भारत-अमेरिका संबंध 'परीक्षण' के दौर में : विशेषज्ञ
रवि कांत रवि कांत माधव
- 07 Jun 2025, 04:58 PM
- Updated: 04:58 PM
नयी दिल्ली, सात जून (भाषा) भारत-अमेरिका के मौजूदा संबंधों की रूपरेखा को लेकर रणनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह समय इन संबंधों के लिए 'परीक्षा' के दौर जैसा है जबकि कई अन्य विशेषज्ञों की राय इससे भिन्न है।
भारत-अमेरिका के मौजूदा संबंधों की रूपरेखा को लेकर शुक्रवार को ऑनलाइन एक चर्चा हुई जिसमें दिल्ली और वाशिंगटन स्थित कुछ विचारक समूहों (थिंक टैंक) के सदस्यों ने भाग लिया।
कुछ अन्य रणनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि भारत-अमेरिका के संबंधों को 'लेन-देन संबंधी' जैसे शब्दों से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
इस ऑनलाइन चर्चा का विषय था 'लेन-देन से जुड़े संबंधों पर बातचीत : भारत और अमेरिका' तथा इस चर्चा का आयोजन दिल्ली स्थित सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज (सीएलएडब्ल्यूएस) द्वारा किया गया था।
वाशिंगटन स्थित स्टिमसन सेंटर में वरिष्ठ फेलो और दक्षिण एशिया कार्यक्रम की निदेशक एलिजाबेथ थ्रेलकेल्ड ने भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में व्यापक रूप से 'गतिशीलता और निरंतरता' पर जोर दिया।
यह ऑनलाइन चर्चा भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिवसीय सैन्य संघर्ष के दौरान गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद होने के लगभग एक महीने बाद आयोजित की गयी।
अमेरिका ने दावा किया है कि उसने इस संघर्ष विराम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जबकि भारत का कहना है कि उसकी सैन्य कार्रवाई में पाकिस्तान के कई हवाई ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचाने के बाद इस्लामाबाद ने 10 मई को युद्धविराम की अपील की थी।
एलिजाबेथ थ्रेलकेल्ड ने कहा, ‘‘ यह वह दौर है जब भारत-अमेरिका के संबंधों के लिए कुछ मायनों में परीक्षा का दौर है। और यदि हम पिछले कुछ घटनाक्रमों को देखें तो कम से कम मेरे विचार में, वास्तव में अमेरिका-भारत की साझेदारी में काफी बदलाव हुआ है और साल 2020 में गलवान में भारत-चीन संघर्ष के बाद इसकी रूपरेखा काफी बदल गई है।’’
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में भारत-अमेरिका संबंधों में काफी बदलाव हुआ है और दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी भी काफी मजबूत हुई है।
स्टिमसन सेंटर में दक्षिण एशिया और चीन कार्यक्रम के वरिष्ठ फेलो डैनियल मार्की ने अनुमान लगाया कि बीजिंग भारत-पाकिस्तान के बीच इस संघर्ष को किस प्रकार देखता है, और यदि हालात बिगड़ते हैं तो इसके क्षेत्रीय परिणाम क्या होंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि कोई भी बड़ा युद्ध देखना चाहता है, भारत, पाकिस्तान, अमेरिका या चीन, जो कि हमारे लिए एक बहुत बड़ी सकारात्मक बात है।’’
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