सिंगरौली में वनों की कटाई पर मध्यप्रदेश विधानसभा में हंगामा, कांग्रेस ने किया बहिर्गमन
ब्रजेन्द्र खारी
- 05 Dec 2025, 07:43 PM
- Updated: 07:43 PM
भोपाल, पांच दिसंबर (भाषा) कांग्रेस ने शुक्रवार को विधानसभा में सिंगरौली जिले में व्यापक पैमाने पर पेड़ों की कटाई का मुद्दा उठाया और सरकार पर आरोप लगाया कि पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए वह गरीब आदिवासियों के हक मार रही है।
सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी कांग्रेस के सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन से बहिर्गमन कर गए।
कांग्रेस के विक्रांत भूरिया और जयवर्धन सिंह ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से यह मुद्दा उठाते हुए दावा किया कि सिंगरौली के जंगलों में छह लाख पेड़ों की कटाई की जा रही है।
भूरिया ने इसे अवैध बताते हुए सवाल किया कि यदि कटाई नियमों के अनुसार की जा रही है तो विरोध की स्थिति क्यों उत्पन्न हो रही है।
उन्होंने जिले के आठ गांवों को अधिसूचित क्षेत्र से बाहर किए जाने पर भी सरकार से सफाई मांगी।
भूरिया ने आरोप लगाया कि तीन कोयला खदानें अदाणी समूह को सौंपने के नाम पर व्यापक स्तर पर पेड़ों की कटाई की जा रही है।
उन्होंने कहा कि सिंगरौली में काटे गए पेड़ों को सागर और शिवपुरी में लगाया जा रहा है, जो तर्कसंगत नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘अदाणी को श्रेष्ठ बताने के लिए सिंगरौली के आदिवासियों के जमीन से पेड़ काटे जा रहे हैं।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘जंगल खत्म होने से आदिवासी प्रभावित होंगे। आदिवासियों को ऑक्सीजन कहां से मिलेगी। सरकार आदिवासियों के साथ अन्याय कर रही है।’’
उन्होंने कहा कि सरकार वन अधिनियम सहित अन्य नियमों का पालन नहीं कर रही है।
विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने कहा कि पेड़ कटाई पूरी तरह नियमों के तहत हो रही है और जितने पेड़ काटे जा रहे हैं, उतने ही लगाए भी जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘जितनी जमीन ली जा रही है, उतनी ही जमीन बदले में उपलब्ध कराई जा रही है।’’
अहिरवार ने कहा, ‘‘सिंगरौली जिले में राज्य सरकार या केंद्र सरकार के समस्त नियमों का पालन किया जा रहा है। अतः नियमों का उल्लंघन नहीं किया जा रहा है।’’
इस दौरान नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने लोकसभा में 2023 में पूछे गए एक सवाल का हवाला देते हुए कहा कि सिंगरौली पंचायतें, पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम-1996 के अधीन आती हैं, जबकि संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय इसके उलट दावा कर रहे हैं।
उन्होंने मंत्री पर सदन में गलत जानकारी देने का आरोप लगाया और सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।
मंत्री अहिरवार जब इस बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए तो विजयवर्गीय ने कहा कि अहिरवार पहली बार के विधायक हैं, लेकिन उन्होंने काफी सही जवाब दिया है।
उन्होंने दावा किया कि सिंगरौली में कभी भी पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम लागू नहीं रहा, क्योंकि यहां आदिवासियों की संख्या कम रही है।
विपक्ष ने सवाल किया कि यदि ऐसा है तो सिंगरौली को पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम से बाहर कब और कैसे किया गया।
विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्षी सदस्यों से कहा कि वन मंत्री नेता प्रतिपक्ष से अलग से मुलाकात कर सभी सवालों के जवाब देंगे। इस पर भी पक्ष-विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। अंततः कांग्रेस के सभी सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन से बहिर्गमन कर गए।
भाषा ब्रजेन्द्र