बदतर होती एलर्जी केवल आपकी कल्पना नहीं है, हवादार दिन लाते हैं पराग वाला तूफान
(द कन्वरसेशन) संतोष नरेश
- 06 May 2025, 05:23 PM
- Updated: 05:23 PM
(क्रिस्टीन केर्न्स फोर्टुइन, सहायक वानिकी प्रोफेसर, मिसिसिपी स्टेट यूनिवर्सिटी)
मिसीसिपी, छह मई (द कन्वरसेशन) जीवन के विकसित होने के क्रम ने समग्र जीवन में कई प्रजनन रणनीतियों को बढ़ावा दिया है। सिंहपर्णी पौधों से लेकर जिराफ तक, प्रकृति एक रास्ता खोज लेती है।
इनमें से एक तरीका मनुष्यों के लिए काफी कष्टकारक है: यह है पराग, जो कि वनस्पति जगत का कुख्यात नर ‘गैमेटोफाइट’ है।
दक्षिण-पूर्व अमेरिका में जहां कि मैं रहता हूं, आप जानते हैं कि वसंत ऋतु में आपकी कार पीले रंग में बदल जाती है और आपके आंगन के फर्नीचर समेत बाहर की हर चीज पराग की चादर से ढंक जाती है। अचानक शहर के हर कार धुलाई केंद्र पर लंबी-लंबी कतारें लग जाती हैं।
यहां तक कि जिन लोगों को पराग से एलर्जी नहीं है - मेरे जैसे परागण पारिस्थितिकीविद के लिए यह स्पष्ट रूप से एक लाभ है - वे हर वसंत में पेड़ों के पराग के निकलने के दौरान छींकने और आंखों में पानी आने का अनुभव कर सकते हैं।
हवा में पर्याप्त मात्रा में ‘पार्टिकुलेट मैटर’ किसी को भी परेशान कर सकते हैं।
इतने पराग कण क्यों हैं? और यह स्थिति क्यों बदतर होती जा रही है?
पेड़ अपने पराग दो तरीके से फैलाते हैं
पेड़ों के लिए प्रजनन का समय आसान समय नहीं होता है। एक पेड़ के रूप में, आपके पास अपने पराग को फैलाने के लिए दो विकल्प हैं।
विकल्प एक: एक एजेंट को नियुक्त करें, जैसे कि एक तितली या मधुमक्खी, जो आपके पराग को उसी प्रजाति के दूसरे पौधे तक ले जा सके। इस विकल्प का नुकसान यह है कि आपको खुद का विज्ञापन करने के लिए एक आकर्षक फूल और भीनी भीनी खुशबू पैदा करनी होगी, और अपने एजेंट को उसकी सेवाओं के लिए भुगतान के रूप में मीठा रस (अमृत) देना होगा।
विकल्प दो: यह किफायती विकल्प, बहुत कम सटीक है: इसमें हवा पर मुफ्त सवारी करनी होती है।
हवा मूल परागणकर्ता थी, जो पशु के जरिये होने वाले परागण से बहुत पहले विकसित हुई थी। हवा को न तो दिखावटी फूल की आवश्यकता होती है और न ही अमृत जैसे पुरस्कार की। परागण को सफल बनाने के लिए उसे पर्याप्त मात्रा में हल्के, छोटे व्यास वाले पराग कण की आवश्यकता होती है।
हवा में उड़ने वाले पराग एलर्जी को बदतर क्यों बनाते हैं
यद्यपि हवा एक कुशल परागणकर्ता नहीं है। इसके जरिये एक पराग कण के सही स्थान (उसी प्रजाति के दूसरे पौधे के कलंक या बीजांड) पर पहुंचने की संभावना बहुत कम है।
इसलिए, हवा से परागित पेड़ों को प्रचुर मात्रा में पराग का उत्पादन करके इस अक्षमता की भरपाई करनी चाहिए, और इन्हें पर्याप्त हल्का होना चाहिए ताकि ये हवा के जरिये उड़ सकें।
एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए, इसकी वजह सूक्ष्म पराग कणों में भरी हवा हो सकती है जो आपकी आंखों, गले और फेफड़ों में जा सकते हैं, खिड़की से अंदर घुस सकते हैं और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को यह विश्वास दिला सकते हैं कि आपने एक खतरनाक घुसपैठिए को सांस के जरिये अंदर ले लिया है।
इसके विपरीत, पशु के जरिये होने वाले परागण पर निर्भर पौधे, कीट के शरीर से चिपकने के लिए भारी और चिपचिपे पराग का उत्पादन कर सकते हैं। इसलिए अपनी एलर्जी के लिए मधुमक्खियों को दोष न दें- वास्तव में इसका कारण हवा है।
जलवायु परिवर्तन की भी है भूमिका
पौधे तापमान और प्रकाश संकेतों सहित कुछ कारकों के आधार पर पराग का उत्सर्जन शुरू करते हैं। हमारे समशीतोष्ण क्षेत्र के वृक्ष की कई प्रजातियां वसंत की शुरुआत का संकेत देने वाले संकेतों पर प्रतिक्रिया करती हैं, जिसमें गर्म तापमान भी शामिल है।
अध्ययनों में पाया गया है कि जलवायु के गर्म होने के कारण पिछले तीन दशकों में पराग के मौसम में तीव्रता आई है। उत्तरी अमेरिका में 60 स्थानों की जांच करने वाले एक अध्ययन में पाया गया कि 1990 से 2018 तक पराग के मौसम में औसतन 20 दिन का विस्तार हुआ और पराग की सांद्रता में 21 फीसदी की वृद्धि हुई है।
केवल इतना ही नहीं, कार्बन डाईऑक्साइड का बढ़ता स्तर भी पेड़ों के अधिक पराग उत्पादन करने का एक कारण हो सकता है।
पराग कण की वृद्धि को और भी बदतर क्या बना सकता है?
विशेष रूप से दक्षिण-पूर्वी अमेरिका के लिए, तेज हवा के तूफान आम और अधिक तीव्र होते जा रहे हैं - और सिर्फ तूफान ही नहीं।
पिछले कुछ दशकों से दक्षिण-पूर्व में रहने वाले किसी भी व्यक्ति ने शायद इस पर ध्यान दिया होगा। इस क्षेत्र में ज्यादा चक्रवात की चेतावनी, ज्यादा भयंकर तूफान, ज्यादा बिजली कटौती होती है। यह विशेष रूप से मिसिसिपी से अलबामा तक के मध्य-दक्षिण की एक हकीकत है।
हवा, उड़ने वाले पराग की वाहक है, इसलिए तेज हवा वाली परिस्थितियां भी एलर्जी को बदतर बना सकती हैं। हवा वाले दिनों में परागकण ज्यादा समय तक हवा में रहता है, और यह ज्यादा दूर तक जाता है।
तूफान पराग कणों को भी तोड़ सकता है, जिससे और छोटे कण बनते हैं जो फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं।
एलर्जी से पीड़ित कई लोगों के लिए तूफान के दौरान एलर्जी की समस्या और भी गंभीर हो सकती है।
(द कन्वरसेशन) संतोष