नमस्ते स्वच्छता योजना : संसदीय समिति ने0 स्वास्थ्य लाभों के धीमे क्रियान्वयन पर चिंता जताई
मनीषा माधव
- 21 Aug 2025, 05:32 PM
- Updated: 05:32 PM
नयी दिल्ली, 21 अगस्त (भाषा) संसद की एक स्थायी समिति ने आगाह किया है कि ‘नमस्ते’ स्वच्छता योजना के तहत स्वच्छता कर्मियों के आंकड़े में प्रगति के बावजूद, उन्हें सुरक्षा उपकरण, स्वास्थ्य कवरेज और प्रशिक्षण जैसे महत्वपूर्ण लाभ देने में गंभीर खामियां बनी हुई हैं।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर स्थायी संसदीय समिति ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट बृहस्पतिवार को संसद में पेश की जिसमें कहा गया है कि अप्रैल 2025 तक 73,289 सीवर और सेप्टिक टैंक कर्मियों का आंकड़ा तैयार किया गया था, लेकिन देशभर में अनुमानित एक लाख स्वच्छता कर्मियों में से केवल 69,231 की शहरी स्थानीय निकायों द्वारा पुष्टि की गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस प्रक्रिया की धीमी गति के चलते कई स्वच्छता कर्मी महत्वपूर्ण लाभों से वंचित हो सकते हैं।
समिति ने ‘नमस्ते’ (नेशनल एक्शन फॉर मैकेनाइज्ड सैनिटेशन इकोसिस्टम) योजना के तहत सुरक्षा उपकरण और स्वास्थ्य कार्ड के सीमित वितरण पर चिंता जताई है और कहा है कि स्वच्छता कर्मियों की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “विभाग द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद, सीवर और सेप्टिक टैंक कर्मियों के आंकड़े और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट, सुरक्षा उपकरण और आयुष्मान कार्ड के वितरण में अब भी भारी अंतर बना हुआ है।”
सामाजिक न्याय मंत्रालय द्वारा प्रदान किए गए आंकड़ों के अनुसार, अब तक 45,871 पीपीई किट, 354 सुरक्षा उपकरण किट वितरित किए गए हैं, जबकि केवल 16,962 स्वच्छता कर्मियों को ही आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए हैं।
समिति ने कहा कि 2023 में शुरू की गई ‘नमस्ते’ योजना के मुख्य उद्देश्यों में से एक यह है कि कोई भी स्वच्छता कर्मी मानव मल के सीधे संपर्क में न आए और इस दिशा में त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए।
मंत्रालय ने समिति को सूचित किया कि 557 जिलों में जिम्मेदार स्वच्छता अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, 576 शहरी स्थानीय निकायों में आपातकालीन स्वच्छता इकाइयां स्थापित की गई हैं, और 290 इकाइयों में हेल्पलाइन को क्रियाशील किया गया है।
इसके अलावा मंत्रालय ने बताया कि खतरनाक सफाई प्रथाओं से बचाव के लिए लगभग एक हजार कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं।
समिति ने जोर देकर कहा कि सरकार को प्रोफाइलिंग और सत्यापन प्रक्रिया को समयबद्ध रूप से पूर्ण करना चाहिए, साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वितरित किए गए सुरक्षा किट वास्तव में श्रमिकों तक पहुंचें।
समिति ने यह भी सिफारिश की कि कर्मियों को उपकरणों के सही उपयोग के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल किया जाए, ताकि उनकी सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित की जा सके।
भाषा
मनीषा