इस साल चिकित्सा के स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की करीब 8000 सीट बढ़ेंगी: एनएमसी प्रमुख
धीरज प्रशांत
- 20 Aug 2025, 04:38 PM
- Updated: 04:38 PM
(पायल बनर्जी)
नयी दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा) इस शैक्षणिक सत्र में देश में चिकित्सा के स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में कुल 8,000 सीट बढ़ाए जाने की उम्मीद है और इसके मद्देनजर चिकित्सा महाविद्यालयों का मूल्यांकन किया जा रहा है। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) के प्रमुख डॉ. अभिजात शेठ ने यह जानकारी दी।
राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) 2025 के लिए काउंसलिंग शुरू हो चुकी है और पहला चक्र पूरा हो चुका है। काउंसलिंग का दूसरा चक्र 25 अगस्त तक शुरू होने की उम्मीद है।
इस वर्ष जुलाई में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) के अधिकारियों, बिचौलियों और निजी चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रतिनिधियों के एक नेटवर्क का भंडाफोड़ किए जाने के बाद आशंका जताई जा रही थी कि इस शैक्षणिक सत्र में चिकित्सा पाठ्यक्रमों की सीटों की संख्या में कमी आएगी। ये अधिकारी कथित तौर पर भ्रष्टाचार और चिकित्सा महाविद्यालयों को नियंत्रित करने वाले नियामक ढांचे में गैर कानूनी तरीके से हेरफेर सहित कई ‘गंभीर’ कृत्यों में संलिप्त थे।
सीबीआई द्वारा जांच शुरू किये जाने के बाद एनएमसी ने सीट की संख्या बढ़ाने या नए पाठ्यक्रम शुरू करने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।
डॉ. शेठ ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘मेरी नियुक्ति के साथ ही मेडिकल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड (एमएआरबी) का अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया है। हमने प्राथमिकता के आधार पर स्नातक पाठ्यक्रम की चिकित्सा सीटों का निरीक्षण पूरा कर लिया है और मूल्यांकन कार्य प्रगति पर है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस शैक्षणिक वर्ष में प्राप्त आवेदनों की संख्या के आधार पर हमें लगभग 8,000 सीटों (स्नातक और स्नातकोत्तर सीटों को मिलाकर) की वृद्धि की उम्मीद है।’’
मौजूदा समय में देश में एमएमबीएस की 1,18,098 सीटें हैं, जिनमें से 59,782 सरकारी और 58,316 निजी संस्थानों की हैं। इसी प्रकार स्नातकोत्तर सीटों की संख्या 53,960 है, जिनमें से 30,029 सरकारी और 23,931 निजी क्षेत्र की हैं।
डॉ.शेठ ने पिछले शैक्षणिक सत्र की तुलना में एमबीबीएस सीटों की कुल संख्या में कमी के बारे में कहा, ‘‘चल रही (सीबीआई) जांच के कारण स्नातक सीट की संख्या कम हो सकती है। हालांकि, कुल मिलाकर, कुल निरीक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद सीट की संख्या अंततः 8,000 या उससे भी अधिक बढ़ जाएगी।’’
पीजी (स्नातकोत्तर) पाठ्यक्रमों मे प्रवेश के लिए काउंसलिंग के संदर्भ में एनएमसी अध्यक्ष ने कहा कि नई पीजी सीट के लिए आवेदन करने वाले चिकित्सा महाविद्यालयों के निरीक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और इसके लिए काउंसलिंग सितंबर में होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें भरोसा है कि पीजी काउंसलिंग प्रक्रिया तक नई सीटें भी उपलब्ध होंगी।’’
एनएमसी अधिनियम के अनुसार, अंतिम वर्ष के एमबीबीएस छात्रों के लिए नेशनल एक्जिट टेस्ट (एनईएक्सटी) आयोजित किये जाने के सवाल पर डॉ. शेठ ने परीक्षा को एक ‘‘नई अवधारणा’’ बताया, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि सभी हितधारकों के बीच आम सहमति बनानी होगी।
एनएमसी अध्यक्ष ने कहा कि परीक्षा आयोजित करने से पहले छात्रों की चिंताओं का समाधान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके क्रियान्वयन में ‘‘कुछ समय लगेगा’’।
डॉ. शेठ ने आगे विस्तार से बताते हुए कहा, ‘‘मुख्य अनुत्तरित प्रश्न ये हैं कि हम राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय परीक्षा से केंद्रीय मॉडल की ओर कैसे बढ़ेंगे। दूसरा, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम इस परीक्षा के लिए कठिनाई स्तर क्या निर्धारित करेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लिए तीसरा महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि इस परीक्षा के बारे में सभी हितधारकों - संकायों और मेडिकल छात्रों - के बीच सकारात्मक धारणा कैसे बनाएंगे। इस दिशा में हम काम कर रहे हैं।’’
डॉ. शेठ ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय पिछले कुछ वर्षों से इस दिशा में काम कर रहा है।
देश में 2014 के बाद से चिकित्सा महाविद्यालयों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और इनसे उत्तीर्ण होने वाले चिकित्सकों की गुणवत्ता को लेकर चिंताओं पर डॉ. शेठ ने कहा कि चिकित्सा महाविद्यालयों की संख्या और चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता दोनों समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने बताया कि चिकित्सा शिक्षा में दीर्घकालिक रूप से स्थायी गुणवत्ता लाने और देश भर में स्वास्थ्य सेवा में एकरूपता लाने के लिए महाविद्यालयों की संख्या में वृद्धि आवश्यक है।
डॉ.शेठ ने कहा, ‘‘साथ ही, महाविद्यालयों की संख्या बढ़ाते हुए, हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता कम न हो।’’
उन्होंने कहा कि एनएमसी ने मान्यता की प्रक्रिया को मजबूत करने की पहल की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संकाय आवश्यकताओं, बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं और नैदानिक सामग्री की आवश्यकताओं में न्यूनतम मानकों को पूरा किया जाए और यह निश्चित रूप से गुणवत्ता बढ़ाने में मददगार होगा।
भाषा धीरज