय को रद्द कर दिया था, जिसमें उसने हटाए गए मतदाताओं की सूची साझा करने से इनकार किया था।
उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि हटाए गए मतदाताओं की सूची कारणों सहित प्रकाशित की जाए।
कांग्रेस नेता ने कहा कि 14 अगस्त को ही न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया था कि जिन मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, उनके लिए आधार कार्ड को पहचान प्रमाण पत्र के रूप में स्वीकार किया जाए।
उन्होंने कहा कि आज शीर्ष अदालत ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि आधार एक मान्य पहचान पत्र है, जिसे निर्वाचन आयोग को अनिवार्य रूप से स्वीकार करना होगा।
रमेश ने कहा, “आज शीर्ष अदालत ने इस प्रक्रिया में राजनीतिक दलों को शामिल करके संशोधन को और अधिक समावेशी बनाने के लिए सुरक्षा उपाय निर्धारित किए हैं। अब तक निर्वाचन आयोग का रवैया बाधा उत्पन्न करने वाला और मतदाताओं के हितों के विपरीत रहा है।”
उन्होंने कहा, “हम इस फैसले का स्वागत करते हैं, क्योंकि यह हमें एक ऐसा अधिकार देता है, जिसे निर्वाचन आयोग नजरअंदाज नहीं कर सकता।”
रमेश ने कहा, “आज निर्वाचन आयोग पूरी तरह से बेनकाब और बदनाम हो गया है। इसके ‘जी2 कठपुतली संचालक’ निर्णायक रूप से पराजित हो गए हैं।”
कांग्रेस महासचिव एवं संगठन प्रभारी केसी वेणुगोपाल ने कहा कि उनकी पार्टी सर्वोच्च न्यायालय के ताजा फैसले का स्वागत करती है, जिसमें यह अनिवार्य किया गया है कि निर्वाचन आयोग एसआईआर प्रक्रिया में हटाए गए मतदाताओं के लिए आधार को वैध पहचान प्रमाण पत्र के रूप में स्वीकार करे।
उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “इसके अलावा, शीर्ष अदालत का आयोग से यह कहना कि इस प्रक्रिया में राजनीतिक दलों को शामिल किया जाए, आयोग के लिए कड़ी फटकार है, जिसने अब तक पूरे मामले में बाधा उत्पन्न करने वाला और आक्रामक रुख अपनाया है।”
वेणुगोपाल ने आरोप लगाया, “निर्वाचन आयोग हमारे बीएलए की शिकायतों को दबा रहा है। दरअसल, हमारे आधे बीएलए को प्रशासन ने मान्यता भी नहीं दी है।”
उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय का यह सख्त आदेश अंततः निर्वाचन आयोग के अहंकार को तोड़ देगा और वोट चुराने एवं जवाबदेही से बचने के उसके नापाक प्रयासों पर लगाम लगाएगा।”
भाषा पारुल