उत्तराखंड के अग्निवीरों की ‘टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स’ में होगी तैनाती: मुख्यमंत्री धामी
दीप्ति जितेंद्र
- 29 Jul 2025, 11:28 PM
- Updated: 11:28 PM
देहरादून, 29 जुलाई (भाषा) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर कॉर्बेट बाघ अभयारण्य में बाघ संरक्षण बल (टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स) गठित किये जाने की घोषणा की और कहा कि इस बल में प्रदेश के अग्निवीरों को सीधी तैनाती दी जाएगी। एक बयान में यह जानकारी दी गयी।
एक बयान के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने कहा कि बाघों और उनके आवास की सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से गठित किए जा रहे बल में 80 से अधिक युवाओं की भर्ती होगी।
उन्होंने कहा, “इस पहल से न केवल बाघ संरक्षण प्रयासों को मजबूती मिलेगी बल्कि अग्निवीर योजना के तहत प्रशिक्षित युवाओं को भी रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बल का मुख्य कार्य बाघों के अवैध शिकार को रोकना होगा।
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षित जवान वन क्षेत्रों में गश्त करेंगे, खुफिया जानकारी इकट्ठा करेंगे और शिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।
धामी ने कहा, “वन्यजीव अपराधों पर नियंत्रण के साथ ही यह बल वन और वन्यजीवों से संबंधित अन्य अपराधों जैसे लकड़ी की तस्करी, अवैध खनन और अतिक्रमण पर भी नियंत्रण रखेगा।”
मुख्यमंत्री ने बाघों के प्राकृतिक आवास के संरक्षण को महत्वपूर्ण करार देते हुए कहा कि यह बल पेड़ों की कटाई और उनके आवास को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों को रोकने में मदद के साथ ही मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रबंधन में भी सहयोगी बनेगा।
उन्होंने कहा कि कई बार बाघ आबादी वाले क्षेत्रों में आ जाते हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष होता है।
धामी ने कहा, “यह बल ऐसी स्थितियों को संभालने और नियंत्रित करने में प्रशिक्षित होगा ताकि दोनों पक्षों को नुकसान न हो। इस बल को आधुनिक निगरानी तकनीकों जैसे ड्रोन, थर्मल इमेजिंग और जीपीएस ट्रैकिंग से भी लैस किया जाएगा।”
उन्होंने कहा कि अग्निवीर भारतीय सेना के कठोर अनुशासन और प्रशिक्षण से गुजर चुके होते हैं, जो उन्हें शारीरिक रूप से फिट, मानसिक रूप से मजबूत व किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “यह गुण उन्हें वन गश्त और वन्यजीव अपराधों से निपटने में अत्यधिक प्रभावी बनाएंगे।”
उन्होंने कहा कि भारत में बाघों के सबसे महत्वपूर्ण आवासों में से एक कॉर्बेट बाघ अभयारण्य में बाघ संरक्षण बल का यह मॉडल सफल होता है, तो इसे देश के अन्य बाघ अभयारण्यों और संरक्षित क्षेत्रों में भी दोहराया जा सकता है, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर बाघ संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
भाषा दीप्ति